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जानवरों को रेस्क्यू करने के लिए सचल दस्ता तैनात, मिली है खास ट्रेनिंग

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Published : Nov 18, 2019, 11:31 PM IST

वन विभाग के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि जब कोई वन्य जीव आबादी क्षेत्र में घुस आता था, तो उसका रेस्क्यू और उपचार करने के लिए कोई चिकित्सक नहीं होता था. वहीं अब वन प्रभाग में एक सचल रेस्क्यू दस्ता तैनात है जिसका कार्य शहर में से जंगली जानवरों को रेस्क्यू करना होता है.

जानवरों के रेस्क्यू और चिकित्सा के लिए तैनात वन्य जीव चिकित्सक

हरिद्वारः उत्तराखंड में पहली बार जानवरों के रेस्क्यू और चिकित्सा के लिए वन्य जीव चिकित्सक तैनात किए जाएंगे. इसके लिए वन विभाग पशु विभाग से समन्वय कायम करके पशु चिकित्सकों को स्पेशल ट्रेनिंग दे रहा है. वहीं, पशु चिकित्सकों को स्पेशल ट्रेनिंग मिलने के बाद इस समस्या का निवारण हो सकेगा. ऐसे में इस दस्ते ने मात्र एक माह में 189 वन्यजीवों का रेस्क्यू किया है.

वहीं, अब तक वन विभाग के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि जब कोई वन्य जीव आबादी क्षेत्र में घुस आता था, तो उसका रेस्क्यू और उपचार करने के लिए कोई चिकित्सक नहीं होता था. वहीं, वन प्रभाग में एक सचल रेस्क्यू दस्ता तैनात है जिसका कार्य शहर में से जंगली जानवरों को रेस्क्यू करना होता है.

जानवरों के रेस्क्यू और चिकित्सा के लिए तैनात वन्य जीव चिकित्सक

ये भी पढ़ेंःमुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह पहुंचे केदारनाथ, पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया

इधर, दस्ते का वन विभाग में काफी महत्वपूर्ण योगदान रहता है. यह दस्ता नियमित रूप से रेस्क्यू कार्यों में जुटा रहता है. जैसे ही कहीं से सूचना प्राप्त होती है यह दस्ता तुरंत वहां के लिए रवाना हो जाता है. यह दिन रात कार्य करता है रेस्क्यू करने के बाद यह दस्ता उस जानवर को फिर से जंगल में छोड़ देते है. इस दस्ते को खास ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे यह कठिन परिस्थितियों का सामना कर सके.

हरिद्वारः उत्तराखंड में पहली बार जानवरों के रेस्क्यू और चिकित्सा के लिए वन्य जीव चिकित्सक तैनात किए जाएंगे. इसके लिए वन विभाग पशु विभाग से समन्वय कायम करके पशु चिकित्सकों को स्पेशल ट्रेनिंग दे रहा है. वहीं, पशु चिकित्सकों को स्पेशल ट्रेनिंग मिलने के बाद इस समस्या का निवारण हो सकेगा. ऐसे में इस दस्ते ने मात्र एक माह में 189 वन्यजीवों का रेस्क्यू किया है.

वहीं, अब तक वन विभाग के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि जब कोई वन्य जीव आबादी क्षेत्र में घुस आता था, तो उसका रेस्क्यू और उपचार करने के लिए कोई चिकित्सक नहीं होता था. वहीं, वन प्रभाग में एक सचल रेस्क्यू दस्ता तैनात है जिसका कार्य शहर में से जंगली जानवरों को रेस्क्यू करना होता है.

जानवरों के रेस्क्यू और चिकित्सा के लिए तैनात वन्य जीव चिकित्सक

ये भी पढ़ेंःमुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह पहुंचे केदारनाथ, पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया

इधर, दस्ते का वन विभाग में काफी महत्वपूर्ण योगदान रहता है. यह दस्ता नियमित रूप से रेस्क्यू कार्यों में जुटा रहता है. जैसे ही कहीं से सूचना प्राप्त होती है यह दस्ता तुरंत वहां के लिए रवाना हो जाता है. यह दिन रात कार्य करता है रेस्क्यू करने के बाद यह दस्ता उस जानवर को फिर से जंगल में छोड़ देते है. इस दस्ते को खास ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे यह कठिन परिस्थितियों का सामना कर सके.

Intro:एंकर:-हरिद्वार वन प्रभाग के सचल रेस्क्यू दस्ते द्वारा  अक्टूबर माह में 189 वन्यजीवों का शहरी आबादी क्षेत्र में से रेस्क्यू किया गया जिसमें अधिकतम सर्प प्रजाति  थी जिसमे कुछ जहरीले थे और कुछ सामान्य।  हरिद्वार में आये दिन वन्यजीव शहर में गसतक देते रहते है जिसके कारण इस दस्ते की हरिद्वार में बहुत ही ज्यादा आवशयकता  है  पिछले कुछ दिनों में  वन्यजीव और मानव संघर्ष की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों और भेल क्षेत्र में तो लोगो को जान तक गँवानी पड़ गई और ऐसे में इस दस्ते ने  मात्र एक माह में 189 वन्यजीवों का रेस्क्यू किया है।Body:वो -1 हरिद्वार वन प्रभाग में एक सचल रेस्क्यू दस्ता तैनात है जिसका कार्य शहर में से जंगली जानवरों का रेस्क्यू करना होता है इस दस्ते का वन विभाग में काफी महत्वपूर्ण योगदान रहता है यह दस्ता  नियमित रूप से रेस्क्यू कार्यों में जुटा रहता है जैसे ही कहि से सुचना प्राप्त  होती है यह दस्ता तुरंत वहा  के लिए  रवाना हों  जाता है यह दिन रात  कार्य  करता है रेस्क्यू करने के बाद यह दस्ता उस जानवर को फिर से जंगल में छोड़  देते है इस दस्ते को खास पेरकर की ट्रेनिंग दी जाती है जिससे यह कठिन परिस्थितियों का सामना कर सके। 
Conclusion:बाइट :-आकाश वर्मा (DFO हरिद्वार )
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