हल्द्वानीः सरकारी और निजी बैंकों के साथ-साथ फाइनेंस कंपनियां गोल्ड लोन देने के नाम पर घटतौली कर चूना लगाने का काम कर रही हैं. उधर बाट-माप विभाग बैंकों और कंपनियों पर शिकंजा कसने के बजाय अनजान बना हुआ है. ऐसे में गोल्ड लोन लेने वाले ग्राहक के साथ यह कंपनियां उनकी मोटी कमाई वसूल रही हैं. हल्द्वानी शहर के अधिकतर गोल्ड लोन देने वाले बैंक और कंपनियों के पास न ही बाट-माप विभाग द्वारा प्रमाणित स्टांपिंग तौल यंत्र है और न ही इनके पास बाट-माप विभाग का लाइसेंस या सत्यापन है.
बाट-माप के नियम के मुताबिक गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों और बैंकों को अपने तौल यंत्र को विभाग द्वारा सत्यापित कराना और स्टांपिंग मुहर लगाना अनिवार्य है. ईटीवी भारत को इस मामले में बाट-माप विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय से जानकारी के मुताबिक फिलहाल हल्द्वानी शहर में आईसीआईसीआई बैंक को छोड़कर किसी भी बैंक या कंपनी ने तौल यंत्र का स्टांपिंग और सत्यापन नहीं कराया है. न ही कोई लाइसेंस बनवाया है. हल्द्वानी में एक दर्जन से अधिक सरकारी और निजी बैंक हैं, जो ग्राहकों को गोल्ड लोन उपलब्ध करा रहे हैं. लोग अपने गोल्ड को गिरवी रख अपनी आवश्यकता के अनुसार लोन लेते हैं. कई बार ऐसा होता है कि लोग लोन की राशि जमा नहीं कर पाते हैं, जिसके बदले में बैंक उक्त सोने को जब्त कर लेता है. ऐसे में ग्राहकों को पता नहीं चलता है कि उनका सोना कितना था और उसके साथ कितने की घटतौली की गई है.
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आमतौर पर देखा गया है कि बाट-माप विभाग राशन की दुकान हो या बड़े-बड़े तौल कांटों द्वारा घटतौली की शिकायत मिलने पर जुर्माने की कार्रवाई के साथ-साथ लाइसेंस निरस्तीकरण का करता है. लेकिन अधिकतर लोगों को पता नहीं होता है कि गोल्ड लोन देने वाली कंपनियां और बैंक भी उनके साथ घटतौली कर चूना लगा रहे हैं.
इस पूरे मामले में सहायक नियंत्रक अधिकारी बाट-माप विभाग कुमाऊं मंडल मोहन सिंह बिष्ट का कहना है कि ईटीवी भारत के माध्यम से मामला उनके संज्ञान में आया है. जल्द ही बैंकों के सत्यापन को लेकर अभियान चलाया जाएगा. जिन बैंकों द्वारा ग्राहकों के साथ घटलौती की शिकायत मिलेगी उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.