हरिद्वार: गंगा को स्वच्छ करने के नाम पर आज सरकारें लाखों रुपए खर्च कर रही हैं. इसके लिए देशभर में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिनके तहत गंगा स्वच्छता के वादे और दावे किये जाते हैं. उत्तराखंड में भी बीते कुछ दिनों पहले पीएम मोदी ने 8 एसटीएफ प्लांट का लोकार्पण किया. जिसका मकसद गंगा में गिरने वाले गंदे नाले के पानी को रोकना है. बात अगर धर्मनगरी हरिद्वार की करें तो यहां आज से कुछ समय पहले दो दर्जन गंदे नाले सीधे गंगा नदी में गिरते थे. प्रशासन इन्हें पूरी तरह टैप करने के दावे करता रहा. इन दावों में कितनी सच्चाई है, आइये जानते हैं.
जिला प्रशासन और मेला प्रशासन के दावों को सच्चाई जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले उत्तरी हरिद्वार भूपतवाला पावन धाम के पास श्री लोकनाथ ब्रह्मचारी घाट पर पहुंची. यहां पर दो नालों का गंदा पानी सीधा गंगा में गिर रहा है. उसी घाट पर श्रद्धालु स्नान करने आ रहे हैं. श्रद्धालु इसे देखकर दुःखी नजर आए. वहीं, उसके पास ही सूखी नदी से गंगा की तरफ जाने वाले रास्ते पर भी गंदा पानी गंगा में जाता हुआ दिखाई दिया.
उसके बाद हमारी टीम मध्य हरिद्वार इलाके में पहुंची. यहां भी हालत कमोवेश एक जैसे ही नजर आये. प्रशासन ने ललतारा पुल से गुजरने वाले गंदे नाले को गंगा में जाने से रोकने के लाख दावे करता रहा, मगर जब हमारी टीम मौके पर पहुंची, हकीकत कुछ और ही नजर आई. यहां आज भी गंदे पानी का नाला बदस्तूर गंगा में गिर रहा है. साथ ही ज्वालापुर के कसाबान का नाला भी आज तक टैप नहीं हो सका है, जिसका गंदा पानी भी सीधे गंगा की निर्मल धारा को मैला कर रहा है.
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सरकार के लाख वादों और प्रशासन के दावों के बावजूद आज भी गंगा में गिरते गंदे नालों को नहीं रोका जा सका है. जिससे श्रद्धालुओं के साथ ही स्थानीय लोग काफी दुखी हैं. मसूरी से गंगा स्नान करने आए लोकेंद्र डंगवाल बताते हैं कि श्री लोकनाथ ब्रह्मचारी घाट पर गंदा नाला बह रहा है, मगर प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
वहीं, इस मामले जब हमने मेला अधिकारी दीपक रावत से बात की तो उन्होंने बारिश का हवाला देते हुए जिम्मेदारी से बचने का प्रयास किया. उन्होंने एक बार फिर से वहीं रटी-रटाई बात कही, कि हरिद्वार के सभी नालों को टैप किया जा चुका है. उन्होंने कहा सभी नालों को एसटीपी से जोड़ा गया है, जिससे इन नालों के गंदे पानी को फिल्टर कर फिर से उपयोग में लाया जाएगा.
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बहरहाल, ईटीवी भारत की टीम ने प्रशासन के उन तमाम दावों की पड़ताल की, जिनकी हर रोज बात की जाती है. हमारी पड़ताल में प्रशासन के दावों की हकीकत कथनी के ठीक उलट नजर आयी. हमने अपनी पड़ताल में पाया कि आज भी धर्मनगरी हरिद्वार में कई जगह ऐसी हैं जहां गंदे नाले सीधे गंगा नदी में गिरते हैं. बात अगर गंगा की स्वच्छता और अविरलता की करें तो उसे लेकर भी सरकार और प्रशासन सवालों के घेरे में आता है. श्रद्धालुओं की शिकायतें हमारी इस पड़ताल पर मुहर लगाती है.
कुल मिलाकर कहा जाये तो आज भी गंगा को शुद्ध करने के नाम पर कहीं कागजों में तो कहीं धरातल पर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं. मगर, जितने जोर-शोर से गंगा स्वच्छता, नमामि गंगे, एसटीएफ का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, उतना धरातल पर दिखता नहीं है. इसलिए सरकारों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को चाहिए वे गंगा को लेकर बनाई जा रही योजनाओं में स्वार्थ के गोते न लगाये. इसके लिए गंभीरता से काम करें. क्योंकि इस देश में गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है बल्कि मां का दर्जा प्राप्त है.