हल्द्वानी: हिंदू धर्म में नाग पंचमी पर्व का विशेष महत्व है.प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग पंचमी पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता को जल चढ़ाकर पूजा-पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सभी तरह की कष्टों से मुक्ति मिलती है. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नाग पंचमी व्रत 21 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा.
नाग पंचमी पर बन रहा खास योग: ज्योतिष के अनुसार इस बार नाग पंचमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बनने जा रहा है. इस दिन भगवान शिव का प्रिय दिन श्रावण के सोमवार एवं शुभ योग का संयोग बन रहा है. इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ साथ नागदेवता की पूजा करने का विशेष महत्व है. कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए नाग पंचमी के दिन राहुकाल में भगवान शिव की पूजा कराने से कालसर्प दोष मिट जाएगा.
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कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति: कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग या तांबे के नागिन के जोड़े की पूजा करें. कालसर्प दोष से मुक्ति की प्रार्थना करते हुए उसे नदी के जल में प्रवाहित कर दें. कालसर्प दोष के कारण आई रुकावटें, अड़चनें दूर होंगी.नाग पंचमी के दिन राहु केतु की शांति के लिए रूद्राभिषेक करना बहुत ही शुभ माना जाता है. जिनकी कुंडली में राहु की दशा चल रही हो या राहु बुरे प्रभाव में हो उन्हें इस दिन शिवलिंग पर नाग देवता पर दूध से अभिषेक करना चाहिए.
जानिए पूजा विधि: नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. पूजा काल में एक साफ चौकी पर नाग देवता का चित्र या मिट्टी से बने हुए सर्प की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद नाग देवता को हल्दी, रोली, चावल, फूल इत्यादि अर्पित करें और दूध घी व चीनी मिलाकर चढ़ाएं. इसके बाद पूजा के अंत में नाग पंचमी व्रत कथा का श्रवण करें और आरती के साथ पूजा संपन्न करें.