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हरिद्वार के इस युवा नेता से था सुषमा स्वराज का गहरा नाता, अधूरी रह गई देवभूमि से जुड़ी एक इच्छा

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Published : Aug 7, 2019, 12:52 PM IST

बीजेपी की कद्दावर नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन के बाद हर कोई उन्हें याद कर रहा है. हरिद्वार के युवा नेता और पूर्व पार्षद कन्हैया खेवड़िया बताते हैं कि उनकी साल 2003 में सुषमा स्वराज से पहली मुलाकात हुई थी. उनके बीच मां-बेटे का रिश्ता बन गया था.

सुषमा स्वराज और कन्हैया खेवड़िया (फाइल फोटो)

देहरादून: भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज का वैसे तो हर राज्य, हर व्यक्ति और हर नेता से गहरा नाता था, लेकिन उत्तराखंड में साल 2000 में राज्यसभा की सांसद रहीं सुषमा स्वराज ने कुछ ऐसे रिश्ते बनाए थे, जिनको वो अपना बेहद करीबी मानती थीं और उन्हीं में से एक थे हरिद्वार के युवा नेता और पूर्व पार्षद कन्हैया खेवड़िया.

छोटी सी उम्र में अपना राजनीति सफर शुरू करने वाले कन्हैया की सुषमा स्वराज से पहली मुलाकात साल 2003 में हुई थी. सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाले कन्हैया को देखकर सुषमा न केवल प्रभावित हुईं, बल्कि उनसे कुछ देर बात भी की. उस मुलाकात के बाद कन्हैया और सुषमा स्वराज का मां बेटे का रिश्ता बन गया. शायद यही कारण है कि कन्हैया महीने 2 महीने में उनसे मुलाकात करने के लिए दिल्ली पहुंच जाते थे. इतना ही नहीं उत्तराखंड में सुषमा स्वराज किसी भी जनपद में किसी भी कार्यक्रम में जातीं, तो वो अपने आने की सूचना कन्हैया को जरूर देती थीं.

कन्हैया की मानें तो उनकी मुलाकात साल 2003 में हरिद्वार में एक कार्यक्रम में हुई थी. तब बीजेपी के नेताओं ने उन्हें सुषमा स्वराज से मिलवाया था. सुषमा स्वराज से हुई पहली मुलाकात के बाद मुलाकातों का सिलसिला लगातार जारी रहा. उसी दौरान सुषमा स्वराज ने हरिद्वार की हर की पौड़ी पर घंटाघर स्थित प्रांगण में अपने सांसद निधि से लंबा चौड़ा प्लेटफार्म भी बनवाया था. इतना ही नहीं हरिद्वार के सती घाट पर उन्होंने एक विशालकाय घाट का निर्माण भी अपने सांसद निधि से करवाया था. हरिद्वार से सुषमा स्वराज का बेहद गहरा नाता इसलिए था, क्योंकि उत्तराखंड सरकार में मौजूदा कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक भी उनको अपनी बहन मानते थे.

sushma swaraj had strong bond
सुषमा स्वराज और कन्हैया खेवड़िया (फाइल फोटो)

कन्हैया बताते हैं कि उनकी आखिरी मुलाकात अभी हाल ही में 1 महीने पहले हुई थी. इस मुलाकात में सुषमा स्वराज ने यह कहा था कि कन्हैया शायद बीजेपी को किसी की नजर लग गई है. पहले मनोहर पार्रिकर और उसके बाद उत्तराखंड के नेता प्रकाश पंत का जाना सही नहीं है. उस दौरान उन्होंने अपनी तबीयत खराब होने की बात भी कन्हैया को बताई थी.

इतना ही नहीं कन्हैया जब भी उनके पास जाते तो उनकी मनपसंद साड़ी साथ में लेकर जाते थे. कन्हैया खेवरिया बताते हैं कि साल 2010 में जब उनकी शादी हुई थी तब उन्होंने पत्नी के साथ उन्हें दिल्ली बुलाया था. तब उपहार स्वरूप उनकी पत्नी को एक साड़ी, कुछ आभूषण और उनको कुछ खास वस्तुएं भेंट की थी.

पढ़ें- सुषमा स्वराज का उत्तराखंड से था पुराना रिश्ता, हरिद्वार के लिए किए थे कई बड़े काम

कन्हैया भावुक होकर उस दिन को भी याद करते हैं, जब उत्तराखंड में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक हुआ करते थे और देहरादून में कार्यक्रम के दौरान निशंक ने कन्हैया को सुषमा स्वराज से मिलवाया, तो निशंक को रोकते हुए उन्होंने कहा कि यहां तुम से पहले मैं इसकी पूरी जन्मकुंडली जानती हूं और मेरी मुलाकात इससे आज से नहीं सालों पुरानी है.

कन्हैया इस वक्त सुषमा स्वराज के अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली पहुंचे हुए हैं. कन्हैया ने बताया कि उनकी एक इच्छा अधूरी रह गई. एक महीने पहले उन्होंने ने अपनी बेटी के साथ गंगा आरती की इच्छा जताई थी.

देहरादून: भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज का वैसे तो हर राज्य, हर व्यक्ति और हर नेता से गहरा नाता था, लेकिन उत्तराखंड में साल 2000 में राज्यसभा की सांसद रहीं सुषमा स्वराज ने कुछ ऐसे रिश्ते बनाए थे, जिनको वो अपना बेहद करीबी मानती थीं और उन्हीं में से एक थे हरिद्वार के युवा नेता और पूर्व पार्षद कन्हैया खेवड़िया.

छोटी सी उम्र में अपना राजनीति सफर शुरू करने वाले कन्हैया की सुषमा स्वराज से पहली मुलाकात साल 2003 में हुई थी. सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाले कन्हैया को देखकर सुषमा न केवल प्रभावित हुईं, बल्कि उनसे कुछ देर बात भी की. उस मुलाकात के बाद कन्हैया और सुषमा स्वराज का मां बेटे का रिश्ता बन गया. शायद यही कारण है कि कन्हैया महीने 2 महीने में उनसे मुलाकात करने के लिए दिल्ली पहुंच जाते थे. इतना ही नहीं उत्तराखंड में सुषमा स्वराज किसी भी जनपद में किसी भी कार्यक्रम में जातीं, तो वो अपने आने की सूचना कन्हैया को जरूर देती थीं.

कन्हैया की मानें तो उनकी मुलाकात साल 2003 में हरिद्वार में एक कार्यक्रम में हुई थी. तब बीजेपी के नेताओं ने उन्हें सुषमा स्वराज से मिलवाया था. सुषमा स्वराज से हुई पहली मुलाकात के बाद मुलाकातों का सिलसिला लगातार जारी रहा. उसी दौरान सुषमा स्वराज ने हरिद्वार की हर की पौड़ी पर घंटाघर स्थित प्रांगण में अपने सांसद निधि से लंबा चौड़ा प्लेटफार्म भी बनवाया था. इतना ही नहीं हरिद्वार के सती घाट पर उन्होंने एक विशालकाय घाट का निर्माण भी अपने सांसद निधि से करवाया था. हरिद्वार से सुषमा स्वराज का बेहद गहरा नाता इसलिए था, क्योंकि उत्तराखंड सरकार में मौजूदा कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक भी उनको अपनी बहन मानते थे.

sushma swaraj had strong bond
सुषमा स्वराज और कन्हैया खेवड़िया (फाइल फोटो)

कन्हैया बताते हैं कि उनकी आखिरी मुलाकात अभी हाल ही में 1 महीने पहले हुई थी. इस मुलाकात में सुषमा स्वराज ने यह कहा था कि कन्हैया शायद बीजेपी को किसी की नजर लग गई है. पहले मनोहर पार्रिकर और उसके बाद उत्तराखंड के नेता प्रकाश पंत का जाना सही नहीं है. उस दौरान उन्होंने अपनी तबीयत खराब होने की बात भी कन्हैया को बताई थी.

इतना ही नहीं कन्हैया जब भी उनके पास जाते तो उनकी मनपसंद साड़ी साथ में लेकर जाते थे. कन्हैया खेवरिया बताते हैं कि साल 2010 में जब उनकी शादी हुई थी तब उन्होंने पत्नी के साथ उन्हें दिल्ली बुलाया था. तब उपहार स्वरूप उनकी पत्नी को एक साड़ी, कुछ आभूषण और उनको कुछ खास वस्तुएं भेंट की थी.

पढ़ें- सुषमा स्वराज का उत्तराखंड से था पुराना रिश्ता, हरिद्वार के लिए किए थे कई बड़े काम

कन्हैया भावुक होकर उस दिन को भी याद करते हैं, जब उत्तराखंड में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक हुआ करते थे और देहरादून में कार्यक्रम के दौरान निशंक ने कन्हैया को सुषमा स्वराज से मिलवाया, तो निशंक को रोकते हुए उन्होंने कहा कि यहां तुम से पहले मैं इसकी पूरी जन्मकुंडली जानती हूं और मेरी मुलाकात इससे आज से नहीं सालों पुरानी है.

कन्हैया इस वक्त सुषमा स्वराज के अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली पहुंचे हुए हैं. कन्हैया ने बताया कि उनकी एक इच्छा अधूरी रह गई. एक महीने पहले उन्होंने ने अपनी बेटी के साथ गंगा आरती की इच्छा जताई थी.

Intro:उस वक्त के 14 साल के नेता से था सुषमा स्वराज का गहरा नाता-- गंगा आरती में आना चाहती थी पिछले महीने


भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री रही सुषमा स्वराज का वैसे तो हर राज्य से हर व्यक्ति से और हर नेता से उनका गहरा नाता था लेकिन उत्तराखंड में साल 2000 सन में राज्यसभा की सांसद रही सुषमा स्वराज ने कुछ ऐसे रिश्ते बना लिए थे जिनको अपना बेहद करीबी मानती थी और उन्हीं में से एक थे हरिद्वार के युवा नेता और पूर्व पार्षद कन्हैया खेवड़िया छोटी सी उम्र में अपनी राजनीति को शुरू करने वाले कन्हैया की पहली मुलाकात सुषमा स्वराज से साल 2003 में हुई थी सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाले कन्हैया को देखकर सुषमा ना केवल बेहद प्रभावित हुई थी बल्कि उनसे कुछ देर बात भी की उस मुलाकात के बाद कन्हैया और सुषमा स्वराज का मां बेटे का रिश्ता बन गया और शायद यही कारण है कि कन्हैया महीने 2 महीने में उनसे मुलाकात करने के लिए दिल्ली पहुंच जाते थे इतना ही नहीं उत्तराखंड में सुषमा स्वराज किसी भी जनपद में कैसे भी कार्यक्रम में जाती वह अपने आने की सूचना कन्हैया को जरूर देती


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कन्हैया की मानें तो उनकी मुलाकात साल 2003 में हरिद्वार में कार्यक्रम में हुई थी तब बीजेपी के नेताओं ने उन्हें सुषमा स्वराज से मिलवाया था सुषमा स्वराज से हुई पहली मुलाकात के बाद मुलाकातों का सिलसिला लगातार जारी रहा और उसी दौरान सुषमा स्वराज ने हरिद्वार की हर की पौड़ी पर घंटाघर स्थित प्रांगण में अपनी सांसद निधि से लंबा चौड़ा प्लेटफार्म भी बनवाया था इतना ही नहीं हरिद्वार के सती घाट पर उन्होंने एक विशालकाय घाट का निर्माण भी अपनी सांसद निधि से करवाया था हरिद्वार से सुषमा स्वराज का बेहद गहरा नाता इसलिए था क्योंकि उत्तराखंड सरकार में मौजूदा कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने भी उनको अपनी बहन मान रखा था

कन्हैया बताते हैं कि उनकी आखिरी मुलाकात अभी हाल ही में 1 महीने पहले हुई थी इस मुलाकात में सुषमा स्वराज ने यह कहा था कि कन्हैया शायद बीजेपी को किसी की नजर लग गई है पहले मनोहर पारिकर और उसके बाद उत्तराखंड के नेता प्रकाश पंत का जाना सही नहीं है उस दौरान उन्होंने अपनी तबीयत खराब होने की बात भी कन्हैया को बताई थी इतना ही नहीं कन्हैया जब भी उनके पास जाते तो उनकी मनपसंद साड़ी साथ में लेकर जाते कन्हैया खेवरिया बताते हैं कि साल 2010 में जब उनकी शादी हुई थी तब उन्होंने पत्नी के साथ उन्हें दिल्ली बुलाया था और तब उपहार स्वरूप उनकी पत्नी को एक साड़ी कुछ आभूषण और उनको कुछ खास वस्तुएं भेंट की थी इतना ही नहीं कन्हैया भावुक होकर उस दिन को भी याद करते हैं जब उत्तराखंड में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक हुआ करते थे और देहरादून में कार्यक्रम के दौरान जब निशंक में कन्हैया सुषमा स्वराज से मिलवाया तो निशंक को रोकते हुए उन्होंने यह तक कह दिया था कि तुम से पहले मैं इसकी पूरी जन्मकुंडली जानती हूं और मेरी मुलाकात इससे आज से नहीं सालों पुरानी है


Conclusion:
कन्हैया इस वक्त उनके अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली पहुंचे हुए हैं लिहाजा उन्होंने बताया कि उनकी एक इच्छा अधूरी रह गई 1 महीने पहले मिले कन्हैया को सुषमा स्वराज ने कहा था कि उनकी बहुत अच्छा अपने बेटी के साथ हरिद्वार में गंगा आरती की है और जल्द ही वह हरिद्वार में आकर गंगा आरती में भाग लेंगी लेकिन उनकी आखिरी इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकी
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