हैदराबाद: क्या आप दुनिया के सबसे बड़े आइसबर्ग यानी बर्फ के पहाड़ के बारे में जानते हैं? अगर नहीं जानते हैं तो आइए हम आपको इस विशाल आइसबर्ग के बारे में बताते हैं और ये भी बताते हैं कि आजकल इस आइसबर्ग की चर्चा पूरी दुनिया में क्यों हो रही है. इस आइसबर्ग का नाम A23a है. इसके साइज की बात करें तो, यह 3,800 वर्ग किलोमीटर (1,500 वर्ग मील) में फैला हुआ है.
A23a के इस बहुत बड़े साइज की तुलना अगर कुछ शहरों से करें तो यह ग्रेटर लंदन के आकार का दो गुना, अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के आकार का तीन गुना और भारत के मुंबई शहर के आकार का 6 गुना बड़ा है. इसकी मोटाई 400 मीटर (1,312 फीट) है और इसका वजन एक ट्रिलियन टन से अधिक है.
Megaberg A23a का मतलब क्या है?
A23a ने 1980 के दशक से कई बार "सबसे बड़ा वर्तमान आइसबर्ग" का खिताब अपने नाम किया है. हालांकि, A68 और A76 इससे भी बड़े आइसबर्ग थे, लेकिन वो ज्यादा समय टिक नहीं पाए. वो दोनों आइसबर्ग क्रमश: 2017 और 2021 में छोटे हो गए और इस कारण वर्तमान में, A23a दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग है. यह "मेगाबर्ग" अंतरिक्ष से भी दिखाई देता है. आइसबर्ग को 8,50,000 मील (लगभग 13,67,942 किलोमीटर) की दूरी से अंतरिक्ष में देखा जा सकता है.
A23a आइसबर्ग का नाम U.S. National Ice Center (USNIC) के नेमिंग सिस्टम के अनुसार रखा गया था. इसमें "A" का मतलब है Bellingshausen/Weddell Sea क्वाड्रंट, जहां से आइसबर्ग आया था. "23" का मतलब है कि यह उस क्वाड्रंट में ट्रैक किया गया 23वां आइसबर्ग था और "a" का मतलब है कि यह मुख्य या मूल आइसबर्ग था जो टूटा था. इस सभी टर्म्स को मिलाकर इस आइसबर्ग का नाम Megaberg A23a रखा गया था.
Megaberg A23a का निर्माण कैसे हुआ?
इस आइसबर्ग की उत्पत्ति Larsen Ice Shelf से हुई थी, जो कि अंटार्कटिक प्रायद्वीप (Antarctic Peninsula) के पूर्वी किनारे पर स्थित एक विशाल आइस प्लेटफॉर्म है. इस बड़े आइस प्लेटफॉर्म यानी ग्लेशियर के किनारों से जब बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़े टूट कर अलग हुए, तो इस विशाल आइसबर्ग का निर्माण हुआ. यह आइसबर्ग Filchner Ice Shelf से टूटकर अलग हुआ था. बड़े ग्लेशियर से टूटने के बाद आइसबर्ग के बनने वाले प्रोसेस को काल्विंग (Calving) कहते हैं.
इस आइसबर्ग का इतिहास 1986 से शुरू होता है, जब इसे A23 के नाम से जाना जाता था और उस वक्त यह अब की तुलना में काफी बड़ा था. A23 उन तीन आइसबर्गों में से एक था, जो Filchner Ice Shelf से टूट कर अलग हुए थे. दिलचस्प बात यह है कि इस काल्विंग के दौरान, A23 को सोवियत संघ के रिसर्च सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया गया था, लेकिन फिर रिसर्चर्स को वहां से जाना पड़ा था. उसी साल में कुछ महीनों के बाद, A23a उससे टूट कर अलग हुआ और Weddell Sea में फंस गया.
A23a आइसबर्ग की यात्रा
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि A23a बहुत बड़ा आइसबर्ग है जो 1986 में अंटार्कटिका के Filchner Ice Shelf से टूट कर अलग हुआ था. यह आइसबर्ग वहां 30 वर्षों से भी अधिक समय तक रहा था. 2020 में बर्फ के पिघलने की वजह से, यह आखिरकार फ्री होकर उत्तर दिशा में अंटार्कटिक प्रायद्वीप के साथ बहने लगा. उसके बाद, अप्रैल 2024 में, A23a एक टेलर कॉलम (Taylor column) में फंस गया. टेलर कॉलम, एक घूमती हुई धारा को कहते हैं, जो समुद्री सहत पर स्थित Pirie Bank नाम के एक बंप के ऊपर था. दिसंबर 2024 में, A23a इस भंवर से बाहर निकल गया और तब से अंटार्कटिका और Joinville Island Group के बीच स्थित आइसबर्ग ऐली (Iceberg Alley) से गुजरते हुए, लगातार आगे की ओर बढ़ता जा रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी यात्रा Antarctic Circumpolar Current के साथ दक्षिणी महासागर की ओर जारी रहेगी, जिससे यह सीधा साउथ जॉर्जिया की तरफ बढ़ेगा.
Megaberg A23a का साउथ जॉर्जिया पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
वर्तमान में, यह आइसबर्ग साउथ जॉर्जिया द्वीप से लगभग 173 मील यानी करीब 280 किमी की दूरी पर है. यहां पर पहुंचने के बाद, यह आइसबर्ग जम सकता है और टुकड़ों में टूट सकता है. साउथ जॉर्जिया में लाखों किंग पेंगुइन, हाथी और फर सील रहते हैं. यह जगह इन जानवरों के रहने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है.
पुराने जमाने में, जब एक बड़ा आइसबर्ग साउथ जॉर्जिया के पास जमा था, तो उसके काफी विनाशकारी परिणाम हुए थे. कई पक्षी और सील अपनी फ़ीडिंग ग्राउंड तक नहीं पहुँच सके थे, जिससे उनकी मौत हो गई थी. इसी वजह से अगर अब A23a आइसबर्ग साउथ जॉर्जिया आइलैंड से टकराया तो, यह एक बार फिर से इन जानवरों के लिए चिंता का विषय बन सकता है.
इसका महासागरों और जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव: जब आइसबर्ग पिघलता है, तो यह अलग-अलग तरह के तत्वों को आसपास मौजूद पानी में छोड़ता है. इसके कारण महासागर के फिज़िकल और केमिकल गुणों में बदलाव होते हैं. ऐसा होने पर, समुद्र की सतह से गहरे महासागर में कार्बन की मात्रा बढ़ सकती है, क्योंकि इसके कण सतह से नीचे ही गिरते रहते हैं. यह संभावित रूप से, हमारे ग्रह यानी पृथ्वी की कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को प्रेरित कर सकता है, जो जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करता है. इस तरह से, आइसबर्ग के पिघलने से न सिर्फ महासागरों पर बल्कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पर भी प्रभाव पड़ता है.
साउथ जॉर्जिया द्वीप पर आइसबर्ग से पहले भी हुए खतरे
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी आइसबर्ग से साउथ जॉर्जिया को खतरा हुआ हो. 2004 में भी, A38 नाम का एक आइसबर्ग टूट कर अलग हो गया था. उसने साउथ जॉर्जिया और पास के सैंडविच द्वीप (Sandwich Islands) में पेंगुइन और सील के बच्चों के खानों को उनसे दूर कर दिया था. लिहाजा, साउथ जॉर्जिया द्वीप पर आइसबर्ग का खतरा कोई नई बात नहीं है और यह पहले भी जानवरों के लिए विनाशकारी साबित हुआ है.
साउथ जॉर्जिया ने किया था A68a आइसबर्ग का सामना: A23a से पहले, दुनिया के सबसे बड़े आइसबर्ग का खिताब A68a के पास था, जो लंदन के आकार का तीन गुना था. एक अनुमान के मुताबिक, उस आइसबर्ग का वजन एक ट्रिलियन टन था. यह आइसबर्ग साउथ जॉर्जिया द्वीप से टकराने की राह पर था, जिससे यह आशंका थी कि यह समुद्र तल और समुद्री इकोसिस्टम को काफी नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि, A68a साउथ जॉर्जिया द्वीप से करीब 100 मील की दूरी तक पहुंचकर रुक गया था और बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था.
साउथ जॉर्जिया पर विशाल आइसबर्ग के प्रभाव: साउथ जॉर्जिया सरकार को सलाह दे रहे समुद्री पर्यावरण वैज्ञानिक मार्क बेलचियर (Mark Belchier) के अनुसार, साउथ जॉर्जिया आइसबर्ग ऐली (Iceberg Alley) में स्थित है, इसलिए मछुआरों और वन्यजीवन पर इसके बुरे प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.
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