नैनीताल: अगले साल (2021) हरिद्वार में आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारियों को लेकर राज्य सरकार ने बुधवार को नैनीताल हाई कोर्ट में शपथ-पत्र पेश किया था, जिससे कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने राज्य सरकार को दोबारा से 9 दिसंबर तक विस्तृत जानकारी के साथ शपथ-पत्र पेश करने का कहा है. हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि सरकार कुंभ मेला अधिकारी से संपर्क करे और पता लगाए कि मेले की तैयारियों में क्या-क्या कमियां रह गईं हैं और शपथ-पत्र में उल्लेख करें कि इन कमियों को कैसे दूर किया जा सकता है.
पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि कुंभ मेले को लेकर क्या-क्या तैयारी की गई है और कौन से काम अभी अधूरे रह गए हैं. पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा था कि कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं में कोरोना संक्रमण न फैले इसके लिए क्या व्यवस्था की गई है?
पढ़ें- हरिद्वार पहुंचे CM त्रिवेंद्र ने की मां गंगा की पूजा-अर्चना, तीर्थ पुरोहतों से मिले
वहीं, बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों को लेकर अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई. दुष्यंत मैनाली और सच्चिदानंद डबराल ने क्वारंटाइन सेंटरों और कोविड अस्पतालों की बदहाली और प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए हाई कोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं डालीं थीं, जिन्हें कोर्ट ने क्लब कर दिया.
हाई कोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि राज्य सरकार ने छह अस्पतालों को कोविड-19 के रूप में स्थापित किया है, लेकिन इन अस्पतालों में कोई भी आधारभूत सुविधा नहीं है. इस याचिका के बाद देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने भी उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने इन दोनों याचिकाओं का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को क्वारंटाइन सेंटरों की स्थिति ठीक करने के आदेश दिए थे.
वहीं, पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव को आदेश दिए थे कि वह सभी क्वारंटाइन सेंटरों पर जाकर अपनी रिपोर्ट पेश करें और उनकी स्थिति बताएं कि आखिर क्वारंटाइन सेंटरों की स्थिति क्या है? जिसके बाद जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव की रिपोर्ट में भी स्पष्ट हुआ था कि प्रदेश के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और बाहर से आ रहे लोगों के लिए उचित व्यवस्था नहीं है. जिसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि सभी क्वारंटाइन सेंटरों की स्थिति को ठीक करें और जिन ग्रामीण क्षेत्रों में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं, उन सभी ग्राम प्रधानों को जल्द से जल्द बजट अवमुक्त करें ताकि बाहर से आ रहे लोगों को उचित व्यवस्था मिल सके.