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IFS Rajiv Bhartari: सरकार की पुनर्विचार याचिका CAT से खारिज, राजीव भरतरी ही होंगे प्रमुख वन संरक्षक

केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की सर्किट बेंच ने राजीव भरतरी मामले में उत्तराखंड सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. कैट ने राजीव भरतरी की नियुक्ति को लेकर दिए गए आदेश को सही ठहराया है.

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Published : Mar 21, 2023, 8:21 PM IST

नैनीताल: केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (Central Administrative Tribunal) की सर्किट बेंच ने सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही सर्किट बेंच ने प्रमुख वन संरक्षक पद पर राजीव भरतरी की नियुक्ति को लेकर अपने 24 फरवरी के आदेश को भी सही ठहराया है. बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने 2021 में प्रमुख वन संरक्षक पद से राजीव भरतरी को हटाकर उनके स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को प्रमुख वन संरक्षक नियुक्त किया था.

केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के जस्टिस ओमप्रकाश की एकलपीठ ने 24 फरवरी को पीसीसीएफ पद से राजीव भरतरी को हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया था. जिसके खिलाफ सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा कि महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों की तैनाती सरकार का विशेषाधिकार है. इसलिए सरकार के आदेश को बहाल किया जाए. लेकिन, कैट ने सरकार के तर्कों को अस्वीकार करते हुए पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी.

पूर्व में उच्च न्यायालय नैनीताल की खंडपीठ ने राजीव भरतरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनसे कहा था कि वे अपने ट्रांसफर के आदेश को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल इलाहाबाद में चुनौती दें.

ये भी पढ़ें: चारधाम में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की कयावद, केंद्र सरकार से मांगे 500 करोड़ रुपए

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि नवनियुक्त विभागाध्यक्ष विनोद कुमार सिंघल कोई बड़ा निर्णय नही लें. याचिका दाखिल करते हुए आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी ने कहा है कि वे राज्य के सबसे वरिष्ठ भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं. लेकिन, सरकार ने 25 नवंबर 2021 को उनका ट्रांसफर प्रमुख वन संरक्षक पद से अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड के पद पर कर दिया था. जिसको उन्होंने संविधान के खिलाफ माना और इस संबंध में उन्होंने सरकार को चार प्रत्यावेदन भी दिए. लेकिन सरकार ने इन प्रत्यावेदनों की सुनवाई नहीं की. राजीव भरतरी ने कहा कि उनका ट्रांसफर राजनीतिक कारणों से किया गया है, जिसमें उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है.

बता दें कि राजीव भरतरी के ट्रांसफर के पीछे एक मुख्य कारण कॉर्बेट नेशनल पार्क के भीतर हो रहे अवैध निर्माण से जुड़ा है. आरोप है कि तत्कालीन वन मंत्री एक अधिकारी के समर्थन में राजीव भरतरी को पीसीसीएफ पद एवं कॉर्बेट पार्क में हो रहे निर्माण कार्यों की जांच से हटाना चाहते थे.

नैनीताल: केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (Central Administrative Tribunal) की सर्किट बेंच ने सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही सर्किट बेंच ने प्रमुख वन संरक्षक पद पर राजीव भरतरी की नियुक्ति को लेकर अपने 24 फरवरी के आदेश को भी सही ठहराया है. बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने 2021 में प्रमुख वन संरक्षक पद से राजीव भरतरी को हटाकर उनके स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को प्रमुख वन संरक्षक नियुक्त किया था.

केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के जस्टिस ओमप्रकाश की एकलपीठ ने 24 फरवरी को पीसीसीएफ पद से राजीव भरतरी को हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया था. जिसके खिलाफ सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा कि महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों की तैनाती सरकार का विशेषाधिकार है. इसलिए सरकार के आदेश को बहाल किया जाए. लेकिन, कैट ने सरकार के तर्कों को अस्वीकार करते हुए पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी.

पूर्व में उच्च न्यायालय नैनीताल की खंडपीठ ने राजीव भरतरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनसे कहा था कि वे अपने ट्रांसफर के आदेश को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल इलाहाबाद में चुनौती दें.

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उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि नवनियुक्त विभागाध्यक्ष विनोद कुमार सिंघल कोई बड़ा निर्णय नही लें. याचिका दाखिल करते हुए आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी ने कहा है कि वे राज्य के सबसे वरिष्ठ भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं. लेकिन, सरकार ने 25 नवंबर 2021 को उनका ट्रांसफर प्रमुख वन संरक्षक पद से अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड के पद पर कर दिया था. जिसको उन्होंने संविधान के खिलाफ माना और इस संबंध में उन्होंने सरकार को चार प्रत्यावेदन भी दिए. लेकिन सरकार ने इन प्रत्यावेदनों की सुनवाई नहीं की. राजीव भरतरी ने कहा कि उनका ट्रांसफर राजनीतिक कारणों से किया गया है, जिसमें उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है.

बता दें कि राजीव भरतरी के ट्रांसफर के पीछे एक मुख्य कारण कॉर्बेट नेशनल पार्क के भीतर हो रहे अवैध निर्माण से जुड़ा है. आरोप है कि तत्कालीन वन मंत्री एक अधिकारी के समर्थन में राजीव भरतरी को पीसीसीएफ पद एवं कॉर्बेट पार्क में हो रहे निर्माण कार्यों की जांच से हटाना चाहते थे.

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