रुड़की: मैं अकेला ही चला था जानिब -ए- मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया. जी हां...! ये दो लाइनें रुड़की के बीएससी के छात्र सौरभ पर सटीक में बैठती है. ये नौजवान पैदल ही हेलमेट लगाकर हाथ और गले में तख्ती लटकाए रुड़की की सड़कों पर लोगों को यातायात के प्रति जागरूक कर रहा है. सौरभ कहता है कि दोस्त की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत के बाद उसने ऐसा करने का मन बनाया है.
बता दें कि रुड़की के शंकरपुरी निवासी सौरभ रुड़की के डीएवी कॉलेज से बीएससी कर रहा है. सौरभ का कहना है कि वह रोजाना न्यूज चैनल और अखबारों में खबर देखता था कि आए दिन कहीं न कहीं सड़क हादसों में लोगों की मौत हो रही है. सौरभ ने बताया कि एक दिन उसने अपने प्रिय दोस्त को सड़क हादसे में खो दिया. जिसने दिल को झकझोर दिया. इस घटना के बाद सौरभ ने ठान लिया कि वह लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करेगा.
सौरभ रोजाना सुबह हेमलेट लगाकर पैदल घर से निकलता है. अपने हाथ और गले में यातायात से जुड़े स्लोगल लिखी तख्तियां लटकाए रुड़की की सड़कों पर लोगों को जागरूक करता है. सौरभ बताता है कि पहले तो लोगों ने उसका मजाक उड़ाया, लेकिन फिर लोगों ने उसको समझा और अब लोग उसे और उसके इस कार्य को सराहना करते हैं.
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सौरभ ने बताया कि वह लोगों को यातायात के नियमों के प्रति जागरूक करने के मकसद से कार्य कर रहा है. उसने बताया कि जीवन अनमोल है, इसकी हिफाजत करें, यातायात नियमों का पालन करें, खुद भी बचें और लोगों को भी बचाएं. सौरभ ने अपने जागरुकता अभियान के लिए स्लोगन 'शोक संदेश में न बदल जाए, उससे पहले हेलमेट जरूर लगाएं' जैसी तख्तियां लेकर घूमता है.