रामनगरः सरकारें हर भूखे को रोटी, हर बच्चे को शिक्षा और हर घर में रोशनी के लाख दावे करती हैं. अपनी पीठ थपथपाते हुए कहती हैं कि हमने वो कर दिखाया जो पिछली सरकारें नहीं कर पाईं. लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. जिसे आम आदमी झेलता है. कुछ ऐसी ही दास्तां है रामनगर के ढेला और झिरना रेंज में रह रहे 57 गुर्जर परिवारों की. सौभाग्य योजना के तहत कुछ को सौरऊर्जा मिली. लेकिन इन 57 परिवारों को अपने घरों में रोशनी का इंतजार है.
मामला इतना सीधा भी नहीं है, जितना ऊपरी समझ में आ रहा है. दरअसल, इन गुर्जरों के घर रोशन न होने के पीछे दो विभागों की लड़ाई भी है. मामला कॉर्बेट प्रशासन और बिजली विभाग के बीच का है. कॉर्बेट प्रशासन कहता है कि कोई संस्था इन्हें सौरऊर्जा बांटे, उससे हमे कोई ऐतराज नहीं है. लेकिन बिजली विभाग का अलग ही तर्क है. वे कहते हैं कि रामनगर के ढेला और झिरना रेंज के कुछ इलाकों में कोर्ट केस चल रहा है. इसलिए हम इन इलाकों में सौरऊर्जा नहीं दे सकते.
इन्हीं बदनसीबों में एक गुर्जर रहमान का कहना है कि बाकी सभी जगह तो बिजली विभाग रामनगर द्वारा सौरऊर्जा लाइटें बांट दी गयी हैं. पर हमें इससे वंचित रखा गया है. कॉर्बेट प्रशासन कहता है कि तुम्हारा केस चल रहा है तो तुम्हे बिजली नहीं मिलेगी.
इस मामले में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल कुमार का कहना है कि अगर गुर्जर परिवारों को कोई संस्था सौरऊर्जा देना चाहे तो दे सकती है. हमारी तरफ से कोई रोक नहीं है. निदेशक ने बताया कि हम तो खुद झिरना और ढेला रेंज में सोलर फैंसिंग का कार्य कर रहे हैं.
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वहीं विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता विवेक कांडपाल का कहना है कि सौभाग्य योजना के तहत कई गुर्जर परिवारों में सौरऊर्जा लाइटें बांटी. लेकिन कुछ परिवार इस योजना से वंचित रह गए, क्योकि उस क्षेत्र में कुछ कोर्ट केस चल रहे थे.
कॉर्बेट प्रशासन को उस क्षेत्र में सौरऊर्जा लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है के सवाल पर विवेक कांडपाल कहते हैं कि अगर वन विभाग को कोई आपत्ति नहीं है तो हम इसमें विद्युतीकरण का केस बनाकर सौर ऊर्जा लाइटें मंगवाने का प्रस्ताव भेजेंगे. क्योंकि अभी तो सौभाग्य योजना भी खत्म हो चुकी है.
कुल मिलाकर ये हाल है विभाग का भी और सरकारी योजनाओं का भी. अब देखने वाली बात ये होगी कि बिजली विभाग के दावे के बाद कब तक इन परिवारों के घर रोशन होंगे.