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सांप्रदायिक सौहार्द का मिसाल बना रुड़की शहर, हिंदू-मुस्लिम युवाओं ने पेश की नजीर

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Published : Jan 2, 2020, 10:34 PM IST

Updated : Jan 2, 2020, 11:01 PM IST

रुड़की के शिकोहपुर गांव के सैय्यद वली शाह बाबा की दरगाह में नए साल के उपलक्ष्य में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक साथ मिलकर एक भंडारे का आयोजन किया. जो देशभर में भाईचारे का संदेश दे रही है.

hindu muslim people gave unity message
सांप्रदायिक सौहार्द का मिसाल बना रुड़की शहर

रुड़की: एक ओर जहां देशभर में कुछ सांप्रदायिक ताकतें नफरत का जहर घोलने का काम कर रही हैं. वहीं, दूसरी ओर कई लोग ऐसे भी हैं जो भाईचारे का संदेश देकर सांप्रदायिक सौहार्द फैला रहे हैं. इसकी बानगी रुड़की के भगवानपुर इलाके के झींवर हेड़ी गांव में देखने को मिली. यहां दो समुदाय के लोगों ने एक साथ मिलकर भंडारे का आयोजन किया.

दरअसल, मौका था नए साल के जश्न का. भगवानपुर तहसील के शिकोहपुर गांव के झींवर हेड़ी माजरे में सैय्यद वली शाह बाबा की एक दरगाह स्थित है. यहां नए साल के उपलक्ष्य में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इकट्ठा होकर एक भंडारे का आयोजन किया. जिसमें आसपास के इलाकों के बच्चे, बूढ़े और नौजवानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. अपना समय निकालकर इन लोगों ने भंडारे में शिरकत की. इस भंडारे का मुख्य उद्देश्य समाज को सांप्रदायिक सौहार्द फैलाने का काम कर रहे हैं. ये बताने की कोशिश है कि भाईचारे से बड़ी कोई ताकत नहीं और मुहब्बत से बड़ी कोई दौलत नहीं.

सांप्रदायिक सौहार्द का मिसाल बना रुड़की शहर

ये भी पढ़ेंः 8 वर्षीय कृष्णा के आगे मात खा गई आर्थिक तंगी, वजन तोलकर कर रहा पढ़ाई

भले ही ये भंडारा बहुत छोटे स्तर का हो, लेकिन जो संदेश इस भंडारे के माध्यम से देने की कोशिश की गई है, वो कितनी बड़ी है इसका अंदाजा आप बखूबी लगा सकते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि वे हर नए साल के मौके पर भंडारे का आयोजन किया जाता है. जिसमें सभी लोग प्रसाद ग्रहण करने पहुंचते हैं. साथ ही कहा कि सभी को एकजुट रहना चाहिए. यही हिन्दुस्तान की पहचान है. मजहब के नाम पर लड़ना नहीं चाहिए. बल्कि, सौहार्द स्थापित करना चाहिए.

रुड़की: एक ओर जहां देशभर में कुछ सांप्रदायिक ताकतें नफरत का जहर घोलने का काम कर रही हैं. वहीं, दूसरी ओर कई लोग ऐसे भी हैं जो भाईचारे का संदेश देकर सांप्रदायिक सौहार्द फैला रहे हैं. इसकी बानगी रुड़की के भगवानपुर इलाके के झींवर हेड़ी गांव में देखने को मिली. यहां दो समुदाय के लोगों ने एक साथ मिलकर भंडारे का आयोजन किया.

दरअसल, मौका था नए साल के जश्न का. भगवानपुर तहसील के शिकोहपुर गांव के झींवर हेड़ी माजरे में सैय्यद वली शाह बाबा की एक दरगाह स्थित है. यहां नए साल के उपलक्ष्य में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इकट्ठा होकर एक भंडारे का आयोजन किया. जिसमें आसपास के इलाकों के बच्चे, बूढ़े और नौजवानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. अपना समय निकालकर इन लोगों ने भंडारे में शिरकत की. इस भंडारे का मुख्य उद्देश्य समाज को सांप्रदायिक सौहार्द फैलाने का काम कर रहे हैं. ये बताने की कोशिश है कि भाईचारे से बड़ी कोई ताकत नहीं और मुहब्बत से बड़ी कोई दौलत नहीं.

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भले ही ये भंडारा बहुत छोटे स्तर का हो, लेकिन जो संदेश इस भंडारे के माध्यम से देने की कोशिश की गई है, वो कितनी बड़ी है इसका अंदाजा आप बखूबी लगा सकते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि वे हर नए साल के मौके पर भंडारे का आयोजन किया जाता है. जिसमें सभी लोग प्रसाद ग्रहण करने पहुंचते हैं. साथ ही कहा कि सभी को एकजुट रहना चाहिए. यही हिन्दुस्तान की पहचान है. मजहब के नाम पर लड़ना नहीं चाहिए. बल्कि, सौहार्द स्थापित करना चाहिए.

Intro:रुड़की

रूड़की: जहाँ एक तरफ देशभर में कुछ साम्प्रदायिक ताकते नफरत का ज़हर लगातार घोलने का काम कर रही है वंही आज भी देश भर में ऐसी लाखो तस्वीरे है जो इन साम्प्रदायिक ताकतों को समय समय पर उनकी औकात दिखाने का काम बखूबी करती रहती है। ऐसी ही एक खूबसूरत तस्वीर रूड़की क्षेत्र के भगवानपुर इलाके के झींवर हेड़ी गांव में देखने को मिली है। वहीं जो तस्वीर हम आपको दिखाने जा रहे है जिसे देखकर गंगा जमनी तहजीब का अहसास आप सबको ज़रूर होगा।

Body:बता दें कि नन्हे मासूम, नौजवान और बुजुर्गों की जो टोली तस्वीरों में नज़र आ रही है दरअसल ये खूबसूरत नजारा भगवानपुर तहसील के खेडी शिकोहपुर गांव के झींवर हेड़ी माजरे में स्थित सैय्यद वली शाह बाबा की दरगाह का है जहां पर नए साल के आने के बाद हिंदू मुस्लिम इकट्ठा होकर एक भंडारे का आयोजन कर रहे है। वहीं आस पास के छोटे से गांव से बच्चे बूढ़े और नौजवान अपना समय निकालकर इस भंडारे में शिरकत कर रहे है। और समाज को एक संदेश दे रहे है कि भाईचारे से बड़ी कोई ताकत नही और मुहब्बत से बडी कोई दौलत नही।

गोर हो कि भले ही ये भंडारा बहुत छोटे स्तर का हो लेकिन जो संदेश इस भंडारे का माध्यम से देने की कोशिश की गई है वो कितनी बड़ी है इसका अंदाज़ा आप लोग बखूबी लगा सकते है। बधाई के पात्र है वो लोग जो आज भी हिंदुस्तान की गंगा जमनी तहज़ीब को ज़िंदा रखे हुए है। हकीकत बात ये ही है कि यही है हिंदुस्तान की असली तस्वीर।

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Last Updated : Jan 2, 2020, 11:01 PM IST
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