हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार और तीर्थनगरी ऋषिकेश में सड़कों पर इन दिनों भोले के भक्त ही दिखाई दे रहे हैं. दोनों शहर हर-हर महादेव और बम-बम भोले के जयकारों से गूंज रहे हैं. हरिद्वार और ऋषिकेश में रोजान लाखों कांवड़िए गंगाजल लेने पहुंच रहे हैं. सात दिनों के अंदर करीब 40 लाख से अधिक कांवड़िए हरिद्वार पहुंच चुके हैं. वहीं, पुलिस का मानना है कि इस बार करीब 4 करोड़ कांवड़िए हरिद्वार पहुंचेंगे. कांवड़ियों की इतनी बड़ी संख्या को संभालना किसी चुनौती से कम नहीं है, बावजूद इसके हरिद्वार पुलिस और उत्तराखंड एसडीआरएफ के जवान अपनी ड्यूटी का पूरी ईमानदारी के साथ निर्वहन कर रहे हैं.
अपील पर ध्यान नहीं दे रहे कावंड़िये: उत्तराखंड पुलिस हरिद्वार और ऋषिकेश आने वाले कांवड़ियों से बार-बार अपील कर रही है कि वो गंगा में सावधानी से साथ स्नान करें. जिन जगहों पर गहराई है वहां न जाएं. बावजूद इसके कुछ कांवड़िए पुलिस की इस अपील को अनसुना कर कभी गंगा को पार करने का प्रयास करते हैं तो कभी जिन जगहों पर पानी काफी गहरा होता है, वहां चले जाते हैं. ये अक्सर उनकी जान पर भारी पड़ जाता है. हालांकि, ऐसे कांवड़ियों को बचाने के लिए हरिद्वार जल पुलिस और उत्तराखंड एसडीआरएफ के गोताखोरों की टीम दिन-रात गंगा घाटों पर तैनात रहती है और अपनी जान पर खेलकर ऐसे लोगों की जान बचाई जा रही है. उत्तराखंड पुलिस और एसडीआरएफ के जवानों ने अभीतक हरिद्वार व ऋषिकेश में करीब 124 कांवड़ियों को गंगा में डूबने से बचाया है.
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हरिद्वार में यहां होती है सबसे ज्यादा डूबने की घटना: हरिद्वार के वो स्थान जो सबसे ज्यादा खतरनाक हैं, यानी जहां पर सबसे ज्यादा गंगा में डूबने के मामले सामने आते है, उसमें से एक हरिद्वार का चमगादड़ टापू का पुल है. दरअसल, पुलिस-प्रशासन की चेतावनी के बाद भी हरिद्वार आने वाले भक्त गहराई और पानी के बहाव का अंदाजा लगाए बिना इस पुल से कूद जाते हैं, लेकिन यहां वो इस कदर पर फंस जाते हैं कि उनका गंगा के बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे हालात में उत्तराखंड पुलिस के गोताखोर और एसडीआरएफ के जवान ही संकटमोचन की भूमिका निभाते हुए लोगों को गंगा की उफनती हुई लहरों से बीच से बाहर निकालते हैं.
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इसके अलावा हरिद्वार हरकी पौड़ी, सतनाम साक्षी घाट, ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट और पौड़ी गढ़वाल के नीलधारा में अक्सर इस तरह की घटनाएं होती हैं, जहां उत्तराखंड पुलिस और एसडीआरएफ के जवानों दिन-रात तैनात रहते है.
- अभीतक हुई कुछ बड़ी घटनाएं: चार जुलाई को एसडीआरएफ के जवानों ने हरियाणा के दो शिव भक्तों को ऋषिकेश के वानप्रस्थ घाट पर गंगा में डूबने से बचाया.
- चार जुलाई को ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर एक कांवड़िया गंगा की लहरों के बीच फंस गया था, जिसके लिए एसडीआरएफ के जवान देवदूत बने और उसकी जान बचाई.
- हरिद्वार के कांगड़ा घाट पर 5 जुलाई को एसडीआरएफ ने गंगा में डूबते एक व्यक्ति को बचाया.
- 6 जुलाई को भी हरिद्वार और ऋषिकेश में एसडीआरएफ और हरिद्वार पुलिस के गोताखोरों ने कई लोगों को गंगा में डूबने से बचाया.
- 7 जुलाई को हरिद्वार पुलिस और एसडीआरएफ की संयुक्त टीमों ने 4 कांवड़ियों का जीवन बचाया.
- 8 जुलाई को हरिद्वार और ऋषिकेश में लगभग 9 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिसमें हरिद्वार पुलिस और एसडीआरएफ के गोतखोर देवदूत बने और लोगों की जान बचाई.
- 10 जुलाई को हरिद्वार कांगड़ा घाट क्षेत्र में डूबते हुए 2 कांवड़ियों की SDRF ने जान बचाई.
क्या कहते हैं हरिद्वार एसएसपी: हरिद्वार एसएसपी अजय सिंह बताते हैं कि अभी शिवभक्तों का हरिद्वार आना शुरू हुआ है. चार जुलाई से कांवड़ा यात्रा शुरू हुई थी, तब से अभीतक करीब 40 लाख से ज्यादा श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच चुके हैं. उम्मीद की जा रही है कि कांवड़ यात्रा की समाप्ति तक हरिद्वार में चार करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचेंगे. इन जवानों की मुस्तैदी के कारण अभीतक 124 से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा चुकी है जबकि अभी तक यात्रा के दौरान 115 बिछड़ों को परिजनों से मिलाया गया है.
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हर विपदा से लड़ने में माहिर SDRF: एसडीआरएफ कमांडेंट मणिकांत मिश्रा बताते हैं कि हरिद्वार और ऋषिकेश में शिव भक्तों की भीड़ को देखते हुए गोताखोरों की अतिरिक्त टीमों को भी लगाया गया है. उत्तराखंड एसडीआरएफ के जवान हर परिस्थिति का कुशलता से सामना करने में सक्षम हैं. उत्तराखंड एसडीआरएफ के जवानों को कई बार मदद के लिए अन्य राज्यों में भी बुलाया जाता है.
दो कांवड़ियों को SDRF ने बचाया: वहीं, आज ही हरिद्वार कांगड़ा घाट क्षेत्र में डूबते हुए दो कांवड़ियों को SDRF ने बचाया. दो अलग-अलग घटनाओं में कांगड़ा घाट पर नहाते समय दो कांवड़िये गंगा नदी के तेज बहाव में आकर बहने लगे. तभी घाट पर पहले से मौजूद SDRF टीम तुरंत एक्शन में आई और तत्काल राफ्ट की सहायता से दोनों कांवडियों को रेस्क्यू कर सुरक्षित किनारे लाया गया. इसके बाद उनको प्राथमिक उपचार भी दिया गया. दोनों कांवड़िए हरियाणा और यूपी के रहने वाले थे.