नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में चार चीनी नागरिकों की वतन वापसी की मांग को लेकर सुनवाई हुई. मामले में कोर्ट ने उन चारों को कोई राहत नहीं देते हुए अगली सुनवाई एक हफ्ते बाद करने की बात कही है. मामले की सुनवाई न्यायाधीश आरसी खुल्बे की एकल पीठ में हुई. हाईकोर्ट में चारों ने अपने परिवार से मिलने के लिए याचिका दाखिल की. लेकिन सरकार ने कोर्ट से कहा कि इनको देश छोड़ने की अनुमति न दी जाए. क्योंकि अगर ये चीन गये तो लौटकर नहीं आएंगे.
टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे ये चीनी: मामले के अनुसार साल 2018 में चार चीनी नागरिक वांग गुवांग, वेंग शूं जेन, नी हे पेंग, लीयो जीन कांग भारत घूमने के लिए आए थे. जिन्हें मुंबई पुलिस ने सोने की तस्करी के आरोपी में गिरफ्तार किया था. महाराष्ट्र हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद चारों चीनी नागरिकों को रिहा कर दिया गया था. साल 2019 में चारों चीनी नागरिक उत्तराखंड के चंपावत के बनबसा से गिरफ्तार किये गए थे.
उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक चारों चीनी नागरिक फर्जी वोटर आईडी कार्ड के जरिए बनबसा से नेपाल जाने की फिराक में थे. इसके बाद पुलिस ने इनके खिलाफ धारा 120बी, 420, 467 और 471 में मुकदमा दर्ज कर कोर्ट में पेश किया. कोर्ट के आदेश पर इन्हें चंपावत जेल भेज दिया था.
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न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. फर्जी वोटर आईडी के आरोप में बंद इन चारों ने निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने इन सभी को जमानत देते हुए हर हफ्ते बनबसा थाने में हाजिरी लगाने का आदेश दिया था, तब से ये चंपावत क्षेत्र में रह रहे थे.
2018 से भारत में रह रहे इन चीनी नागरिकों ने अब कोर्ट से मांग की है कि उन्हें अपने देश जाने की अनुमति दी जाए, क्योंकि वो अपने परिवार और बच्चों से मिलना चाहते हैं. चारों आरोपियों ने चीन वापस भेजे जाने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसपर अगली सुनवाई एक हफ्ते बाद होगी.