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सरकारी सिस्टम की फिर खुली पोल, अस्पतालों के चक्कर काटता रहा मरीज

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Published : Oct 9, 2020, 9:05 PM IST

उत्तराखंड में सरकारी अस्पताल की उदासीनता का ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके है, जहां सरकारी डॉक्टरों की लापरवाही से मरीजों की मौत तक हो चुकी है.

Haldwani
हल्द्वानी

हल्द्वानी: सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का राज्य सरकार तमाम दावा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत दावों से कोसो दूर है. सरकारी अस्पतालों की उदासीनता किसी से छुपी नहीं है. शुक्रवार को हल्द्वानी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने एक बार भी सरकारी सिस्टम की पोल खोल दी है.

दरअसल, गंभीर रूप से आग से झुलसे एक व्यक्ति को पहले सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसे बेस अस्पताल में भेज दिया. जिसके बाद तड़पता हुआ मरीज बेस अस्पताल पहुंचा, लेकिन वहां से भी उसको निराशा हाथ लगी. वहां के डॉक्टरों ने कहा कि यहां पर बर्न वॉर्ड नहीं है और फिर से मरीज को सुशीला तिवारी अस्पताल भेज दिया. ऐसे में दो अस्पतालों के बीच गंभीर रूप से जला हुआ मरीज घंटों तड़पता रहा.

पढ़ें- चारधाम परियोजना का तीसरा पैकेज जल्द होगा पूरा, देवप्रयाग से स्वीत पुल तक सरपट दौड़ेंगे वाहन

जानकारी के मुताबिक काशीपुर निवासी 38 वर्षीय चंदन कुमार शुक्रवार को एक हादसे में करीब 50 प्रतिशत से अधिक झुलस गया था. परिजनों ने चंदन को काशीपुर के सरकारी अस्पताल में दिखाया, जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत को देखते हुए सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी रेफर कर दिया.

परिजन मरीज को लेकर सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने मरीज को प्राथमिक उपचार देकर बेस अस्पताल भेज दिया. इसके बाद परिजन मरीज को लेकर बेस अस्पताल पहुंचे, लेकिन यहां डॉक्टरों ने बर्न वार्ड न होने की बात कर मरीज को वापस सुशीला तिवारी अस्पताल भेज दिया.

परिजन फिर मरीजों को लेकर सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचे, लेकिन यहां भी डॉक्टर मरीजों को भर्ती करने के लिए आनाकानी करने लगे, जिसके बाद परिजनों ने हंगामा किया. इसके बाद कही जाकर डॉक्टरों ने मरीज को सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती किया.

परिजनों का कहना है कि वे गंभीर हालत में मरीजों को लेकर इधर से उधर घूमते रहे, लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की. इस मामले में बेस अस्पताल के पीएमएस हरीश लाल का कहना है कि बेस अस्पताल में जले हुए गंभीर मरीजों का इलाज नहीं होता है. बेस अस्पताल में बर्न वार्ड नहीं है. जिसके चलते मरीज को फिर से सुशीला तिवारी अस्पताल भेजा गया था.

हल्द्वानी: सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का राज्य सरकार तमाम दावा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत दावों से कोसो दूर है. सरकारी अस्पतालों की उदासीनता किसी से छुपी नहीं है. शुक्रवार को हल्द्वानी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने एक बार भी सरकारी सिस्टम की पोल खोल दी है.

दरअसल, गंभीर रूप से आग से झुलसे एक व्यक्ति को पहले सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसे बेस अस्पताल में भेज दिया. जिसके बाद तड़पता हुआ मरीज बेस अस्पताल पहुंचा, लेकिन वहां से भी उसको निराशा हाथ लगी. वहां के डॉक्टरों ने कहा कि यहां पर बर्न वॉर्ड नहीं है और फिर से मरीज को सुशीला तिवारी अस्पताल भेज दिया. ऐसे में दो अस्पतालों के बीच गंभीर रूप से जला हुआ मरीज घंटों तड़पता रहा.

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जानकारी के मुताबिक काशीपुर निवासी 38 वर्षीय चंदन कुमार शुक्रवार को एक हादसे में करीब 50 प्रतिशत से अधिक झुलस गया था. परिजनों ने चंदन को काशीपुर के सरकारी अस्पताल में दिखाया, जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत को देखते हुए सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी रेफर कर दिया.

परिजन मरीज को लेकर सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने मरीज को प्राथमिक उपचार देकर बेस अस्पताल भेज दिया. इसके बाद परिजन मरीज को लेकर बेस अस्पताल पहुंचे, लेकिन यहां डॉक्टरों ने बर्न वार्ड न होने की बात कर मरीज को वापस सुशीला तिवारी अस्पताल भेज दिया.

परिजन फिर मरीजों को लेकर सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचे, लेकिन यहां भी डॉक्टर मरीजों को भर्ती करने के लिए आनाकानी करने लगे, जिसके बाद परिजनों ने हंगामा किया. इसके बाद कही जाकर डॉक्टरों ने मरीज को सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती किया.

परिजनों का कहना है कि वे गंभीर हालत में मरीजों को लेकर इधर से उधर घूमते रहे, लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की. इस मामले में बेस अस्पताल के पीएमएस हरीश लाल का कहना है कि बेस अस्पताल में जले हुए गंभीर मरीजों का इलाज नहीं होता है. बेस अस्पताल में बर्न वार्ड नहीं है. जिसके चलते मरीज को फिर से सुशीला तिवारी अस्पताल भेजा गया था.

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