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क्या आप जानते हैं हिंदुत्व और हिंदू शब्द का इतिहास? क्यों हो रहा इस पर विवाद

पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की लिखी किताब सनराइज ओवर अयोध्या (Sunrise Over Ayodhya) पर बवाल मचा है. जिसके साथ ही हिंदुत्व शब्द एक फिर चर्चा में आ गया है. वहीं, सलमान खुर्शीद की किताब से उठे बवाल के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बयान जारी किया था, जिसमें उन्होंने सलमान खुर्शीद के बचाव में हिंदू और हिंदुत्व को परिभाषित किया. इस बयान के बाद लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

राहुल गांधी का हिंदू और हिंदुत्व पर बयान
राहुल गांधी का हिंदू और हिंदुत्व पर बयान
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Published : Nov 14, 2021, 8:22 AM IST

Updated : Nov 14, 2021, 6:14 PM IST

हरिद्वार: उत्तराखंड में अगले कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. बीजेपी अपनी सत्ता को बरकरार रखने की जद्दोजहद कर रही है. वहीं, विपक्षी दलों ने धामी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए मोर्चा खोल रखा है. इन सबके बीच उत्तराखंड सहित अन्य पांच राज्यों के चुनाव अभियानों में साफ दिख रहा है कि ज्यादातर दलों और नेताओं को अब मंच से हिंदुत्व की बात करने से परहेज नहीं कर रहे हैं. आज हम आपको हिंदुत्व की अवधारणा के बारे में बताएंगे, आखिर ये शब्द पहली बार किसने इस्तेमाल किया, इस शब्द को लेकर विवाद क्यों जुड़े हैं. लेकिन, उससे पहले जानिए यह शब्द आखिर चर्चा क्यों आया.

सलमान खुर्शीद की किताब पर बवाल: पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद (Former Union Minister Salman Khurshid) की किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' (Sunrise Over Ayodhya) को लेकर बवाल मचा हुआ है. दरअसल खुर्शीद ने इस किताब में हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन ISIS और बोको हरम से की है. खुर्शीद की टिप्पणी के बाद उसके सर्मथन में कांग्रेस के कई नेता उतर आए हैं, यहां तक कि खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हिंदू और हिंदुत्व पर टिप्पणी करके इस मुद्दे को हवा दे दी है. राहुल गांधी के इस बयान के बाद राजनीति गर्मा गई है. साथ ही राहुल गांधी भाजपा के निशाने पर आ गए हैं. जिसमें लोग अब हिंदू और हिंदुत्व को अपने-अपने तरीके से परिभाषित करते नजर आ रहे हैं.

राहुल गांधी के बयान के बाद ह‍िंदुत्व और ह‍िंदू में बहस तेज.

हिंदुत्व की राजनीति तेज: 2014 के बाद से भारत की राजनीति में बड़ा शिफ्ट हुआ है. जिसके बाद से यह लगभग तय सा हो गया है कि देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को अपनी चुनावी राजनीति हिंदुत्व के धरातल पर ही करनी होगी. संघ हमेशा से ही भारत के हिंदु राष्ट्र की छवि को लेकर मुखर रहा है.

वहीं, आज हालात ऐसे बन चुके हैं कि स्वाधीनता आंदोलन की विरासत का दावा करने वाली पार्टी कांग्रेस को धर्मनिरपेक्षता की जगह हिंदुत्व का राग को अलापना पड़ रहा है, उसके शीर्ष नेता खुद को हिंदू साबित करने के लिए अपना जनेऊ दिखाने और मंदिरों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं.

हिंदुत्व शब्द का क्या है इतिहास: इस शब्द का पहली बार साल 1892 में बंगाली साहित्यकार चंद्रनाथ बसु ने अपनी किताब 'हिंदुत्व' में इस्तेमाल किया था. 1892 में लिखी गई पुस्तक हिंदुओं को जागृत करने के उद्देश्य से लिखी गई थी. दरअसल हिंदुत्व शब्द को असल पहचान विनायक दामोदर सावरकर ने दिलाई, उन्होंने 1923 में हिंदुत्व पर पुस्तक लिखी थी. सावरकर ने प्रसिद्ध किताब हिंदुत्व’ लिखी थी. हिंदुत्व’ की विचारधारा ने ही हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जन्म दिया था.

सावरकर की किताब में हिंदुत्व का जिक्र: अंडमान जेल से वापसी के बाद विनायक दामोदर सावरकर ने एक और किताब लिखी थी जिसका नाम है 'हिंदुत्व– हू इज हिंदू?'. इसमें उन्होंने पहली बार हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर इस्तेमाल किया था. सावरकर का मानना था कि 'भारत के लोग मूलत: हिंदू हैं और इस देश का नागरिक वही हो सकता है, जिसकी पितृ भूमि, मातृ भूमि और पुण्य भूमि यही हो. पितृ और मातृ भूमि तो किसी की हो सकती है, लेकिन पुण्य भूमि तो सिर्फ हिंदुओं, सिखों, बौद्ध और जैनियों की हो सकती है. सावरकर ने लिखा था कि हिंदू बनकर ही इस पुण्यभूमि का हुआ जा सकता है.

राम मंदिर आंदोलन में हिंदुत्व: अयोध्या राम मंदिर मुद्दा भारत की राजनीति पर हमेशा हावी रहा और हिंदुत्व (Hindutva) की लहर का मुख्य कारण बनने के साथ ही, राजनीतिक पार्टी के तौर पर भाजपा के विकास की वजह भी रहा. आज जो पार्टी स्पष्ट बहुमत से देश का नेतृत्व कर रही है, उसकी यात्रा 1984 में दो सांसदों के साथ शुरू हुई थी. 1980 में ही जन संघ और जनता पार्टी के एक धड़े ने साथ आकर भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी थी. तभी से हिंदुत्व के नज़रिये को लेकर पार्टी के बीते 41 साल बड़े घुमावदार रहे.

भाजपा के लिए हिंदुत्व: 1989 के पालमपुर सम्मेलन में पार्टी ने तय किया कि उसका मुख्य राजनीतिक एजेंडा 'राम जन्मभूमि को मुक्त करवाकर विवादित स्थान पर भव्य मंदिर बनवाना' होगा. हिंदुत्व के कट्टर चेहरे लालकृष्ण आडवाणी को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया. अगले ही साल 1990 में आडवाणी ने अपनी सोमनाथ से अयोध्या रथयात्रा शुरू की. यह समय राजनीतिक रूप से ध्यान देने वाला था क्योंकि केंद्र, उप्र और बिहार में कांग्रेस ढलान पर थी. वीपी सिंह लेफ्ट और राइट दोनों के समर्थन से पीएम थे और भाजपा के अब 85 लोकसभा सांसद थे, जबकि लेफ्ट के 45.

1990 में कारसेवकों पर फायरिंग के आदेश देने पर जहां मुलायम सिंह को 'मौलाना मुलायम' का खिताब मिला. वहीं, समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार किए जाने पर लालू प्रसाद यादव को भी एक हिंदू विरोधी राजनीतिक प्रचार मिलना शुरू हुआ.

एक तरफ हिंदुत्व तो दूसरी तरफ जाति आधारित राजनीति और मंडल एवं दलित पॉलिटिक्स कसर पूरी कर रही थी. 1996 और 1999 के चुनावों में भाजपा को खासी कामयाबी मिलती दिखी और देश में 1999 में पहली बार पूरे कार्यकाल वाली भाजपा सरकार बनी. दूसरी तरफ, राज्यों में मुलायम, मायावती और लालू जैसे नेताओं की राजनीति चमक रही थी. अब राम ​मंदिर मुद्दा बोतल से बाहर आया जिन्न बन चुका था और एक कानूनी लड़ाई में था.

क्या कहते हैं शिक्षाविद्: हरिद्वार के शिक्षाविद् पीएस चौहान का कहना है कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व में बहुत फर्क है. भारतीय संस्कृति की लाखों वर्षों से चली आ रही मान्यताओं और उपनिषदों, गीता और धार्मिक ग्रन्थों का निचोड़ ही हिंदू धर्म है और हिदुत्व, हिंदू शब्द का संकीर्ण सोच वाला शब्द है. जिसका उपयोग आरएसएस द्वारा शुरू किया गया. जिसको वोट बैंक की राजनीति के लिए बीजेपी द्वारा ज्यादा प्रसारित किया गया.

हिंदू शब्द अपने आप में एक व्यापकता लिए हुए है जो अनेकता में एकता को दर्शाता है. जबकि हिंदुत्व एक रूपता में विश्वास रखता है और अपने आप को दूसरे पर तो अपने पर विश्वास रखता है. हिंदू धर्म दूसरों के प्रति निशा का भाव नहीं फैलाता है. जबकि हिंदुत्व को राजनीतिक पार्टियां अपने हितों के लिए उपयोग करती हैं. उनका साफ कहना है कि हिंदुत्व का उपयोग भाजपा द्वारा अपने वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जाता रहा है. जिसका 19वीं शताब्दी से पहले कहीं पर भी प्रचलन देखने को नहीं मिलता है. वहीं ज्योतिषाचार्य प्रदीप जोशी का कहना है कि हिंदू संज्ञा रूप है, जबकि हिंदुत्व विशेषण है. जो हिंदुस्तान में रहता है वो हिंदू हुआ और जो हिंदू के जीवन को अंगीकार करता है वो हिंदुत्व है.

पढ़ें: 'मैंने इगास तो हरदा ने दी 'शुक्रवार' की छुट्टी', डीडीहाट में CM धामी का हिंदुत्व कार्ड!

क्यों मच रहा बवाल? दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने अपनी नई पुस्तक 'सनराइज ओवर अयोध्‍या:नेशनहुड इन अवर टाइम्‍स' (Sunrise Over Ayodhya: Nationhood in Our Times) में हिंदुत्व पर टिप्पणी की है. किताब में हिंदुत्व की तुलना जिहादी ग्रुप आईएसआईएस और बोको हराम से की गई है. खुर्शीद की किताब में एक चैप्टर 'द सैफ्रन स्काई' को लेकर बवाल मचा हुआ है.

राहुल गांधी का बयान: दरअसल, राहुल गांधी ने कहा कि हिंदूवाद और हिंदुत्व अलग-अलग हैं. हिंदूवाद किसी का कत्ल नहीं करता, लेकिन हिंदुत्व ऐसा करता है. राहुल गांधी ने कहा, बीजेपी हिन्दुत्व की बात करती है. हम कहते हैं कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व में फर्क है, क्योंकि अगर फर्क नहीं होता तो नाम एक ही होता. राहुल गांधी ने कहा कि मैंने उपनिषद पढ़ा है, मैंने इसे हिंदू, सिख या इस्लामी धर्मग्रंथों में नहीं देखा है. मैं इसे हिंदुत्व में देख सकता हूं. राहुल गांधी के इस बयान पर बहस छिड़ गई है.

हरिद्वार: उत्तराखंड में अगले कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. बीजेपी अपनी सत्ता को बरकरार रखने की जद्दोजहद कर रही है. वहीं, विपक्षी दलों ने धामी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए मोर्चा खोल रखा है. इन सबके बीच उत्तराखंड सहित अन्य पांच राज्यों के चुनाव अभियानों में साफ दिख रहा है कि ज्यादातर दलों और नेताओं को अब मंच से हिंदुत्व की बात करने से परहेज नहीं कर रहे हैं. आज हम आपको हिंदुत्व की अवधारणा के बारे में बताएंगे, आखिर ये शब्द पहली बार किसने इस्तेमाल किया, इस शब्द को लेकर विवाद क्यों जुड़े हैं. लेकिन, उससे पहले जानिए यह शब्द आखिर चर्चा क्यों आया.

सलमान खुर्शीद की किताब पर बवाल: पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद (Former Union Minister Salman Khurshid) की किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' (Sunrise Over Ayodhya) को लेकर बवाल मचा हुआ है. दरअसल खुर्शीद ने इस किताब में हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन ISIS और बोको हरम से की है. खुर्शीद की टिप्पणी के बाद उसके सर्मथन में कांग्रेस के कई नेता उतर आए हैं, यहां तक कि खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हिंदू और हिंदुत्व पर टिप्पणी करके इस मुद्दे को हवा दे दी है. राहुल गांधी के इस बयान के बाद राजनीति गर्मा गई है. साथ ही राहुल गांधी भाजपा के निशाने पर आ गए हैं. जिसमें लोग अब हिंदू और हिंदुत्व को अपने-अपने तरीके से परिभाषित करते नजर आ रहे हैं.

राहुल गांधी के बयान के बाद ह‍िंदुत्व और ह‍िंदू में बहस तेज.

हिंदुत्व की राजनीति तेज: 2014 के बाद से भारत की राजनीति में बड़ा शिफ्ट हुआ है. जिसके बाद से यह लगभग तय सा हो गया है कि देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को अपनी चुनावी राजनीति हिंदुत्व के धरातल पर ही करनी होगी. संघ हमेशा से ही भारत के हिंदु राष्ट्र की छवि को लेकर मुखर रहा है.

वहीं, आज हालात ऐसे बन चुके हैं कि स्वाधीनता आंदोलन की विरासत का दावा करने वाली पार्टी कांग्रेस को धर्मनिरपेक्षता की जगह हिंदुत्व का राग को अलापना पड़ रहा है, उसके शीर्ष नेता खुद को हिंदू साबित करने के लिए अपना जनेऊ दिखाने और मंदिरों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं.

हिंदुत्व शब्द का क्या है इतिहास: इस शब्द का पहली बार साल 1892 में बंगाली साहित्यकार चंद्रनाथ बसु ने अपनी किताब 'हिंदुत्व' में इस्तेमाल किया था. 1892 में लिखी गई पुस्तक हिंदुओं को जागृत करने के उद्देश्य से लिखी गई थी. दरअसल हिंदुत्व शब्द को असल पहचान विनायक दामोदर सावरकर ने दिलाई, उन्होंने 1923 में हिंदुत्व पर पुस्तक लिखी थी. सावरकर ने प्रसिद्ध किताब हिंदुत्व’ लिखी थी. हिंदुत्व’ की विचारधारा ने ही हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जन्म दिया था.

सावरकर की किताब में हिंदुत्व का जिक्र: अंडमान जेल से वापसी के बाद विनायक दामोदर सावरकर ने एक और किताब लिखी थी जिसका नाम है 'हिंदुत्व– हू इज हिंदू?'. इसमें उन्होंने पहली बार हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर इस्तेमाल किया था. सावरकर का मानना था कि 'भारत के लोग मूलत: हिंदू हैं और इस देश का नागरिक वही हो सकता है, जिसकी पितृ भूमि, मातृ भूमि और पुण्य भूमि यही हो. पितृ और मातृ भूमि तो किसी की हो सकती है, लेकिन पुण्य भूमि तो सिर्फ हिंदुओं, सिखों, बौद्ध और जैनियों की हो सकती है. सावरकर ने लिखा था कि हिंदू बनकर ही इस पुण्यभूमि का हुआ जा सकता है.

राम मंदिर आंदोलन में हिंदुत्व: अयोध्या राम मंदिर मुद्दा भारत की राजनीति पर हमेशा हावी रहा और हिंदुत्व (Hindutva) की लहर का मुख्य कारण बनने के साथ ही, राजनीतिक पार्टी के तौर पर भाजपा के विकास की वजह भी रहा. आज जो पार्टी स्पष्ट बहुमत से देश का नेतृत्व कर रही है, उसकी यात्रा 1984 में दो सांसदों के साथ शुरू हुई थी. 1980 में ही जन संघ और जनता पार्टी के एक धड़े ने साथ आकर भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी थी. तभी से हिंदुत्व के नज़रिये को लेकर पार्टी के बीते 41 साल बड़े घुमावदार रहे.

भाजपा के लिए हिंदुत्व: 1989 के पालमपुर सम्मेलन में पार्टी ने तय किया कि उसका मुख्य राजनीतिक एजेंडा 'राम जन्मभूमि को मुक्त करवाकर विवादित स्थान पर भव्य मंदिर बनवाना' होगा. हिंदुत्व के कट्टर चेहरे लालकृष्ण आडवाणी को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया. अगले ही साल 1990 में आडवाणी ने अपनी सोमनाथ से अयोध्या रथयात्रा शुरू की. यह समय राजनीतिक रूप से ध्यान देने वाला था क्योंकि केंद्र, उप्र और बिहार में कांग्रेस ढलान पर थी. वीपी सिंह लेफ्ट और राइट दोनों के समर्थन से पीएम थे और भाजपा के अब 85 लोकसभा सांसद थे, जबकि लेफ्ट के 45.

1990 में कारसेवकों पर फायरिंग के आदेश देने पर जहां मुलायम सिंह को 'मौलाना मुलायम' का खिताब मिला. वहीं, समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार किए जाने पर लालू प्रसाद यादव को भी एक हिंदू विरोधी राजनीतिक प्रचार मिलना शुरू हुआ.

एक तरफ हिंदुत्व तो दूसरी तरफ जाति आधारित राजनीति और मंडल एवं दलित पॉलिटिक्स कसर पूरी कर रही थी. 1996 और 1999 के चुनावों में भाजपा को खासी कामयाबी मिलती दिखी और देश में 1999 में पहली बार पूरे कार्यकाल वाली भाजपा सरकार बनी. दूसरी तरफ, राज्यों में मुलायम, मायावती और लालू जैसे नेताओं की राजनीति चमक रही थी. अब राम ​मंदिर मुद्दा बोतल से बाहर आया जिन्न बन चुका था और एक कानूनी लड़ाई में था.

क्या कहते हैं शिक्षाविद्: हरिद्वार के शिक्षाविद् पीएस चौहान का कहना है कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व में बहुत फर्क है. भारतीय संस्कृति की लाखों वर्षों से चली आ रही मान्यताओं और उपनिषदों, गीता और धार्मिक ग्रन्थों का निचोड़ ही हिंदू धर्म है और हिदुत्व, हिंदू शब्द का संकीर्ण सोच वाला शब्द है. जिसका उपयोग आरएसएस द्वारा शुरू किया गया. जिसको वोट बैंक की राजनीति के लिए बीजेपी द्वारा ज्यादा प्रसारित किया गया.

हिंदू शब्द अपने आप में एक व्यापकता लिए हुए है जो अनेकता में एकता को दर्शाता है. जबकि हिंदुत्व एक रूपता में विश्वास रखता है और अपने आप को दूसरे पर तो अपने पर विश्वास रखता है. हिंदू धर्म दूसरों के प्रति निशा का भाव नहीं फैलाता है. जबकि हिंदुत्व को राजनीतिक पार्टियां अपने हितों के लिए उपयोग करती हैं. उनका साफ कहना है कि हिंदुत्व का उपयोग भाजपा द्वारा अपने वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जाता रहा है. जिसका 19वीं शताब्दी से पहले कहीं पर भी प्रचलन देखने को नहीं मिलता है. वहीं ज्योतिषाचार्य प्रदीप जोशी का कहना है कि हिंदू संज्ञा रूप है, जबकि हिंदुत्व विशेषण है. जो हिंदुस्तान में रहता है वो हिंदू हुआ और जो हिंदू के जीवन को अंगीकार करता है वो हिंदुत्व है.

पढ़ें: 'मैंने इगास तो हरदा ने दी 'शुक्रवार' की छुट्टी', डीडीहाट में CM धामी का हिंदुत्व कार्ड!

क्यों मच रहा बवाल? दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने अपनी नई पुस्तक 'सनराइज ओवर अयोध्‍या:नेशनहुड इन अवर टाइम्‍स' (Sunrise Over Ayodhya: Nationhood in Our Times) में हिंदुत्व पर टिप्पणी की है. किताब में हिंदुत्व की तुलना जिहादी ग्रुप आईएसआईएस और बोको हराम से की गई है. खुर्शीद की किताब में एक चैप्टर 'द सैफ्रन स्काई' को लेकर बवाल मचा हुआ है.

राहुल गांधी का बयान: दरअसल, राहुल गांधी ने कहा कि हिंदूवाद और हिंदुत्व अलग-अलग हैं. हिंदूवाद किसी का कत्ल नहीं करता, लेकिन हिंदुत्व ऐसा करता है. राहुल गांधी ने कहा, बीजेपी हिन्दुत्व की बात करती है. हम कहते हैं कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व में फर्क है, क्योंकि अगर फर्क नहीं होता तो नाम एक ही होता. राहुल गांधी ने कहा कि मैंने उपनिषद पढ़ा है, मैंने इसे हिंदू, सिख या इस्लामी धर्मग्रंथों में नहीं देखा है. मैं इसे हिंदुत्व में देख सकता हूं. राहुल गांधी के इस बयान पर बहस छिड़ गई है.

Last Updated : Nov 14, 2021, 6:14 PM IST
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