देहरादून: भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज का वैसे तो हर राज्य, हर व्यक्ति और हर नेता से गहरा नाता था, लेकिन उत्तराखंड में साल 2000 में राज्यसभा की सांसद रहीं सुषमा स्वराज ने कुछ ऐसे रिश्ते बनाए थे, जिनको वो अपना बेहद करीबी मानती थीं और उन्हीं में से एक थे हरिद्वार के युवा नेता और पूर्व पार्षद कन्हैया खेवड़िया.
छोटी सी उम्र में अपना राजनीति सफर शुरू करने वाले कन्हैया की सुषमा स्वराज से पहली मुलाकात साल 2003 में हुई थी. सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाले कन्हैया को देखकर सुषमा न केवल प्रभावित हुईं, बल्कि उनसे कुछ देर बात भी की. उस मुलाकात के बाद कन्हैया और सुषमा स्वराज का मां बेटे का रिश्ता बन गया. शायद यही कारण है कि कन्हैया महीने 2 महीने में उनसे मुलाकात करने के लिए दिल्ली पहुंच जाते थे. इतना ही नहीं उत्तराखंड में सुषमा स्वराज किसी भी जनपद में किसी भी कार्यक्रम में जातीं, तो वो अपने आने की सूचना कन्हैया को जरूर देती थीं.
कन्हैया की मानें तो उनकी मुलाकात साल 2003 में हरिद्वार में एक कार्यक्रम में हुई थी. तब बीजेपी के नेताओं ने उन्हें सुषमा स्वराज से मिलवाया था. सुषमा स्वराज से हुई पहली मुलाकात के बाद मुलाकातों का सिलसिला लगातार जारी रहा. उसी दौरान सुषमा स्वराज ने हरिद्वार की हर की पौड़ी पर घंटाघर स्थित प्रांगण में अपने सांसद निधि से लंबा चौड़ा प्लेटफार्म भी बनवाया था. इतना ही नहीं हरिद्वार के सती घाट पर उन्होंने एक विशालकाय घाट का निर्माण भी अपने सांसद निधि से करवाया था. हरिद्वार से सुषमा स्वराज का बेहद गहरा नाता इसलिए था, क्योंकि उत्तराखंड सरकार में मौजूदा कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक भी उनको अपनी बहन मानते थे.
कन्हैया बताते हैं कि उनकी आखिरी मुलाकात अभी हाल ही में 1 महीने पहले हुई थी. इस मुलाकात में सुषमा स्वराज ने यह कहा था कि कन्हैया शायद बीजेपी को किसी की नजर लग गई है. पहले मनोहर पार्रिकर और उसके बाद उत्तराखंड के नेता प्रकाश पंत का जाना सही नहीं है. उस दौरान उन्होंने अपनी तबीयत खराब होने की बात भी कन्हैया को बताई थी.
इतना ही नहीं कन्हैया जब भी उनके पास जाते तो उनकी मनपसंद साड़ी साथ में लेकर जाते थे. कन्हैया खेवरिया बताते हैं कि साल 2010 में जब उनकी शादी हुई थी तब उन्होंने पत्नी के साथ उन्हें दिल्ली बुलाया था. तब उपहार स्वरूप उनकी पत्नी को एक साड़ी, कुछ आभूषण और उनको कुछ खास वस्तुएं भेंट की थी.
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कन्हैया भावुक होकर उस दिन को भी याद करते हैं, जब उत्तराखंड में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक हुआ करते थे और देहरादून में कार्यक्रम के दौरान निशंक ने कन्हैया को सुषमा स्वराज से मिलवाया, तो निशंक को रोकते हुए उन्होंने कहा कि यहां तुम से पहले मैं इसकी पूरी जन्मकुंडली जानती हूं और मेरी मुलाकात इससे आज से नहीं सालों पुरानी है.
कन्हैया इस वक्त सुषमा स्वराज के अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली पहुंचे हुए हैं. कन्हैया ने बताया कि उनकी एक इच्छा अधूरी रह गई. एक महीने पहले उन्होंने ने अपनी बेटी के साथ गंगा आरती की इच्छा जताई थी.