हल्द्वानी: देवभूमि के हर मंदिर में अलग-अलग परम्पराएं देखने को मिलती हैं. देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आध्यात्म को आत्मसात करने पहुंचते हैं. अक्सर आपने मंदिर में श्रद्धालुओं को मन्नत पूरी होने पर घंटियां, छत्र आदि दान देते देखा होगा लेकिन देवभूमि में एक ऐसा मंदिर भी है जहां श्रद्धालु मुराद पूरी होने पर अपने अराध्य को दरांती चढ़ाते हैं.
हल्द्वानी से 20 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच फतेहपुर गांव में गोपाल बिष्ट जी का मंदिर है. जहां लोग मुरादें पूरी होने पर दरांती चढ़ाते हैं. इसके पीछे मान्यता है कि गोपाल जी मंदिर गांव, खेती-किसानी और मवेशियों की रक्षा करते हैं. कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र के फतेहपुर गांव की पहाड़ी पर बना गोपाल बिष्ट जी का दशकों पुराना मंदिर लोगों की अटूट आस्था का केन्द्र है. ये मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है.
मंदिर तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई और घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान गोपाल जी की के आशीर्वाद से आजतक उनके इलाकों में कभी फसल बर्बाद नहीं हुई, न ही ग्रामीणों पर किसी जंगली जानवर ने हमला किया. यही नहीं, भगवान के आशीर्वाद से उनके मवेशी बीमार भी नहीं होते. अगर कोई जानवर बीमार हो भी जाता है तो विभूत लगाते ही ठीक हो जाता है.
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यह मंदिर लामाचौड़, फतेहपुर, बासनी, कालाढूंगी सहित कई गांवों के लोगों की गहरी आस्था से जुड़ा हुआ है, जहां समय-समय पर कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक जंगल में बाघ, हाथी और अन्य जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है, लेकिन आज तक जंगल में चारा चुगने वाले जानवरों और काश्तकारों को कभी भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. यही नहीं जो भी महिलाएं घने जंगल में चारा लेने जाती हैं तो बेखौफ होकर अपना काम कर वापस लौटती हैं.
ग्रामीणों के मुताबिक, अगर उनके ऊपर कोई संकट आता है तो मंदिर में जाकर भगवान गोपाल बिष्ट से आशीर्वाद मांग कर उस संकट को दूर करने की मांग करते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद परिवार के साथ मंदिर जाकर दरांती चढ़ाकर भंडारा करते हैं.
मुरादें पूरी होने पर दरांती की पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के पेड़ में गाड़ दी जाती है. आज भी पेड़ पर गाड़ी हुई सैकड़ों दरांतियों को देखा जा सकता है, जो लोगों की आस्था को दर्शाती हैं साथ ही अतीत की परंपरा की गवाही देती दिखाई देती हैं.