हल्द्वानी: राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केंद्र के बाल संप्रेक्षण गृह में रह रही किशोरी के साथ दुष्कर्म का मामला फर्जी निकला है. इससे पहले किशोरी ने विभागीय अनुसेवक और होमगार्ड के खिलाफ बाहर ले जाकर दुष्कर्म करने की शिकायत की थी. जिसके बाद बाल संरक्षण अधिकारी ने दोनों महिला कर्मचारियों के खिलाफ हल्द्वानी कोतवाली में मामला दर्ज कराया था. वहीं, पुलिस और बाल विकास विभाग ने संयुक्त रूप से मामले की जांच की. जिसमें पूरा मामला फर्जी निकला है.
संप्रेक्षण गृह से बाहर निकलना चाहती थी किशोरी, पुलिस ने केस किया बंद: नैनीताल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद मीणा ने बताया कि पुलिस और बाल संरक्षण विभाग की जांच में सामने आया कि पूरा प्रकरण फर्जी है. यह किशोरी की षड्यंत्र रचकर संप्रेक्षण गृह से बाहर निकलने की योजना थी. पूरे मामले में पुलिस ने जांच की फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है. जहां केस को अब बंद कर दिया गया है. इससे पहले कोर्ट के निर्देश के बाद बाल विकास अधिकारी की ओर से मामला दर्ज कराया गया था.
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महिला कर्मचारियों को कर दिया गया था निलंबित: गौर हो कि इसी महीने राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केंद्र हल्द्वानी के बाल संप्रेक्षण गृह से एक किशोरी को बाहर ले जाने फिर उसके साथ दुष्कर्म का का आरोप लगा था. पूरा आरोप दो महिला कर्मचारियों पर लगा था. आरोप था कि दोनों कर्मचारी किशोरी को बाहर ले जाती थी, जहां उसके साथ दुष्कर्म होता था.
पुलिस ने किशोरी को परिजनों के हवाले किया: इतना ही नहीं दोनों महिला आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट समेत अन्य धाराओं में नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था. जब मामले ने तूल पकड़ तो बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने दोनों महिला कर्मचारियों को निलंबित भी कर दिया. कई लोग इस मामले को राजनीति से जोड़कर देख रहे थे. ऐसे में पुलिस ने जांच पड़ताल की. जिसमें पूरा मामला फर्जी पाया गया है. नैनीताल एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा का कहना है कि बालिका नाबालिग है. ऐसे में उसे परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया है.