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विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को फ्री में बिजली देने पर हाईकोर्ट सख्त, UPCL और UJVNL से मांगा जवाब

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Published : Feb 11, 2020, 11:54 PM IST

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में विद्युत विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को मुफ्त में दी जा रही बिजली मामले में उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड और उत्तराखंड जल विद्युत निगम से जवाब मांगा है.

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नैनीतालः उत्तराखंड में विद्युत विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को मुफ्त में दी जा रही बिजली के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले में मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की खंडपीठ ने उत्तराखंड पावर कॉर्पोेरेशन लिमिटेड और उत्तराखंड जल विद्युत निगम से जवाब मांगा है. साथ ही दो हफ्ते के भीतर विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि देहरादून की आरटीआई क्लब ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकार विद्युत विभाग में तैनात अधिकारियों से एक महीने का बिल मात्र ₹400 से ₹500 और कर्मचारियों से मात्र ₹100 ले रही है, जबकि इन कर्मचारियों और अधिकारियों का बिल लाखों में आता है. जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है. लिहाजा इन लोगों से बाजार भाव के हिसाब से किराया लिया जाए.

विद्युत विभाग के अधिकारियों को फ्री में बिजली देने पर हाई कोर्ट सख्त.

ये भी पढ़ेंः नैनीताल HC ने सरकार को दिया महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी समेत 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी करने का आदेश

वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घरों में बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं. जहां लगे भी हैं तो वह खराब स्थिति में हैं. इतना ही नहीं याचिकाकर्ता ने कोर्ट में करीब 300 से ज्यादा ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट कोर्ट में पेश की है, जिनके घरों में आज तक बिजली के मीटर नहीं लगे हैं या कई खराब पड़े हुए हैं.

पावर कॉर्पोरेशन ने हाल में हुई बैठक में अधिकारियों और कर्मचारियों को दिए जाने वाली बिजली की फ्री यूनिट के मामले पर हाईकोर्ट में बताया कि उनकी ओर से फ्री में बिजली देने के लिए नए मानक तय किए हैं. जिसमें विभाग की ओर से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 6000 यूनिट सालाना, द्वितीय श्रेणी कर्मचारियों को 7000 यूनिट सालाना, जूनियर इंजीनियर (जेई) को 7500 यूनिट सालाना जबकि, यूपीसीएल के जनरल मैनेजर और एमडी स्तर तक के अधिकारियों को 9000 यूनिट बिजली फ्री में दी जाएगी.

नैनीतालः उत्तराखंड में विद्युत विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को मुफ्त में दी जा रही बिजली के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले में मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की खंडपीठ ने उत्तराखंड पावर कॉर्पोेरेशन लिमिटेड और उत्तराखंड जल विद्युत निगम से जवाब मांगा है. साथ ही दो हफ्ते के भीतर विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि देहरादून की आरटीआई क्लब ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकार विद्युत विभाग में तैनात अधिकारियों से एक महीने का बिल मात्र ₹400 से ₹500 और कर्मचारियों से मात्र ₹100 ले रही है, जबकि इन कर्मचारियों और अधिकारियों का बिल लाखों में आता है. जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है. लिहाजा इन लोगों से बाजार भाव के हिसाब से किराया लिया जाए.

विद्युत विभाग के अधिकारियों को फ्री में बिजली देने पर हाई कोर्ट सख्त.

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वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घरों में बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं. जहां लगे भी हैं तो वह खराब स्थिति में हैं. इतना ही नहीं याचिकाकर्ता ने कोर्ट में करीब 300 से ज्यादा ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट कोर्ट में पेश की है, जिनके घरों में आज तक बिजली के मीटर नहीं लगे हैं या कई खराब पड़े हुए हैं.

पावर कॉर्पोरेशन ने हाल में हुई बैठक में अधिकारियों और कर्मचारियों को दिए जाने वाली बिजली की फ्री यूनिट के मामले पर हाईकोर्ट में बताया कि उनकी ओर से फ्री में बिजली देने के लिए नए मानक तय किए हैं. जिसमें विभाग की ओर से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 6000 यूनिट सालाना, द्वितीय श्रेणी कर्मचारियों को 7000 यूनिट सालाना, जूनियर इंजीनियर (जेई) को 7500 यूनिट सालाना जबकि, यूपीसीएल के जनरल मैनेजर और एमडी स्तर तक के अधिकारियों को 9000 यूनिट बिजली फ्री में दी जाएगी.

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