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अब नहीं चलेगी खनन कारोबारियों की मनमानी, उपखनिज निकासी का लक्ष्य हुआ तय - 10 लाख घन मीटर

कुमाऊं में नदियों से उपखनिज निकासी का लक्ष्य प्रशासन द्वारा तय कर दिया गया है.जिससे खनन कारोबारियों पर छा सकते हैं संकट के बादल .

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नदियों से उपखनिज निकासी का लक्ष्य हुआ तय
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Published : Jan 10, 2020, 6:50 PM IST

हल्द्वानी: राज्य सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व खनन कार्य से प्राप्त होता है. ऐसे में शासन ने कुमाऊं मंडल के तीन बड़ी नदियों इस सत्र में उपखनिज निकासी के लिए लक्ष्य तय कर दिया है. जिसके तहत कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी से इस बार मात्र 18 लाख घन मीटर ही उपखनिज निकासी का लक्ष्य तय हुआ है.

नदियों से उपखनिज निकासी का लक्ष्य हुआ तय.

इसके साथ ही कैलाश नदी से 17 लाख घन मीटर, शारदा नदी से 4 लाख घन मीटर में उपखनिज की निकासी का आदेश जारी किया गया है. जो कि पिछले साल कि तुलना में काफी कम है.

बता दें कि गौला नदी से अभी तक 9 लाख घन मीटर उप खनिज की निकासी हो चुकी है. ऐसे में अब नदी में मात्र 9 लाख 47 हजार घन मीटर ही उपखनिज बचा है. जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार गोला नदी से खनन कारोबार में जुटे कारोबारियों को संकट का सामना करना पड़ सकता है.

ये भी पढ़ें: गरीबों को अंतिम संस्कार के लिए मुफ्त लकड़ी देगा वन विकास निगम

वहीं, क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम, गिरीश चंद्र पंत ने बताया कि कुमाऊं मंडल की गौला नदी, कैलाश नदी और शारदा नदी से अभी तक मात्र 10 लाख घन मीटर में ही खनन निकासी का कार्य हो पाया है, जिससे पांच करोड़ के राजस्व की प्राप्ति भी हो चुकी हुई है.

हल्द्वानी: राज्य सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व खनन कार्य से प्राप्त होता है. ऐसे में शासन ने कुमाऊं मंडल के तीन बड़ी नदियों इस सत्र में उपखनिज निकासी के लिए लक्ष्य तय कर दिया है. जिसके तहत कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी से इस बार मात्र 18 लाख घन मीटर ही उपखनिज निकासी का लक्ष्य तय हुआ है.

नदियों से उपखनिज निकासी का लक्ष्य हुआ तय.

इसके साथ ही कैलाश नदी से 17 लाख घन मीटर, शारदा नदी से 4 लाख घन मीटर में उपखनिज की निकासी का आदेश जारी किया गया है. जो कि पिछले साल कि तुलना में काफी कम है.

बता दें कि गौला नदी से अभी तक 9 लाख घन मीटर उप खनिज की निकासी हो चुकी है. ऐसे में अब नदी में मात्र 9 लाख 47 हजार घन मीटर ही उपखनिज बचा है. जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार गोला नदी से खनन कारोबार में जुटे कारोबारियों को संकट का सामना करना पड़ सकता है.

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वहीं, क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम, गिरीश चंद्र पंत ने बताया कि कुमाऊं मंडल की गौला नदी, कैलाश नदी और शारदा नदी से अभी तक मात्र 10 लाख घन मीटर में ही खनन निकासी का कार्य हो पाया है, जिससे पांच करोड़ के राजस्व की प्राप्ति भी हो चुकी हुई है.

Intro:sammry- कुमाऊं की नदियों से उप खनिज निकासी का लक्ष्य हुआ तय ।गौला नदी खनन कारोबारियों पर छा सकता है संकट।

एंकर- प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व का स्रोत खनन है। ऐसे में शासन ने कुमाऊं मंडल के तीन बड़ी नदियों इस सत्र के उप खनिज निकासी के लिए लक्ष्य तय कर दी है। कुमाऊ के सबसे बड़ी गौला नदी में इस बार मात्र 18 लाख घन मीटर मीटर ही उपखनिज निकासी होनी है जबकि कैलाश नदी से 17 लाख मीटर ,शारदा नदी से 4 लाख मीटर की उपखनिज की निकासी होनी है। ऐसे में पिछले साल की तुलना में इस बार गौला नदी से उप खनिज निकासी लक्ष्य काफी कम है ऐसे में नदी से जुड़े खनन कारोबारियों के कारोबार पर संकट गहरा सकता है।


Body:कुमाऊ की सबसे बड़ी गौला नदी सरकार को खनन के रूप में सबसे ज्यादा राज्य देती है लेकिन इस बार गौला नदी में उप खनिज कमाने के चलते सरकार ने मात्र 18 लाख 47 हजार घन मीटर ही उप खनिज निकासी का लक्ष्य रखा है ।ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि गौला नदी से उप खनिज एक दो महीनों में ही खत्म हो जायगी। गौरतलब है कि पिछले वर्ष गोला सत्र खनिज के लिए 58 मीटर लक्ष्य रखा गया था जबकि सरकार को भी करोड़ों का राजस्व भी प्राप्त हुई थी ।लेकिन इस बार मात्र 18 लाख 47 हजार घन मीटर उप खनिज मात्र 2 महीनों के भीतर ही समाप्त हो जाएगा। यही नहीं गौला नदी में अभी तक 9 लाख घन मीटर उप खनिज की निकासी भी हो चुकी है ।ऐसे में मात्र अब नदी में नौ लाख 47 हजार घन मीटर ही उपखनिज बचा है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार गोला नदी से खनन कारोबार में जुटे कारोबारियों को संकट का सामना करना पड़ सकता है।


Conclusion:क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम गिरीश चंद्र पंत ने बताया कि कुमाऊं मंडल के गोला नदी कैलाश नदी और शारदा नदी से अभी तक मात्र 1000000 मीटर है खनन निकासी हो पाया है जबकि पांच करोड़ के राजस्व की भी प्राप्ति हुई है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस सत्र में सभी नदियों से लक्ष्य पूरा कर सरकार को राजस्व में इजाफा किया जाएगा।

बाइट -गिरीश चंद्र पंत क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम
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