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शिक्षक ने उगाई एक मीटर से लंबी तुरई, इंडिया बुक रिकॉर्ड में नाम दर्ज - हल्द्वानी के भुवन तिवारी

तिवारी दंपति ने एक मीटर से लंबी तुरई उगाकर न सबको हैरान किया है, बल्कि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज कराया है.

Haldwani
एक मीटर से लंबी तुरई के साथ दंपति
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Published : Oct 8, 2020, 6:56 PM IST

हल्द्वानी: पहाड़ का मौसम और जैव-विविधता फल-सब्जियों के लिए इतनी उत्तम है कि थोड़ी सी मेहनत में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया बेतालघाट के तिवारी गांव के रहने वाले पेशे से शिक्षक भुवन तिवारी और उनकी पत्नी सीमा तिवारी ने. दोनों ने अपने खेत में 1.4 मीटर लंबी तुरई उगा कर न सिर्फ लोगों को हैरान कर दिया बल्कि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज कराया है.

तारीखेत ब्लॉक के जीआईसी सोरो में गणित के प्रवक्ता भुवन तिवारी और उनकी पत्नी सीमा एनजीओ के साथ-साथ पशुपालन और खेती-बाड़ी भी करते है. इस बार उन्होंने ऑर्गेनिक खेती कर तुरई और करेले समेत अन्य सब्जियां उगाई. जिसमें उनके खेत में 1.4 मीटर लंबी तुरई और 48 सेंटीमीटर लंबे करेले लगे है.

पढ़ें- लापरवाही: महीनेभर से सील पैक पड़ी हैं 5 वेंटिलेटर मशीनें और मरीजों को किया जा रहा रेफर

शिक्षक भुवन तिवारी का कहना है कि उन्होंने किसी तरह का रसायन का प्रयोग नहीं किया था. वह गोबर की खाद का प्रयोग कर रहे हैं. उन्होंने उद्यान विभाग को इसकी जानकारी दी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. बाद में नैनीताल कुमाऊं विवि के पादप विज्ञान के डॉ. ललित तिवारी के सहयोग से उनका नाम इंडिया ऑफ बुक रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ.

हल्द्वानी: पहाड़ का मौसम और जैव-विविधता फल-सब्जियों के लिए इतनी उत्तम है कि थोड़ी सी मेहनत में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया बेतालघाट के तिवारी गांव के रहने वाले पेशे से शिक्षक भुवन तिवारी और उनकी पत्नी सीमा तिवारी ने. दोनों ने अपने खेत में 1.4 मीटर लंबी तुरई उगा कर न सिर्फ लोगों को हैरान कर दिया बल्कि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज कराया है.

तारीखेत ब्लॉक के जीआईसी सोरो में गणित के प्रवक्ता भुवन तिवारी और उनकी पत्नी सीमा एनजीओ के साथ-साथ पशुपालन और खेती-बाड़ी भी करते है. इस बार उन्होंने ऑर्गेनिक खेती कर तुरई और करेले समेत अन्य सब्जियां उगाई. जिसमें उनके खेत में 1.4 मीटर लंबी तुरई और 48 सेंटीमीटर लंबे करेले लगे है.

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शिक्षक भुवन तिवारी का कहना है कि उन्होंने किसी तरह का रसायन का प्रयोग नहीं किया था. वह गोबर की खाद का प्रयोग कर रहे हैं. उन्होंने उद्यान विभाग को इसकी जानकारी दी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. बाद में नैनीताल कुमाऊं विवि के पादप विज्ञान के डॉ. ललित तिवारी के सहयोग से उनका नाम इंडिया ऑफ बुक रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ.

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