देहरादून: प्रदेश में इन दिनों हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ रही है. बारिश और बर्फबारी ने लोगों की दुश्वारियां बढ़ा दी है. लेकिन सरकार द्वारा खोले गए रैन बसेरों का क्या हाल है. इसकी ग्राउंड रिपोर्ट हम आज आपके सामने रखेंगे. ईटीवी भारत की टीम ने प्रदेश में बने रैन बसैरों का जायजा लिया. इन रैन बसरों में जरूरतमंदों को क्या-क्या सुविधाएं मिल रही है उन सब पर लोगों से विस्तार से चर्चा की. देखिए ग्राउंड रिपोर्ट...
देहरादून
प्रदेशभर में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है. राजधानी देहरादून समेत मसूरी में शीतलहर से तापमान में खासी गिरावट आई है. ऐसे में कुछ गरीब तबके के लोगों के लिए सिर्फ रैन बसेरों का ही सहारा है. बता दें कि पूरे देहरादून शहर में महज 4 रैन बसेरे हैं. इसमें से राजधानी के घंटाघर के पास स्थित एक रैन बसेरे में पहुंच कर etv भारत की टीम ने यहां की व्यवस्थाओं की पड़ताल की.
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देहरादून के घंटाघर के पास मौजूद इस रैन बसेरे के सुपरवाइजर ने बताया कि यहां ठहरने वाले हर व्यक्ति से मात्र 10 रुपये का शुल्क लिया जाता है. इस रैन बसेरे में ठहरने वाले हर एक व्यक्ति के लिए रजाई गद्दे के साथ ही अलाव की व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि हर दिन रैन बसेरे में लगभग 100 के आसपास लोग शरण लेने आते हैं. यह मुख्यतः दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोग हैं. जिनके पास ठहरने का कोई और विकल्प नहीं है.
हरिद्वार
अब बात करते हैं धर्मनगरी हरिद्वार में बने रैन बसेरों की. जहां लोग खून जमा देने वाली ठंड में भी कैसे रह रहे हैं उससे आपको रूबरू कराएंगे. हरिद्वार में रैन बसेरों में रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें रात भर ठंड में परेशान होना पड़ता है. यहां प्रशासन द्वारा अलाव और हीटर की व्यवस्था नहीं की गई है. ईटीवी भारत संवाददाता की टीम जब रैन बसेरों में जाकर लोगों से परेशानी के बारे में विस्तार से बातचीत की तो यहां प्रशासन के पुख्ता इंतजाम के दावे की हवा निकल गई.
रैन बसेरे में काम करने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें सिर्फ ठंड के समय में 1 महीने ही लकड़ी दी गई और 27 जनवरी से नगर निगम द्वारा जो लकड़ी दी जाती थी उसे बंद कर दी गई है. रैन बसेरों में बिजली शाम को 6 बजे आती है और सुबह 6 बजे बंद हो जाती है. अधिकारियों को समस्या के बारे में अवगत कराने के बावजूद लोगों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है.
रैन बसेरों में हीटर की व्यवस्था भी की गई थी, मगर 2 साल पहले लगे हीटर खराब पड़े हैं. इन हीटर को किसी ने सही नहीं कराया, जिससे लोगों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है. ठंड में लोग एक पतले कंबल से रात गुजारने को मजबूर हैं. वहीं लोगों का कहना है कि उन्हें अलाव जलाने के लिये खुद लकड़ियों की व्यवस्था करनी पड़ रही है.
ऋषिकेश
तीर्थ नगरी में बने रैन बसेरों में बेघर, बेसहारा और यात्रियों के लिए राज्य सरकार के द्वारा बनाए गए रैन बसेरे काफी राहत दे रहे हैं. आईएसबीटी कैम्पस में गरीबों के लिए चार रैन बसेरों का निर्माण करवाया गया है, जिसका लाभ लगभग सभी गरीब लोगों को मिल रहा है.
तीर्थनगरी में रोजाना देश के कई हिस्सों से लोग पहुंचते हैं. यहां यात्रियों के रहने के लिये रैन बसेरों की व्यवस्था की गई है. साथ ही रैन बसेरों में जरूरतमंदों के लिए अलाव के साथ रजाई और गद्दे रात बिताने के लिए मुहैया कराई जाती है. कई लोगों को होटल, लॉज, गेस्ट हाउस, धर्मशालाओं से कम दाम में रैन बसेरों में सुविधा मिल जाती है.
आज के इस महंगाई के दौर में होटल, लॉज, गेस्ट हाउस धर्मशालाएं सभी अब गरीब लोगों और यात्रियों की पंहुच से दूर हो चुकी हैं. ऐसे में उनके लिए बनाए गए रैन बसेरे उनको काफी राहत प्रदान कर रहे हैं.
चमोली
चमोली में बढ़ती ठंड में प्रसासन ने रैन बसेरों में अलाव की व्यवस्था नहीं की है. जिससे लोगों को इन दिनों काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का साफ कहना है कि प्रशासन की ओर से अभी तक अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है, लोग अपने संसाधनों से व्यवस्थाएं करते हैं.
वहीं तहसीलदार चमोली सोहन सिंह रांगड़ का कहना है कि चमोली तहसील द्वारा, गोपेश्वर नगरपालिका, पीपलकोटी नगर पंचायत और नंदप्रयाग नगर क्षेत्र में तीन तीन जगहों पर अलाव की व्यवस्था की गई है. साथ ही विकासखंड घाट तहसील में लकड़ियों का प्रबंध किया गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर लोगों को अलाव के लिए लकड़ियां दी जा सके.