नैनीताल: सरकारें भले ही सूबे को ऊर्जा प्रदेश बनाने के लाख दावे करती हो लेकिन जमीनी हकीकत ठीक उलट है. वहीं नैनीताल जिले के रानीबाग में प्रस्तावित जमरानी बांध आज तक नहीं बन पाया है. प्रस्तावित बांध को लेकर किसी भी सरकार ने इच्छाशक्ति नहीं दिखाई. जिसके चलते विकास की एक महत्वपूर्ण योजना लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है.
गौर हो कि लंबे जन आंदोलन के बाद वर्ष 1975 में केंद्रीय जल आयोग से जमरानी बांध परियोजना को मंजूरी मिली थी. वहीं बांध के लिये तब 61.25 करोड़ रुपये भी परियोजना के लिए स्वीकृत किए गए थे. इसके बावजूद जमरानी बांध आज तक नहीं बन सका है. प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें बनी लेकिन किसी ने भी इस योजना को गंभीरता से नहीं लिया. जिससे एक महत्वपूर्ण योजना आज भी फाइलों में सिमटकर रह गई है. लोगों का कहना है कि सरकारों ने जमरानी बांध के नाम पर सिर्फ राजनीति की है किसी ने भी इस योजना को शुरू करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाये. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारों की छत्रछाया में जमरानी क्षेत्र में अंधाधुंध खनन होता है.
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जो खनन माफियाओं की मोटी कमाई का साधन बन गई है. जिससे सरकारें यहां बांध नहीं बनना चाहती. वहीं गर्मी के सीजन में क्षेत्र में पानी की कमी हो जाती है. वहीं टैंकरों से पानी का खेल होता है. वहीं लोगों का कहना है कि ये बांध बन जाता तो स्थानीय लोगों को रोजगार और सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती. साथ ही विद्धुत के लिये दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता. वहीं बांध निमार्ण के लिए स्थानीय लोग हाईकोर्ट की शरण में भी गए और कोर्ट से केन्द्र व राज्य सरकार को बांध बनाने को निर्देश दिए थे. लेकिन अब तक बांध निमार्ण का कार्य शुरू नहीं हुआ है. वहीं स्थानीय लोग अब सरकार के खिलाफ अवमाना याचिका दायर करने की बात कह रहे हैं.