नैनीताल: छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी जीत राम नौटियाल गिरफ्तारी से बचने के लिए नैनीताल हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे. जहां उन्होंने कहा कि वह 2006 में समाज कल्याण अधिकारी थे. उन्होंने नियमों के आधार पर ही कॉलेजों को छात्रवृत्ति का पैसा आवंटित किया था. हालांकि जीतराम नौटियाल की गिरफ्तारी पर कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया है. साथ ही घोटाले की जांच कर रही एसआईटी टीम के दोनों जांच अधिकारियों को अपना विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
500 करोड़ की छात्रवृत्ति घोटाले में देहरादून के 120 नामी कॉलेजों पर कार्रवाई न होने पर जीतराम नौटियाल ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की. उन्होंने कहा कि एसआईटी द्वारा एकतरफा कार्रवाई की जा रही है. प्रदेश के बड़े और नामचीन लोगों के संस्थानों में कोई कार्रवाई न कर उन्हें मामले में बेवजह फंसाया जा रहा है, लेकिन कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है.
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बता दें कि देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अबतक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया गया है. जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अबतक विभाग द्वारा करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि 2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी गठित की गई थी और 3 माह में जांच पूरी करने को कहा गया था. लेकिन इस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी. वहीं इस मामले में सीबीआई जांच की भी मांग की गई है.