नैनीताल/हल्द्वानी: जंगलों में इन दिनों आग लगने का सिलसिला जारी है. नैनीताल के अधिकांश जंगल आग की चपेट में हैं. इससे बहुमूल्य वन संपदा जलकर पूरी तरह से खाक हो चुकी है. वहीं जंगल में आग लगने से जंगली जानवरों के जीवन पर संकट खड़ा हो गया है. हल्द्वानी के जंगलों में भी आग धधक रही है.
नैनीताल के अधिकांश जंगल आग की चपेट में
नैनीताल के अधिकांश जंगल आग की चपेट में है. बता दें कि, नैनीताल का पंगूट, किलबरी, भीमताल समेत आसपास का क्षेत्र बर्ड वाचिंग के लिए जाना जाता है. यहां 700 प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं. इनके सामने अपना जीवन आग से बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है. पर्यावरणविद अजय रावत का कहना है कि आग लगने की घटना के बाद से चिड़ियों के घोसले पूरी तरह जलकर नष्ट हो गए हैं. पक्षियों की कई प्रजातियों पर संकट खड़ा हो गया है.
जंगलों में आग लगने की घटना के बाद से वन विभाग मुस्तैद होने का दावा कर रहा है. जैसे ही आग लगने की सूचना मिल रही है वह आग पर काबू पाने के लिए निकल रहे हैं. आग पर काबू पाने के लिए उत्तराखंड फायर सर्विस, आपदा प्रबंधन समेत वन विभाग के कर्मचारी दिन-रात जुटे हैं. इसके बावजूद भी आग पर काबू पाने में विभाग असफल है.
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जानकारों का कहना है कि बीते दिनों नैनीताल समेत उत्तराखंड में मौसम की बेरुखी के चलते बारिश न के बराबर हुई. इस वजह से जंगल सूख गए हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने का सिलसिला तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले समय में अगर बारिश नहीं हुई तो स्थिति और भयावह हो सकती है. लिहाजा वन विभाग को आग बुझाने की तरफ गंभीरता से ध्यान देना चाहिए. ताकि अमूल्य वन संपदा और वन्य जीव-जंतुओं को बचाया जा सके.
सूचना पर वन विभाग देगा 10 हजार का इनाम
उत्तराखंड के जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए सरकार और वन विभाग तेजी से काम कर रही है. लेकिन कई बार सूचनाओं के देरी से मिलने पर आग विकराल रूप धारण कर ले रहा है.
नैनीताल वन प्रभाग के डीएफओ डीआर बीजू लाल ने जंगल में आग लगाने वालों की सूचना देने पर 10 हजार रुपए के नाम की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति जंगल में आग लगाने वाले की सूचना वन विभाग को देगा, उसका नाम गुप्त रखा जाएगा. डीएफओ बीजूलाल का कहना है कि जंगल में आग लगने की घटना से 80 प्रतिशत तक मानव निर्मित है. जिस वजह से बहुमूल्य वन संपदा जलकर खाक हो रही है. नैनीताल डीएफओ द्वारा बताया गया कि अगर जो व्यक्ति आग लगाने में शामिल होगा, उसके खिलाफ वन अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.
मंडलवार नुकसान के आंकड़े
- गढ़वाल मंडल में बीते चार महीनों में आग लगने की 430 घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें 501 हेक्टेयर जंगल जले हैं. इस आग में 6350 पेड़ जले हैं. कुल मिलाकर 18 लाख 44 हजार 700 रुपए का नुकसान हुआ है.
- कुमाऊं मंडल में बीते चार महीने में आग लगने की 276 घटनाएं सामने आईं. आग की घटनाओं में 396 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो गया और 2603 लोग इन घटनाओं में प्रभावित हुए. साथ ही 11 लाख 45 हजार 260 रुपए का नुकसान हुआ है.
- उत्तराखंड के वाइल्ड लाइफ क्षेत्र में कुल 17 घटनाएं हुईं, जिसमें 20.9 हेक्टेयर जंगल जले और 28,838 का नुकसान हुआ.
- आंकड़ों पर गौर करें तो बीते चार महीने में प्रदेश के जंगलों में आग लगने की 723 घटनाएं हुईं. जिसमें 917 हेक्टेयर जंगल जले और 8,950 पेड़ों में आग लगी. इस दौरान 30 लाख 18 हजार 798 रुपए का नुकसान हुआ.
हल्द्वानी में जंगल की आग घरों और फसलों तक पहुंचने से ग्रामीण परेशान
हल्द्वानी और आसपास क्षेत्रों के जंगलों में कई जगहों पर आग धधक रही है. यहां जंगल जल रहे हैं तो वहीं वन्यजीवों पर भी खतरा बना हुआ है. वहीं जंगल की आग अब लोगों की घरों और फसलों तक पहुंच रही है. वन विभाग आग बुझाने में लाचार साबित हो रहा है. वहीं अब किसानों को उनकी खड़ी फसल में आग लगने का खतरा भी सताने लगा है. हल्द्वानी के हरिपुर जमन सिंह गांव से सटे जंगलों में देर रात से भीषण आग लगी हुई है तेज हवा के चलते आग और विकराल रूप ले रही है. जिससे ग्रामीण भी अब दहशत में हैं.
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ग्रामीण खुद ही अब आग बुझाने में जुटे हुए हैं. वन विभाग जंगलों में लगी आग पर काबू नहीं कर पा रहा है. उत्तराखंड के वनों में आग की घटनाओं को देखते हुए वन विभाग ने कुछ फोन नंबर रिलीज किए हैं. अगर किसी को वन में लगी आग सूचना वन विभाग को देनी हो तो इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं
इन नंबरों पर कर सकते हैं फोन
- उत्तराखंड वन विभाग के MCR का टोल फ्री फोन नंबर- 18001804141
- फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के ऑफिस का नंबर- 0135-2744558
- फॉरेस्ट विभाग का व्हट्सअप नंबर- 9389337488, 7668304788
- उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर कंट्रोल रूम नंबर- 955744448
जंगल में आग लगने की वजह
जानकारों के मुताबिक, 2 से 3 साल में मौसम में बदलाव और कम बारिश आग लगने की प्रमुख वजहों में एक है. बताया गया है कि इस बार करीब 65% वर्षा कम हुई है, जिससे जंगल शुष्क स्थिति में हैं. पिछले साल कोविड-19 के दौरान पिछले 20 सालों में सबसे कम जंगल जलने का रिकॉर्ड रहा था. ऐसे में जंगलों में सूखी पत्तियां, पेड़ और लकड़ियों की वजह से आग तेजी लगी. लॉकडाउन के बाद अचानक जंगलों में लोगों की आवाजाही का बढ़ना भी आग लगने की बड़ी वजहों में एक है.
लोगों की लापरवाही एक बड़ा कारण
बारिश की कमी से जंगलों में ज्यादातर कांटेदार झाड़ियों और सूखी लकड़ियों की भरमार हो जाती है, जो जरा सी चिंगारी पर भी बहुत जल्दी आग पकड़ती हैं. ऐसे में लोगों की छोटी सी लापरवाही भी एक बहुत बड़ी गलती बन जाती है. कभी सिगरेट पीते-पीते वहीं पर माचिस की तीली या कैंप पर आए लोगों द्वारा रोशनी के लिए लापरवाही से जलाई गई लकड़ियों से पूरे जंगल में आग फैल जाती है. मान सिंह के अनुसार, इस साल गर्मी के दौरान जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ सकती हैं, हालांकि इससे निपटने के लिए हमने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं.जंगलों में आग लगने से आसपास के ग्रामीणों को भी भारी परेशानियों और नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. कई लोगों ने अपने बाग-बगीचे खो दिए तो किसी आग की वजह से किसी की पूरी फसल ही जलकर राख हो गई है.