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हरिद्वार कुंभ कोविड फर्जी टेस्टिंग मामले में सुनवाई, कल HC में जवाब पेश करेगी सरकार

हरिद्वार कुंभ कोरोना फर्जीवाड़ा मामले में कल भी सुनवाई जारी रहेगी. सरकार ने कोर्ट से जवाब पेश करने के लिए एक दिन का वक्त मांगा था.

हरिद्वार कुंभ कोविड फर्जी टेस्टिंग मामले
हरिद्वार कुंभ कोविड फर्जी टेस्टिंग मामले
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Published : Sep 21, 2021, 5:11 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने हरिद्वार कुंभ कोरोना फर्जीवाड़ा मामले में लिप्त मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरद पंत व मलिका पन्त की तरफ से दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद कल भी सुनवाई जारी रखी है. सरकार ने आज (21 सितंबर) फिर से जवाब पेश करने के लिए कल का समय मांगा था.

कोर्ट ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए कल (22 सितंबर) तक का समय देते हुए कल भी सुनवाई जारी रखी है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ में हुई. याचिकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए, क्योंकि पुलिस उनको गिरफ्तार करने जा रही है, लेकिन कोर्ट ने सरकार से इसमें कल तक जवाब पेश करने को कहा है.

पढ़ें- हरिद्वार कुंभ कोविड फर्जी टेस्टिंग मामले में सुनवाई, HC ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

मामले के अनुसार शरद पंत और मलिका पंत ने याचिका दायर कर कहा था कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर हैं. परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था. इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था. इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था, उसे अपनी मंजूरी दे दी. अगर कोई गलत कार्य कर रहा था, तो कुंभ मेले की पूरी अवधि के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे?

बता दें कि इस मामले में तत्कालीन हरिद्वार जिलाधिकारी के आदेश पर जांच के लिए जो टीम गठित हुई थी, वो पिछले महीने ही अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप चुकी है. जिलाधिकारी ने वो रिपोर्ट शासन को दे दी है. शासन ने रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई भी की है, जबकि इस मामले में पुलिस की तरफ से गठित एसआईटी भी जांच कर रही है.

पढ़ें- Kumbh Corona Test Scam: आरोपितों को HC से झटका, आगे नहीं बढ़ी गिरफ्तारी पर रोक

क्या है मामला: बता दें कि कुंभ मेला 2021 के दौरान हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की जांच का जिम्मा प्राइवेट लैब्स को दिया गया था. इन लैंबों द्वारा की गई कोरोना जांच सवालों के घेरे में आ गई है. कुंभ मेले के दौरान किए गए एक लाख कोरोना टेस्ट रिपोर्ट फर्जी मिले हैं. प्राइवेट लैब द्वारा फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं की जांच कर कुंभ मेला प्रशासन को लाखों रुपए का चूना लगाने का प्रयास किया गया है. इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है.

यही नहीं, कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार नंबर का इस्तेमाल किया गया है. वहीं, एक ही घर से सैकड़ों लोगों की जांच का मामला भी सामने आया है, जो असंभव सा लगता है. सैकड़ों लोगों की रिपोर्ट में घर का एक ही पता डाला गया है.

ऐसे हुआ खुलासा: हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा ऐसे ही नहीं हुआ. स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं यह कहानी शुरू हुई पंजाब के फरीदकोट से. यहां रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी. एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन आता है, जिसमें यह कहा जाता है कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है', जिसके बाद विपन कॉलर को जवाब देता है कि उसका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई. फोन आने के बाद विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी थी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की.

ICMR ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा था.उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची. जब उन्होंने पूरे मामले की जांच करायी तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी पाए गए.

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने हरिद्वार कुंभ कोरोना फर्जीवाड़ा मामले में लिप्त मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरद पंत व मलिका पन्त की तरफ से दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद कल भी सुनवाई जारी रखी है. सरकार ने आज (21 सितंबर) फिर से जवाब पेश करने के लिए कल का समय मांगा था.

कोर्ट ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए कल (22 सितंबर) तक का समय देते हुए कल भी सुनवाई जारी रखी है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ में हुई. याचिकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए, क्योंकि पुलिस उनको गिरफ्तार करने जा रही है, लेकिन कोर्ट ने सरकार से इसमें कल तक जवाब पेश करने को कहा है.

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मामले के अनुसार शरद पंत और मलिका पंत ने याचिका दायर कर कहा था कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर हैं. परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था. इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था. इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था, उसे अपनी मंजूरी दे दी. अगर कोई गलत कार्य कर रहा था, तो कुंभ मेले की पूरी अवधि के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे?

बता दें कि इस मामले में तत्कालीन हरिद्वार जिलाधिकारी के आदेश पर जांच के लिए जो टीम गठित हुई थी, वो पिछले महीने ही अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप चुकी है. जिलाधिकारी ने वो रिपोर्ट शासन को दे दी है. शासन ने रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई भी की है, जबकि इस मामले में पुलिस की तरफ से गठित एसआईटी भी जांच कर रही है.

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क्या है मामला: बता दें कि कुंभ मेला 2021 के दौरान हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की जांच का जिम्मा प्राइवेट लैब्स को दिया गया था. इन लैंबों द्वारा की गई कोरोना जांच सवालों के घेरे में आ गई है. कुंभ मेले के दौरान किए गए एक लाख कोरोना टेस्ट रिपोर्ट फर्जी मिले हैं. प्राइवेट लैब द्वारा फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं की जांच कर कुंभ मेला प्रशासन को लाखों रुपए का चूना लगाने का प्रयास किया गया है. इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है.

यही नहीं, कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार नंबर का इस्तेमाल किया गया है. वहीं, एक ही घर से सैकड़ों लोगों की जांच का मामला भी सामने आया है, जो असंभव सा लगता है. सैकड़ों लोगों की रिपोर्ट में घर का एक ही पता डाला गया है.

ऐसे हुआ खुलासा: हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा ऐसे ही नहीं हुआ. स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं यह कहानी शुरू हुई पंजाब के फरीदकोट से. यहां रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी. एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन आता है, जिसमें यह कहा जाता है कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है', जिसके बाद विपन कॉलर को जवाब देता है कि उसका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई. फोन आने के बाद विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी थी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की.

ICMR ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा था.उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची. जब उन्होंने पूरे मामले की जांच करायी तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी पाए गए.

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