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नैनीताल की 2 कर्मशील महिलाएं तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित

उत्तराखंड सरकार ने शनिवार को तीलू रौतेली पुरस्कार से नैनीताल जिले की 2 कर्मशील महिलाओं को सम्मानित किया गया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से इन दोनों महिलाओं को तीलू पुरस्कार से सम्मानित किया.

Haldwani
नैनीताल की 2 कर्मशील महिलाएं तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित
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Published : Aug 8, 2020, 5:32 PM IST

Updated : Aug 8, 2020, 8:19 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड सरकार ने तीलू रौतेली पुरस्कार से नैनीताल जिले की 2 कर्मशील महिलाओं को सम्मानित किया है. इनमें लोक गायिका माया उपाध्याय और सामाजिक कार्यकर्ता कंचन भंडारी शामिल हैं. शनिवार को इन दोनों महिलाओं को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से तीलू पुरस्कार से सम्मानित किया है.

उत्तराखंड की लोक संस्कृति और लोक कला को विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाली लोक गायिका माया उपाध्याय ने पुरस्कार मिलने से खुशी जाहिर करते हुये कहा कि नारी शक्ति को आगे बढ़ाने के लिए सरकार का ये कदम सराहनीय है. इस दौरान माया उपाध्याय ने ईटीवी भारत को भी बधाई देते हुए कहा है कि ईटीवी भारत समय-समय पर उनकी गायकी को दर्शकों तक पहुंचाता रहा है, ऐसे में इस सम्मान में ईटीवी भारत का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है.

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पढ़े- महंत नरेंद्र गिरि बोले मुहूर्त पर होगा महाकुंभ 2021, परिस्थिति देख करेंगे फैसला

वहीं, नैनीताल की रहने वाली कंचन भंडारी पिछले 30 सालों से समाज में महिलाओं के साथ हो रहे शोषण अत्याचार और गैर बराबरी की लड़ाई को लड़ रही हैं. पुरस्कार मिलने के बाद उनका कहना है कि समाज में कार्य करते हुए आज एक ऐसी वीरांगना महिला के नाम से उन्हें सम्मान मिला है, जिसने महिलाओं के स्वाभिमान को ऊंचा किया है.

उन्होंने कहा कि तीलू रौतेली पुरस्कार मिलना उनके लिए सबसे बड़े गर्व की बात है. वह आगे भी अपने जीवन में महिलाओं के उत्थान और उनके शोषण के खिलाफ सामाजिक कार्य में भागीदारी करती रहेंगी.

गौर हो कि तीलू रौतेली केवल 15 साल की उम्र में रणभूमि में कूद गईं थीं. सात साल तक उन्होंने दुश्मन राजाओं को कड़ी चुनौती दी. 15 से 20 साल की आयु में 7 युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली विश्व की एकमात्र वीरांगना है, जिनकी जयंती पर प्रदेश सरकार की ओर से उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को हर साल पुरस्कृत किया जाता है. उनकी याद में आज भी गढ़वाल के कांडा ग्राम व बीरोंखाल क्षेत्र के निवासी हर वर्ष कौथीग (मेला) आयोजित करते हैं और ढोल-दमाऊ व निशाण के साथ तीलू रौतेली की प्रतिमा का पूजन किया जाता है. तीलू रौतेली की याद में गढ़वाल मंडल के कई गांवों में थड्या गीत गाये जाते हैं.

हल्द्वानी: उत्तराखंड सरकार ने तीलू रौतेली पुरस्कार से नैनीताल जिले की 2 कर्मशील महिलाओं को सम्मानित किया है. इनमें लोक गायिका माया उपाध्याय और सामाजिक कार्यकर्ता कंचन भंडारी शामिल हैं. शनिवार को इन दोनों महिलाओं को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से तीलू पुरस्कार से सम्मानित किया है.

उत्तराखंड की लोक संस्कृति और लोक कला को विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाली लोक गायिका माया उपाध्याय ने पुरस्कार मिलने से खुशी जाहिर करते हुये कहा कि नारी शक्ति को आगे बढ़ाने के लिए सरकार का ये कदम सराहनीय है. इस दौरान माया उपाध्याय ने ईटीवी भारत को भी बधाई देते हुए कहा है कि ईटीवी भारत समय-समय पर उनकी गायकी को दर्शकों तक पहुंचाता रहा है, ऐसे में इस सम्मान में ईटीवी भारत का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है.

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वहीं, नैनीताल की रहने वाली कंचन भंडारी पिछले 30 सालों से समाज में महिलाओं के साथ हो रहे शोषण अत्याचार और गैर बराबरी की लड़ाई को लड़ रही हैं. पुरस्कार मिलने के बाद उनका कहना है कि समाज में कार्य करते हुए आज एक ऐसी वीरांगना महिला के नाम से उन्हें सम्मान मिला है, जिसने महिलाओं के स्वाभिमान को ऊंचा किया है.

उन्होंने कहा कि तीलू रौतेली पुरस्कार मिलना उनके लिए सबसे बड़े गर्व की बात है. वह आगे भी अपने जीवन में महिलाओं के उत्थान और उनके शोषण के खिलाफ सामाजिक कार्य में भागीदारी करती रहेंगी.

गौर हो कि तीलू रौतेली केवल 15 साल की उम्र में रणभूमि में कूद गईं थीं. सात साल तक उन्होंने दुश्मन राजाओं को कड़ी चुनौती दी. 15 से 20 साल की आयु में 7 युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली विश्व की एकमात्र वीरांगना है, जिनकी जयंती पर प्रदेश सरकार की ओर से उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को हर साल पुरस्कृत किया जाता है. उनकी याद में आज भी गढ़वाल के कांडा ग्राम व बीरोंखाल क्षेत्र के निवासी हर वर्ष कौथीग (मेला) आयोजित करते हैं और ढोल-दमाऊ व निशाण के साथ तीलू रौतेली की प्रतिमा का पूजन किया जाता है. तीलू रौतेली की याद में गढ़वाल मंडल के कई गांवों में थड्या गीत गाये जाते हैं.

Last Updated : Aug 8, 2020, 8:19 PM IST
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