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अपने आराध्य की कृपा से यहां के ग्रामीणों को नहीं रहता खूंखार जानवरों का खौफ, मंदिर में चढ़ाते हैं दरांती - हल्द्वानी भगवान कृष्ण मंदिर

मंदिर तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई और घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान गोपाल जी की के आशीर्वाद से आजतक उनके इलाकों में कभी फसल बर्बाद नहीं हुई.

फतेहपुर गांव में स्थित गोपाल बिष्ट मंदिर.
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Published : Jul 19, 2019, 2:29 PM IST

Updated : Jul 19, 2019, 7:06 PM IST

हल्द्वानी: देवभूमि के हर मंदिर में अलग-अलग परम्पराएं देखने को मिलती हैं. देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आध्यात्म को आत्मसात करने पहुंचते हैं. अक्सर आपने मंदिर में श्रद्धालुओं को मन्नत पूरी होने पर घंटियां, छत्र आदि दान देते देखा होगा लेकिन देवभूमि में एक ऐसा मंदिर भी है जहां श्रद्धालु मुराद पूरी होने पर अपने अराध्य को दरांती चढ़ाते हैं.

इस मंदिर में चढ़ाते हैं दरांती.

हल्द्वानी से 20 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच फतेहपुर गांव में गोपाल बिष्ट जी का मंदिर है. जहां लोग मुरादें पूरी होने पर दरांती चढ़ाते हैं. इसके पीछे मान्यता है कि गोपाल जी मंदिर गांव, खेती-किसानी और मवेशियों की रक्षा करते हैं. कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र के फतेहपुर गांव की पहाड़ी पर बना गोपाल बिष्ट जी का दशकों पुराना मंदिर लोगों की अटूट आस्था का केन्द्र है. ये मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है.

मंदिर तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई और घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान गोपाल जी की के आशीर्वाद से आजतक उनके इलाकों में कभी फसल बर्बाद नहीं हुई, न ही ग्रामीणों पर किसी जंगली जानवर ने हमला किया. यही नहीं, भगवान के आशीर्वाद से उनके मवेशी बीमार भी नहीं होते. अगर कोई जानवर बीमार हो भी जाता है तो विभूत लगाते ही ठीक हो जाता है.

पढ़ें-ऋषिकेश: लक्ष्मणझूला पुल पूरी तरह से बंद, प्रशासन ने किया सील

यह मंदिर लामाचौड़, फतेहपुर, बासनी, कालाढूंगी सहित कई गांवों के लोगों की गहरी आस्था से जुड़ा हुआ है, जहां समय-समय पर कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक जंगल में बाघ, हाथी और अन्य जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है, लेकिन आज तक जंगल में चारा चुगने वाले जानवरों और काश्तकारों को कभी भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. यही नहीं जो भी महिलाएं घने जंगल में चारा लेने जाती हैं तो बेखौफ होकर अपना काम कर वापस लौटती हैं.

ग्रामीणों के मुताबिक, अगर उनके ऊपर कोई संकट आता है तो मंदिर में जाकर भगवान गोपाल बिष्ट से आशीर्वाद मांग कर उस संकट को दूर करने की मांग करते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद परिवार के साथ मंदिर जाकर दरांती चढ़ाकर भंडारा करते हैं.

मुरादें पूरी होने पर दरांती की पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के पेड़ में गाड़ दी जाती है. आज भी पेड़ पर गाड़ी हुई सैकड़ों दरांतियों को देखा जा सकता है, जो लोगों की आस्था को दर्शाती हैं साथ ही अतीत की परंपरा की गवाही देती दिखाई देती हैं.

हल्द्वानी: देवभूमि के हर मंदिर में अलग-अलग परम्पराएं देखने को मिलती हैं. देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आध्यात्म को आत्मसात करने पहुंचते हैं. अक्सर आपने मंदिर में श्रद्धालुओं को मन्नत पूरी होने पर घंटियां, छत्र आदि दान देते देखा होगा लेकिन देवभूमि में एक ऐसा मंदिर भी है जहां श्रद्धालु मुराद पूरी होने पर अपने अराध्य को दरांती चढ़ाते हैं.

इस मंदिर में चढ़ाते हैं दरांती.

हल्द्वानी से 20 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच फतेहपुर गांव में गोपाल बिष्ट जी का मंदिर है. जहां लोग मुरादें पूरी होने पर दरांती चढ़ाते हैं. इसके पीछे मान्यता है कि गोपाल जी मंदिर गांव, खेती-किसानी और मवेशियों की रक्षा करते हैं. कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र के फतेहपुर गांव की पहाड़ी पर बना गोपाल बिष्ट जी का दशकों पुराना मंदिर लोगों की अटूट आस्था का केन्द्र है. ये मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है.

मंदिर तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई और घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान गोपाल जी की के आशीर्वाद से आजतक उनके इलाकों में कभी फसल बर्बाद नहीं हुई, न ही ग्रामीणों पर किसी जंगली जानवर ने हमला किया. यही नहीं, भगवान के आशीर्वाद से उनके मवेशी बीमार भी नहीं होते. अगर कोई जानवर बीमार हो भी जाता है तो विभूत लगाते ही ठीक हो जाता है.

पढ़ें-ऋषिकेश: लक्ष्मणझूला पुल पूरी तरह से बंद, प्रशासन ने किया सील

यह मंदिर लामाचौड़, फतेहपुर, बासनी, कालाढूंगी सहित कई गांवों के लोगों की गहरी आस्था से जुड़ा हुआ है, जहां समय-समय पर कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक जंगल में बाघ, हाथी और अन्य जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है, लेकिन आज तक जंगल में चारा चुगने वाले जानवरों और काश्तकारों को कभी भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. यही नहीं जो भी महिलाएं घने जंगल में चारा लेने जाती हैं तो बेखौफ होकर अपना काम कर वापस लौटती हैं.

ग्रामीणों के मुताबिक, अगर उनके ऊपर कोई संकट आता है तो मंदिर में जाकर भगवान गोपाल बिष्ट से आशीर्वाद मांग कर उस संकट को दूर करने की मांग करते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद परिवार के साथ मंदिर जाकर दरांती चढ़ाकर भंडारा करते हैं.

मुरादें पूरी होने पर दरांती की पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के पेड़ में गाड़ दी जाती है. आज भी पेड़ पर गाड़ी हुई सैकड़ों दरांतियों को देखा जा सकता है, जो लोगों की आस्था को दर्शाती हैं साथ ही अतीत की परंपरा की गवाही देती दिखाई देती हैं.

Intro:sammry- मुराद पूरी होने पर इस मंदिर में चढ़ाई जाती है दरांती( इस खबर के विजुअल वाइट मिल से उठाएं) असाइनमेंट न्यूज़ है)

एंकर- मुराद पूरी होने पर लोगों द्वारा मंदिर में घंटी चलाने का नजारा मंदिरों में देखने को मिलता है। लेकिन यदि मुराद पूरी होने पर मंदिर में दरांती चढ़ाते लोग नजर आए तो आपको आश्चर्य जरूर आएगा। दरअसल मंदिर में दरांति चढ़ाने का यह नजारा हल्द्वानी से 20 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच फतेहपुर गांव के गोपाल बिष्ट जी का मंदिर का है जहां लोगों की मुरादे पूरी होने पर वहां दरांती चाहते हैं। मान्यता है कि गोपाल जी मंदिर गांव और उनके खेती किसानी और मवेशी की रक्षा करते हैं।
देखिए एक रिपोर्ट........


Body:हल्द्वानी के कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र के फतेहपुर गांव के ऊपर गाने पहाड़ी चोटियों के ऊपर बना दशकों पुराना मंदिर गोपाल बिष्ट जी का मंदिर है जो स्थानीय निवासियों की आस्था का प्रतीक है इस मंदिर का आस्था भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ा हुआ माना जाता है।
इस मंदिर में जाने के लिए आपको पहाड़ी के ऊपर 8 किलोमीटर घने जंगल के बीच से गुजर कर जाना पड़ेगा। बताया जाता है कि भगवान गोपाल जी की आशीर्वाद से आज तक उन इलाकों में कभी फसल बर्बाद नहीं हुआ नहीं किसी ग्रामीणों पर किसी जंगली जानवरों ने हमला किया , गोपाल बिष्ट जी की आशीर्वाद से उनके पशु भी कभी बीमार नहीं पड़ते हैं। अगर कोई जानवर बीमार पड़ता है तो मंदिर से विभूत ले जाकर लगा देने से वह ठीक हो जाता है।
यह मंदिर लामाचौड़ ,फतेहपुर , बासनी, कालाढूंगी सहित कई गांव का आस्था का प्रतीक बना हुआ है। यही नहीं यहां क्या स्थानीय निवासी समय-समय पर मंदिर में भव्य कार्यक्रम का भी आयोजन करते हैं।
ग्रामीणों के मुताबिक इस जंगल में बाघ ,हाथी और अन्य जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है लेकिन आज तक जंगल में चारा चुगने वाले जानवरों और काश्तकारों को कभी भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है ।यही नहीं जो भी महिलाएं घने जंगल में चारा पति लेने जाती हैं तो बेखौफ निश्चिंत होकर अपना काम कर वापस लौटती हैं।
ग्रामीणों के मुताबिक अगर उनके ऊपर कोई भी संकट आता है तो मंदिर में जाकर भगवान गोपाल बिष्ट से आशीर्वाद मांग कर उस संकट को दूर करने की मांग करते हैं जिसके बाद मन्नत पूरी होने के बाद परिवार के साथ मंदिर जाकर दरांती चलाते हैं और भंडारा का आयोजन करते हैं।
बाइट- ग्रामीण

मुरादें पूरी होने पर दराती की पूजा अर्चना तिलक कर मंदिर के करुण पेड़ में गाड़ दिया जाता है। आज भी लोगों की मन्नत पूरी होने पर उस मंदिर के पेड़ में गाड़ी हुई सैकड़ों दराती देखी जा सकती हैं।
बाइट- नवीन जोशी मंदिर पुजारी


Conclusion:उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है इसलिए भी यहां देवताओं का कण कण में बास है । वीरान जंगल में स्थित गोपाल जी का मंदिर गांव का आस्था का प्रतीक है जहां दशकों से स्थानीय ग्रामीण अपने पूर्वजों द्वारा बनाई गई इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
Last Updated : Jul 19, 2019, 7:06 PM IST
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