हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार के विभिन्न ब्लॉकों में आउटसोर्स पर तैनात एएनएम, जीएनएम, फार्मासिस्ट आदि कर्मचारियों ने एजेंसियों पर मानसिक व आर्थिक शोषण करने का आरोप लगाया है. इस संबंध में उन्होंने गन्ना राज्य मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद से भी पत्र के जरिए शिकायत की है. कर्मचारियों ने मांग की है कि कर्मचारियों को एनएचएम में समायोजित किया जाए.
बुधवार को हरिद्वार के सभी ब्लॉकों से आए लगभग 200 कर्मचारियों ने स्वामी यतीश्वरानंद से वेदमंदिर आश्रम में मुलाकात कर मांगपत्र सौंपा. इस दौरान महिला कर्मचारी वनछाया ने कहा कि उन्हें 12 हजार तय वेतन के बदले केवल 7600 रुपये वेतन दिया जाता है. जबकि वो रोजाना, यहां तक की रविवार को भी डयूटी करती हैं.
वहीं प्रतिभा सैनी ने बताया कि जब उन्हें भर्ती किया गया तो एनएचएम की भर्ती बताया गया था. अब उन्हें पता नहीं कितने भत्ते काटकर वेतन दिया जा रहा है. जिसकी कोई सैलरी स्लिप भी नहीं दी जाती. उन्होंने बताया कि हरिद्वार के 6 ब्लॉकों में ऐसे लगभग 200 आउटसोर्स कर्मचारी तैनात हैं.
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कर्मचारी सविता सैनी ने बताया कि इतने कम वेतन में उन्हें घर चलाने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अपने छोटे बच्चों को घर में छोड़कर वो काम कर रही हैं. वेतन के बराबर खर्च तो घर के किराए में चला जाता है. इसलिए सरकार से उनकी मांग है कि उन सभी आउटसोर्स पर कर्मचारियों को एनएचएम में समायोजित किया जाए. ताकि उन्हें वेतन विसंगति का सामना न करना पड़े. वहीं मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने सभी कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि वो मुख्यमंत्री के सामने उनकी मांगों को रखेंगे. ताकि उनकी समस्या का जल्द समाधान हो सके.
चंपावत में कार्य बहिष्कार पर रहे 150 कर्मचारी
चंपावत में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) संविदा कर्मचारी संगठन की ओर से 9 सूत्रीय मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार किया गया. आंदोलन के दूसरे चरण में 28 से 31 मई तक संविदाकर्मी केवल 4 घंटे ही कार्य करेंगे. बुधवार को जिले में 150 कर्मचारी काम पर नहीं गए. जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रही. ये भी सभी कर्मचारी स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पताल में स्टाफ नर्स, डाटा ऑपरेटर तथा विभिन्न योजनाओं के तहत तैनात हैं.