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वनों को भाया लॉकडाउन, आग लगने की घटनाओं में आई कमी

हर साल 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो जाता है. एक अप्रैल के बाद वनाग्नि की घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से प्रकृति में काफी बदलाव देखने को मिला है. इस वजह से वनाग्नि की घटनाओं में कमी आई है.

हल्द्वानी
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Published : Apr 22, 2020, 9:37 AM IST

हल्द्वानी: गर्मी बढ़ने के साथ ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी सामने आने लगती हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से तस्वीर कुछ अलग नजर आ रही है. पिछले साल के मुकाबले इस बार फायर सीजन में वनाग्नि की घटनाओं में कमी देखी गई है. इसकी एक बड़ी वजह जंगलों में लोगों की आवाजाही कम होना बताया जा रहा है.

हर साल 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो जाता है. पिछले साल एक अप्रैल से 15 अप्रैल तक प्रदेश में वनाग्नि के 149 मामले सामने आए थे. लेकिन इस बार इन 15 दिनों में वनाग्नि की सिर्फ 84 घटनाएं हुई हैं. यानी कि लॉकडाउन की वजह से इस बार वनाग्नि में के मामलों में कमी आई है. हालांकि अभी जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी वनाग्नि के मामले बढ़ने की आशंका है.

बता दें हर साल गर्मियों में जंगलों में लगने वाली आग से करोड़ों रुपए की वन संपदा जलकर राख हो जाती है. कई जंगलों जानवरों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगता है. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से पर्यावरण में काफी बदलाव देखने को मिला है. जंगल के बीच से होकर गुजर रही सड़कों पर किसी तरह की आवाजाही नहीं है. जंगल भी सुनसान हैं.

पढ़ें- कोरोना के खिलाफ 'जंग' में 80 साल की कमला पंत ने दान किये 50 हजार रुपए, बोलते-बोलते हुईं भावुक

माना जा रहा है कि लॉकडाउन की वजह से प्रकृति से छेड़छाड़ कम हुई है. प्रकृति ने अपना स्वभाव बदलना शुरू कर दिया है. इसका ही असर है कि इस बार वनाग्नि पर काफी हद काबू किया जा सका है.

मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं पराग मधुकर धकाते की मानें तो लॉकडाउन के चलते जंगलों में लोगों की आवाजाही कम हुई है. इसके अलावा तापमान अभी कम है. जंगलों में अभी नमी बनी हुई है, जिसका असर यह है कि जंगलों में आग की घटनाएं कम हुई हैं, जो वन्य जीवों के लिहाज से बहुत बेहतर साबित हो रहा है.

हल्द्वानी: गर्मी बढ़ने के साथ ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी सामने आने लगती हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से तस्वीर कुछ अलग नजर आ रही है. पिछले साल के मुकाबले इस बार फायर सीजन में वनाग्नि की घटनाओं में कमी देखी गई है. इसकी एक बड़ी वजह जंगलों में लोगों की आवाजाही कम होना बताया जा रहा है.

हर साल 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो जाता है. पिछले साल एक अप्रैल से 15 अप्रैल तक प्रदेश में वनाग्नि के 149 मामले सामने आए थे. लेकिन इस बार इन 15 दिनों में वनाग्नि की सिर्फ 84 घटनाएं हुई हैं. यानी कि लॉकडाउन की वजह से इस बार वनाग्नि में के मामलों में कमी आई है. हालांकि अभी जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी वनाग्नि के मामले बढ़ने की आशंका है.

बता दें हर साल गर्मियों में जंगलों में लगने वाली आग से करोड़ों रुपए की वन संपदा जलकर राख हो जाती है. कई जंगलों जानवरों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगता है. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से पर्यावरण में काफी बदलाव देखने को मिला है. जंगल के बीच से होकर गुजर रही सड़कों पर किसी तरह की आवाजाही नहीं है. जंगल भी सुनसान हैं.

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माना जा रहा है कि लॉकडाउन की वजह से प्रकृति से छेड़छाड़ कम हुई है. प्रकृति ने अपना स्वभाव बदलना शुरू कर दिया है. इसका ही असर है कि इस बार वनाग्नि पर काफी हद काबू किया जा सका है.

मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं पराग मधुकर धकाते की मानें तो लॉकडाउन के चलते जंगलों में लोगों की आवाजाही कम हुई है. इसके अलावा तापमान अभी कम है. जंगलों में अभी नमी बनी हुई है, जिसका असर यह है कि जंगलों में आग की घटनाएं कम हुई हैं, जो वन्य जीवों के लिहाज से बहुत बेहतर साबित हो रहा है.

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