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कौसानी के चाय बागान बंद करने के मामले में हाई कोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

कौसानी के चाय बागान को बिना किसी कारण के साल 2014 से बंद करने का मामला नैनीताल हाई कोर्ट पहुंच गया है. मामल में हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव उत्तराखंड, सचिव उद्यान, अध्यक्ष उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड, निदेशक चाय विकास बोर्ड, टी बोर्ड ऑफ इंडिया समेत महाप्रबंधक उत्तरांचल टी कंपनी को 3 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

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Published : Oct 15, 2019, 7:27 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 12:47 PM IST

tea garden closure in kausani

नैनीतालः कौसानी के चाय बागान को बंद करने के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 3 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

जानकारी देते याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डीके जोशी.

बता दें कि, कौसानी निवासी कृष्ण चंद्र सिंह खाती ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि कौसानी के चाय बागान राज्य सरकार का संयुक्त उपक्रम था. जिसे सरकार, कुमाऊं मंडल विकास निगम और बेंगलुरु की गिरियाज इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ मिलकर चलाती थी. जिसमें प्राइवेट कंपनी की 11 फीसदी भागीदारी थी.

ये भी पढ़ेंः हाइड्रोपोनिक तकनीक से उगाई जाएंगी सब्जियां, वर्ल्ड बैंक करेगा सेंटर की स्थापना

इस बागान में कौसानी और आसपास के 300 हेक्टेयर भूमि पर हरी चाय पत्ती का उत्पादन किया जाता था. जिसमें करीब 30 से ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन उत्तराखंड टी बोर्ड और उत्तरांचल टी कंपनी के तालमेल की कमी के कारण सरकार ने साल 2014 में फैक्ट्री को बंद कर दिया गया. जिसकी वजह से फैक्ट्री के कर्मचारी बेरोजगार हो गए.

वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि बेंगलुरु की गिरियाज इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के ऊपर चाय बागान का करीब 44 लाख रुपये का बकाया है. जिसे लेने के लिए भी राज्य सरकार कोई कदम नहीं उठा रही. साथ ही कहा कि फैक्ट्री बंद होने की वजह से कौसानी और उसके आस-पास के चाय बागान की चाय पत्ती के उत्पादन में असर पड़ा है. राजस्व की भी हानि भी हुई है.

ये भी पढ़ेंः REPORT: देश की सुरक्षा के लिहाज से उत्तराखंड के 200 से अधिक गांव खतरनाक

इतना ही नहीं पर्यटन, पलायन संबंधी समस्याओं से भी क्षेत्र को जूझना पड़ा है. क्योंकि, जब से क्षेत्र में टी गार्डन बंद हुए इस क्षेत्र में पर्यटको ने आना बंद कर दिया है. पहले गार्डन को देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते थे, लेकिन अब पर्यटक यहां नहीं आ रहे हैं. जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

इसी कड़ी में मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मुख्य सचिव, सचिव उद्यान अध्यक्ष, उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड, निदेशक चाय विकास बोर्ड, टी बोर्ड इंडिया समेत महाप्रबंधक उत्तरांचल टी कंपनी को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीतालः कौसानी के चाय बागान को बंद करने के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 3 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

जानकारी देते याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डीके जोशी.

बता दें कि, कौसानी निवासी कृष्ण चंद्र सिंह खाती ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि कौसानी के चाय बागान राज्य सरकार का संयुक्त उपक्रम था. जिसे सरकार, कुमाऊं मंडल विकास निगम और बेंगलुरु की गिरियाज इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ मिलकर चलाती थी. जिसमें प्राइवेट कंपनी की 11 फीसदी भागीदारी थी.

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इस बागान में कौसानी और आसपास के 300 हेक्टेयर भूमि पर हरी चाय पत्ती का उत्पादन किया जाता था. जिसमें करीब 30 से ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन उत्तराखंड टी बोर्ड और उत्तरांचल टी कंपनी के तालमेल की कमी के कारण सरकार ने साल 2014 में फैक्ट्री को बंद कर दिया गया. जिसकी वजह से फैक्ट्री के कर्मचारी बेरोजगार हो गए.

वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि बेंगलुरु की गिरियाज इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के ऊपर चाय बागान का करीब 44 लाख रुपये का बकाया है. जिसे लेने के लिए भी राज्य सरकार कोई कदम नहीं उठा रही. साथ ही कहा कि फैक्ट्री बंद होने की वजह से कौसानी और उसके आस-पास के चाय बागान की चाय पत्ती के उत्पादन में असर पड़ा है. राजस्व की भी हानि भी हुई है.

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इतना ही नहीं पर्यटन, पलायन संबंधी समस्याओं से भी क्षेत्र को जूझना पड़ा है. क्योंकि, जब से क्षेत्र में टी गार्डन बंद हुए इस क्षेत्र में पर्यटको ने आना बंद कर दिया है. पहले गार्डन को देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते थे, लेकिन अब पर्यटक यहां नहीं आ रहे हैं. जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

इसी कड़ी में मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मुख्य सचिव, सचिव उद्यान अध्यक्ष, उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड, निदेशक चाय विकास बोर्ड, टी बोर्ड इंडिया समेत महाप्रबंधक उत्तरांचल टी कंपनी को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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कौसानी के चाय बागान बंद होने के मामले पर हाईकोर्ट सख्त, हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव उत्तराखंड, सचिव उद्यान, अध्यक्ष उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड, निदेशक चाय विकास बोर्ड, टी बोर्ड ऑफ इंडिया समेत महाप्रबंधक उत्तरांचल टी कंपनी को जवाब पेश करने के आदेश दिए।

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कौसानी के चाय बागान को बगैर किसी कारण के 2014 से बंद करने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 3 सप्ताह के भीतर जब आप कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।


Body:आपको बता दें कि कौसानी निवासी कृष्ण चंद्र सिंह खाती ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कौसानी के चाय बागान राज्य सरकार का संयुक्त उपक्रम था जिसको कुमाऊँ मंडल विकास निगम और बेंगलुरु की गिरियाज इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ मिलकर सरकार चलाती थी, जिसमें प्राइवेट कंपनी की 11% भागीदारी थी, इस बागान में कौसानी व आसपास के 300 हेक्टेयर भूमि पर हरी चाय पत्ती का उत्पादन करा जाता था, जिसमें करीब 30 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति की थी, लेकिन उत्तराखंड टी बोर्ड और उत्तरांचल टी कंपनी के तालमेल की कमी के कारण सरकार द्वारा 2014 में फैक्टरी को बंद कर दिया गया, जिस वजह से फैक्ट्री के कर्मचारी बेरोजगार हो गए,
वही याचिकाकर्ता का कहना है कि बेंगलुरु की गिरियाज इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के ऊपर चाय बागान का करीब 44 लाख का बकाया है जिसको लेने के लिए भी राज्य सरकार कोई कदम नहीं उठा रही।


Conclusion:याचिकाकर्ता का कहना है कि फैक्ट्री बंद होने की वजह से कौसानी और उसके आस-पास के चाय बागान की चाय पत्ती के उत्पादन में असर पड़ा, जिससे राजस्व की हानि भी वहीं पर्यटन, पलायन संबंधी समस्याओं से क्षेत्र को रूबरू होना पड़ा, क्योंकि जब से क्षेत्र में टी गार्डन बंद हुए इस क्षेत्र में पर्यटको ने आना बंद कर दिया क्योंकि पहले पर्यटक की गार्डन को देखने भारी संख्या में की गार्डन आया करते थे, लेकिन अब पर्यटक यहां नहीं आ रहे हैं जिस वजह से यहां के लोगों को पलायन भी करना पड़ रहा है।
आज मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य सचिव उत्तराखंड सचिव उद्यान अध्यक्ष उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड निदेशक चाय विकास बोर्ड टी बोर्ड इंडिया समेत महाप्रबंधक उत्तराखंड की कंपनी को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- डीके जोशी अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
Last Updated : Oct 16, 2019, 12:47 PM IST
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