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ओवर स्पीड से हो रही दुर्घटनाओं पर HC में सुनवाई, पेश हुए आईजी ट्रैफिक, कोर्ट ने मांगा सुझाव - UTTARAKHAND HIGHCOURT

उत्तराखंड में ओवर स्पीड के कारण हो रही दुर्घटनाओं पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. आईजी ट्रैफिक अरुण मोहन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए.

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ओवर स्पीड से हो रही दुर्घटनाओं पर HC में सुनवाई (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 20, 2025, 5:29 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गाड़ियों की ओवर स्पीड से हो रही दुर्घटनाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने आईजी ट्रैफिक अरुण मोहन जोशी से कहा है कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए और क्या बेहतर किया जा सकता है? इस पर अपने सुझाव कोर्ट में 6 सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करें.

पूर्व के आदेश पर गुरवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आईजी ट्रैफिक अरुण मोहन जोशी कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि ओवर स्पीड से कई नौजवानों की मौत हो चुकी है. उसको रोकने के लिए यातायात पुलिस कार्य कर रही है और ओवर स्पीड से चल रहे वाहनों का चालान किया जा रहा है. न्यायालय के संज्ञान में यह भी तथ्य लाया गया कि अधिकतर दुर्घटनाएं 16 से 25 साल के नवयुवकों के साथ हो रही है. दुर्घटनाओं का कारण ओवर स्पीड या नशा सामने आया है.

अरुण मोहन जोशी ने आगे यह भी कहा कि कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे और रोड पर सेंसर लगा दिए गए हैं. जिसपर कोर्ट ने आईजी ट्रैफिक से दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अपने अन्य सुझाव प्रस्तुत करने के लिए कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी.

आज हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि जुलाई 2024 से दिसंबर 2024 तक राज्य में 884 रोड एक्सीडेंट के मामले सामने आए हैं. कई घरों के चिराग बुझ गए हैं. इसलिए रोड पर स्पीड सेंसर लगाए जाएं. जिसकी जानकारी संबंधित थाने और परिजनों को मिल सके.

ये है पूरा मामला: मामले के मुताबिक, उच्च न्यायालय के अधिवक्ता ललित मिगलानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि आए दिन 18 से 25 साल के नौजवान ओवर स्पीड में वाहन चलाने से मौत का कारण बन रहे है. आजकल वाहनों में कई तरह के फीचर आ गए हैं. जिसकी जानकारी उन्हें नहीं होती है. वर्तमान में नौजवान स्पोर्ट मोड पर वाहन चला रहे, जिसकी वजह वे हादसे का शिकार हो रहे हैं. स्पोर्ट मोड पर वाहन चलाने लायक प्रदेश की सड़कें नहीं है. क्योंकि यह पहाड़ी राज्य है. सड़कें संकरी और घुमाऊदार है. ऊपर से नौजवान अल्कोहलिक स्थिति में वाहन चला रहे हैं.

इसलिए 1 हजार से 2 हजार सीसी की गाड़ी चलाने के लिए उनकी उम्र 25 साल निर्धारित की जाए. जैसे कि 16 से 18 वर्ष के युवकों के लिए 50 सीसी तक वाहन चलाने का प्रावधान निर्धारित किया है. ठीक उसी प्रकार बड़े वाहन चलाने के लिए 25 वर्ष उम्र निर्धारित की जाए. वर्तमान में जो भी हादसे हो रहे हैं वह 18 से 25 साल के युवकों के ओवर स्पीड वाहन चलाने के कारण हो रहे हैं. इसलिए राज्य सरकार बड़े वाहन चलाने के लिए उम्र का निर्धारण करे.

ये भी पढ़ेंः ओवर स्पीडिंग और हादसों को लेकर हाईकोर्ट सख्त, IG गढ़वाल ट्रैफिक को पेश होने के आदेश

ये भी पढ़ेंः देहरादून एक्सीडेंट ग्राउंड रिपोर्ट: कंपा देने वाला था दुर्घटनास्थल का मंजर, पुलिस के भी उड़ गए थे होश

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गाड़ियों की ओवर स्पीड से हो रही दुर्घटनाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने आईजी ट्रैफिक अरुण मोहन जोशी से कहा है कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए और क्या बेहतर किया जा सकता है? इस पर अपने सुझाव कोर्ट में 6 सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करें.

पूर्व के आदेश पर गुरवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आईजी ट्रैफिक अरुण मोहन जोशी कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि ओवर स्पीड से कई नौजवानों की मौत हो चुकी है. उसको रोकने के लिए यातायात पुलिस कार्य कर रही है और ओवर स्पीड से चल रहे वाहनों का चालान किया जा रहा है. न्यायालय के संज्ञान में यह भी तथ्य लाया गया कि अधिकतर दुर्घटनाएं 16 से 25 साल के नवयुवकों के साथ हो रही है. दुर्घटनाओं का कारण ओवर स्पीड या नशा सामने आया है.

अरुण मोहन जोशी ने आगे यह भी कहा कि कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे और रोड पर सेंसर लगा दिए गए हैं. जिसपर कोर्ट ने आईजी ट्रैफिक से दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अपने अन्य सुझाव प्रस्तुत करने के लिए कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी.

आज हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि जुलाई 2024 से दिसंबर 2024 तक राज्य में 884 रोड एक्सीडेंट के मामले सामने आए हैं. कई घरों के चिराग बुझ गए हैं. इसलिए रोड पर स्पीड सेंसर लगाए जाएं. जिसकी जानकारी संबंधित थाने और परिजनों को मिल सके.

ये है पूरा मामला: मामले के मुताबिक, उच्च न्यायालय के अधिवक्ता ललित मिगलानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि आए दिन 18 से 25 साल के नौजवान ओवर स्पीड में वाहन चलाने से मौत का कारण बन रहे है. आजकल वाहनों में कई तरह के फीचर आ गए हैं. जिसकी जानकारी उन्हें नहीं होती है. वर्तमान में नौजवान स्पोर्ट मोड पर वाहन चला रहे, जिसकी वजह वे हादसे का शिकार हो रहे हैं. स्पोर्ट मोड पर वाहन चलाने लायक प्रदेश की सड़कें नहीं है. क्योंकि यह पहाड़ी राज्य है. सड़कें संकरी और घुमाऊदार है. ऊपर से नौजवान अल्कोहलिक स्थिति में वाहन चला रहे हैं.

इसलिए 1 हजार से 2 हजार सीसी की गाड़ी चलाने के लिए उनकी उम्र 25 साल निर्धारित की जाए. जैसे कि 16 से 18 वर्ष के युवकों के लिए 50 सीसी तक वाहन चलाने का प्रावधान निर्धारित किया है. ठीक उसी प्रकार बड़े वाहन चलाने के लिए 25 वर्ष उम्र निर्धारित की जाए. वर्तमान में जो भी हादसे हो रहे हैं वह 18 से 25 साल के युवकों के ओवर स्पीड वाहन चलाने के कारण हो रहे हैं. इसलिए राज्य सरकार बड़े वाहन चलाने के लिए उम्र का निर्धारण करे.

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