हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में कोरोना से बढ़ते संक्रमण को देखते हुए दो अखाड़ों ने कुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी है. जिसमें निरंजनी अखाड़े और आनंद अखाड़े ने बढ़ते कोरोना के मामले और बीते दिन मध्य प्रदेश के चित्रकूट से हरिद्वार महाकुंभ में शामिल होने आए 65 वर्षीय महामंडलेश्वर कपिल देव की मौत के बाद ये फैसला लिया है. महामंडलेश्वर कपिल देव अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें किडनी फेल और बुखार की समस्या थी. निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि और सचिव रविंद्रपुरी ने कुंभ मेले की समापन की घोषणा की.
बता दें कि हरिद्वार कुंभ का आखिरी शाही स्नान 27 अप्रैल को होना है, लेकिन उससे पहले ही निरंजनी और आनंद अखाड़े ने कुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी है. उन्होंने कहा कि मुख्य शाही स्नान संपन्न हो गया है. उसके बाद अखाड़ों में बड़ी संख्या में संत और भक्तों में कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए निरंजनी अखाड़े और सहयोगी आनंद अखाड़े ने 17 अप्रैल को कुंभ समाप्त करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि यह अखाड़ा परिषद का फैसला नहीं है और यह उनके अखाड़े का निजी फैसला है.
निरंजन अखाड़े की महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने कहा कि श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और सहयोगी आनंद अखाड़े ने संयुक्त रूप से निर्णय लिया है. कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइन काफी महत्वपूर्ण है. कुंभ काफी विराट चल रहा है. कुंभ की भव्यता भी काफी है. इसको देखते हुए निरंजनी और आनंद अखाड़े के महामंडलेश्वर और महंतों ने निर्णय लिया कि 17 तारीख को वे अपनी छावनी को हटा लेंगे. 17 तारीख के बाद उनके अखाड़े में कोई भी बड़ा आयोजन नहीं होगा. जो साधु संत बाहर से आए हैं, वह वापस चले जाएंगे. जो हरिद्वार के साधु-संत हैं, वह अपने अखाड़े में वापस आ जाएंगे. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण अब परिस्थिति अनुकूल नहींं हैं, इस वजह से उनके द्वारा यह निर्णय लिया गया है.
निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी ने कहा कि निरंजनी अखाड़े द्वारा कुंभ के समापन का निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि हरिद्वार में कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. इस कारण 27 अप्रैल के स्नान में उनके अखाड़े से 15 से 20 साधु-संत ही स्नान करेंगे. इसके लिए उनके द्वारा अखाड़े के सभी साधु-संतों और भक्तों से निवेदन किया गया है कि सभी अब हरिद्वार को खाली कर दें. अपने निवास पर चले जाएं, इसमें सभी की सुरक्षा है. हरिद्वार में ज्यादा भीड़ होना सुरक्षित नहीं है. अखाड़े में भी काफी साधु संत और कर्मचारी बीमार हैं.
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मामले में कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल का कहना है कि निरंजनी और आनंद अखाड़े द्वारा जो भी निर्णय लिया गया है यह व्यक्तिगत उनके अखाड़े से संबंधित है. लेकिन शासन द्वारा उनके लिए जो नोटिफिकेशन जारी किया गया था वह 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक है. कुंभ का जो भी स्वरूप तय किया गया है उसी के हिसाब से शासन और मेला प्रशासन ने व्यवस्था की है. क्योंकि अभी शासन द्वारा कुंभ के स्वरूप को लेकर कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है. उनका कहना है कि उनके द्वारा बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश की पीएससी भी लगाई जा रही है. साथ ही उत्तराखंड पीएससी और पैरामिलिट्री फोर्स भी लगाई जाएगी और जो भी बाहर से श्रद्धालु आएंगे उनकी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट चेक की जाएगी.