हल्द्वानी: चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि के साथ चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ शुरू हो जाएगा. चैत्र नवरात्रि दो अप्रैल से प्रारंभ होकर 10 अप्रैल को रामनवमी के साथ संपन्न होगी. इस बार नवरात्र पूरे 9 दिनों के हैं. मान्यता है कि नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा करने से मां भगवती की कृपा बरसती है. नवरात्रि के समय हर घर में कलश स्थापना के साथ-साथ ध्वज स्थापना को भी शुभ माना जाता है.
ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार चैत नवरात्रि में शुभ योग बन रहा है. 2 अप्रैल शनिवार को सूर्योदय के बाद कलश स्थापना और ध्वज स्थापना के साथ मां भगवती की आराधना प्रारंभ हो जाएगी. पहले दिन शैलपुत्री की पूजा के साथ नवरात्रि की शुरुआत होगी. ज्योतिष गणना के अनुसार एक अप्रैल रात्रि से प्रतिपदा लग रही है, जो शनिवार 2 अप्रैल दोपहर तक रहेगी.
दो अप्रैल शनिवार को नवरात्र के प्रथम दिन मां भगवती की पूजा कलश स्थापना और ध्वज स्थापना शुभ मुहूर्त सूर्य उदय से लेकर सुबह 11:50 तक किया जाएगा, जो शुभ मुहूर्त है. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक चैत्र नवरात्रि सबसे उत्तम नवरात्रि मानी जाती है. नवरात्र के दौरान पूरे घर की साफ-सफाई के साथ-साथ मानसिक रूप से पवित्र होकर संकल्प के साथ विधि-विधान से पूजा करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं.
कलश स्थापना और पूजा के दौरान स्वर्ण, चांदी, धातु की प्रतिमा या मिट्टी की प्रतिमा की पूजा करने का विशेष महत्व है. नारियल को मां भगवती की प्रतिमा बनाकर पूजा करने से लाभ की प्राप्ति होती है. ज्योतिष के अनुसार चाइनीस, विदेशी और प्लास्टिक की प्रतिमा की स्थापना नहीं करनी चाहिए. इस तरह की मूर्तियां अशुभ मानी जाती हैं, जिससे बचने की जरूरत है.
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ऐसे करें कलश स्थापना: शास्त्रों के मुताबिक चैत्र नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना का विशेष महत्व है. घर में चौड़े मुंह के पीतल, तांबा या मिट्टी के कलश की स्थापना करनी चाहिए. इसके अलावा 7 प्रकार के अनाज, गंगाजल, रोली, सुपारी, आम के पत्ते, नारियल, सिंदूर, फल, फूल, पान, सुपारी आदि अन्य पूजा सामग्री मां भगवती पर अर्पित करनी चाहिए. कलश स्थापना के लिए सबसे पहले मां दुर्गा की तस्वीर छोटी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर स्थापित करें. साथ ही अखंड ज्योति जलाएं.