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फिर से शुरू हुई 1100 साल पुरानी परंपरा, हरिद्वार के माया देवी मंदिर पहुंची छड़ी यात्रा

जूना अखाड़े द्वारा बागेश्वर से निकाली गई छड़ी यात्रा हरिद्वार के माया देवी मंदिर पहुंच गई है. आगामी नवरात्रों में बड़ी संख्या में साधु संत इस यात्रा में इकट्ठा होकर इसे चारों धाम के लिए रवाना करेंगे.

माया देवी मंदिर पहुंची छड़ी यात्रा.
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Published : Sep 14, 2019, 11:29 PM IST

हरिद्वार: सनातन परंपरा से लोगों को जोड़ने के लिए जूना अखाड़े द्वारा बागेश्वर से निकाली गई छड़ी यात्रा शनिवार को हरिद्वार के माया देवी मंदिर पहुंची. नवरात्रों में बड़े आयोजन के बाद छड़ी यात्रा को चारों धामों के लिए रवाना किया जाएगा.

बता दें कि धार्मिक यात्रा शुरू होने से पहले छड़ी यात्रा निकालने की परंपरा सदियों पुरानी है. अमरनाथ यात्रा हो या मणिमहेश यात्रा इस यात्रा के शुरू होने से पहले भगवान की छड़ी ले जाकर मंदिर में स्थापित की जाती है. ऐसी ही एक छड़ी यात्रा 1100 सालों से जूना अखाड़ा के साधु-संतों द्वारा उत्तराखंड के बागेश्वर से चारों धामों के लिए निकाली जा रही थी. लेकिन बीते कुछ सालों से यह यात्रा बंद कर दी गई थी. लेकिन शनिवार को एक बार फिर जूना अखाड़े के प्रयासों के बाद यह छड़ी यात्रा फिर से शुरू हो रही है. बागेश्वर से छड़ी यात्रा शनिवार को बड़े ही धूमधाम से हरिद्वार पहुंची और अब नवरात्रों में बड़ी संख्या में साधु संत इस यात्रा में इकट्ठा होकर इसे चारों धामों के लिए रवाना करेंगे.

हरिद्वार के माया देवी मंदिर पहुंची छड़ी यात्रा.

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरी महाराज ने बताया कि 1100 साल पहले से उत्तराखंड के बागेश्वर से चारों धामों के लिए छड़ी यात्रा निकाली जाती थी. इस छड़ी यात्रा को खुद शंकराचार्य जी भी जूना अखाड़ा ले गए थे. लेकिन कुछ कारण वश इस छड़ी यात्रा को बंद कर दिया गया था. अपनी परंपरा को बचाए रखने के लिए जूना अखाड़े ने बागेश्वर जाकर पूरे विधि विधान के साथ दोबारा इस छड़ी यात्रा को शुरू किया है. यह छड़ी यात्रा नवरात्रों में हरिद्वार माया देवी मंदिर से मुख्यमंत्री और साधु संतों की उपस्थिति में चारों धामों के लिए रवाना की जाएगी. चारों धाम की यात्रा के बाद यह दोबारा माया देवी मंदिर में आकर समाप्त होगी.

ये भी पढ़े: कॉर्बेट नेशनल पार्क में मिली 'उड़ने वाली गिलहरी', दुनिया के दुर्लभ जीवों में से है एक

स्थानीय निवासी संजय चोपड़ा ने बताया कि सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए धार्मिक यात्रा हमेशा ही एक सार्थक पहल है. इन यात्राओं के माध्यम से सनातन धर्म को मानने वाले लोग अपनी परंपरा से रूबरू भी होते हैं. इस यात्रा के माध्यम से उत्तराखंड के पहाड़ों में लगातार हो रहे पलायन और खाली होते मठ मंदिरों की तरफ सरकार का ध्यान जाएगा.

हरिद्वार: सनातन परंपरा से लोगों को जोड़ने के लिए जूना अखाड़े द्वारा बागेश्वर से निकाली गई छड़ी यात्रा शनिवार को हरिद्वार के माया देवी मंदिर पहुंची. नवरात्रों में बड़े आयोजन के बाद छड़ी यात्रा को चारों धामों के लिए रवाना किया जाएगा.

बता दें कि धार्मिक यात्रा शुरू होने से पहले छड़ी यात्रा निकालने की परंपरा सदियों पुरानी है. अमरनाथ यात्रा हो या मणिमहेश यात्रा इस यात्रा के शुरू होने से पहले भगवान की छड़ी ले जाकर मंदिर में स्थापित की जाती है. ऐसी ही एक छड़ी यात्रा 1100 सालों से जूना अखाड़ा के साधु-संतों द्वारा उत्तराखंड के बागेश्वर से चारों धामों के लिए निकाली जा रही थी. लेकिन बीते कुछ सालों से यह यात्रा बंद कर दी गई थी. लेकिन शनिवार को एक बार फिर जूना अखाड़े के प्रयासों के बाद यह छड़ी यात्रा फिर से शुरू हो रही है. बागेश्वर से छड़ी यात्रा शनिवार को बड़े ही धूमधाम से हरिद्वार पहुंची और अब नवरात्रों में बड़ी संख्या में साधु संत इस यात्रा में इकट्ठा होकर इसे चारों धामों के लिए रवाना करेंगे.

हरिद्वार के माया देवी मंदिर पहुंची छड़ी यात्रा.

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरी महाराज ने बताया कि 1100 साल पहले से उत्तराखंड के बागेश्वर से चारों धामों के लिए छड़ी यात्रा निकाली जाती थी. इस छड़ी यात्रा को खुद शंकराचार्य जी भी जूना अखाड़ा ले गए थे. लेकिन कुछ कारण वश इस छड़ी यात्रा को बंद कर दिया गया था. अपनी परंपरा को बचाए रखने के लिए जूना अखाड़े ने बागेश्वर जाकर पूरे विधि विधान के साथ दोबारा इस छड़ी यात्रा को शुरू किया है. यह छड़ी यात्रा नवरात्रों में हरिद्वार माया देवी मंदिर से मुख्यमंत्री और साधु संतों की उपस्थिति में चारों धामों के लिए रवाना की जाएगी. चारों धाम की यात्रा के बाद यह दोबारा माया देवी मंदिर में आकर समाप्त होगी.

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स्थानीय निवासी संजय चोपड़ा ने बताया कि सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए धार्मिक यात्रा हमेशा ही एक सार्थक पहल है. इन यात्राओं के माध्यम से सनातन धर्म को मानने वाले लोग अपनी परंपरा से रूबरू भी होते हैं. इस यात्रा के माध्यम से उत्तराखंड के पहाड़ों में लगातार हो रहे पलायन और खाली होते मठ मंदिरों की तरफ सरकार का ध्यान जाएगा.

Intro:धार्मिक यात्रा शुरू होने से पहले छड़ी यात्रा निकालने की परंपरा सदियों पुरानी है अमरनाथ यात्रा हो या मणिमहेश यात्रा इस यात्रा को शुरू होने से पहले भगवान की छड़ी ले जाकर मंदिर में स्थापित की जाती है ऐसी ही एक छड़ी यात्रा उत्तराखंड के बागेश्वर से भी चारों धामों के लिए 11सो सालों से जूना अखाड़ा के साधु संत छड़ी यात्रा निकालते थे मगर कुछ समय से यह यात्रा किसी कारण बस बंद कर दी गई थी मगर आज फिर यह छड़ी यात्रा बड़ी धूमधाम से बागेश्वर से निकलकर हरिद्वार जूना अखाड़े माया देवी मंदिर पहुंची और अब यह नवरात्रों में बड़े आयोजन के बाद चारों धामों के लिए छड़ी यात्रा हरिद्वार से रवाना की जाएगी दोबारा शुरू की जा रही इस यात्रा से उत्तराखंड में हो रहा पलायन को रोकना भी एक उद्देश्य हैBody:छड़ी यात्रा किसी भी धार्मिक यात्रा के शुरू होने से पहले यात्रा का उद्घोष करने के लिए निकाली जाती है और यह यात्रा सनातन परंपरा से लोगों को जोड़ने की एक अनूठी पहल भी है उत्तराखंड के बागेश्वर से निकलने वाली इस छड़ी यात्रा को 11 सो साल पहले जूना अखाड़े के साधु संतों द्वारा शुरू की गई थी उत्तराखंड की एक छड़ी यात्रा चारों धाम की यात्रा कर वापस हरिद्वार जूना अखाड़े माया देवी मंदिर में समाप्त होती थी मगर कई वर्षों से किसी कारण वर्ष यह छड़ी यात्रा बंद कर दी गई थी मगर आज एक बार फिर जूना अखाड़े के प्रयासों के बाद यह छड़ी यात्रा फिर से शुरू हो रही है आज बागेश्वर से छड़ी यात्रा बड़े ही धूमधाम से हरिद्वार पहुंची और अब नवरात्रों में बड़ी संख्या में साधु संत इस यात्रा में इकट्ठा होकर इसको चारों धाम के लिए रवाना करेंगे

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरी महाराज का कहना है कि भारत में कई धार्मिक स्थल है छापर कोई भी धार्मिक यात्रा शुरू होने से पहले छड़ी यात्रा निकाली जाती है जैसे अमरनाथ की यात्रा शुरू होती है उससे पहले छड़ी यात्रा लेकर जाया जाता है ऐसे ही मणिमहेश की यात्रा शुरू होने से पहले छड़ी यात्रा को निकाला जाता है इसी तरह से उत्तराखंड के बागेश्वर से जूना अखाड़े की तरफ से चारों धामों के लिए छड़ी यात्रा निकाली जाती थी मगर किसी कारणवश इस छड़ी यात्रा को बंद कर दिया गया था यह छड़ी यात्रा 11 सो साल पुरानी है अब एक बार फिर सभी के प्रयास से इस छड़ी यात्रा को दोबारा शुरू करने का प्रयास किया गया है जिससे हमारी पुरानी परंपरा समाप्त ना हो जाए इस छड़ी यात्रा को खुद शंकराचार्य जी भी जूना अखाड़े लेकर गए थे इसलिए हमने बागेश्वर जाकर पूरे विधि विधान के साथ दोबारा इस छड़ी यात्रा को शुरू किया है यह छड़ी यात्रा हरिद्वार माया देवी मंदिर से नवरात्रों में मुख्यमंत्री और साधु संतों की उपस्थिति में चारों धामों के लिए रवाना की जाएगी और चारों धामों की यात्रा के बाद यह दोबारा माया देवी मंदिर मैं आकर समाप्त होगी

बाइट--प्रेम गिरी--अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष जूना अखाड़ा

प्रेम गिरी का कहना है कि छड़ी यात्रा का मुख्य उद्देश्य है सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करना जब यह छड़ी यात्रा उत्तराखंड में निकाली जाती थी उस वक्त हर गांव मठ मंदिरों से होते हुए जाती थी और वहां रहने वाले लोग इस यात्रा के माध्यम से प्रोत्साहित होते थे मगर आज उत्तराखंड पहाड़ों से पलायन हो रहा है इस यात्रा के माध्यम से लोगों से वहां जुड़ा जाता था मगर आज जिस तरह से पहाड़ों से पलायन हो रहा है मठ मंदिर भी खाली पड़े हैं जब लोग वहां जाएंगे ही नहीं तो कैसे पलायन रुक सकता है इसलिए हमारे द्वारा दोबारा इस छड़ी यात्रा को निकालने का संकल्प लिया गया है की यह छड़ी यात्रा अब भविष्य में लगातार चलती ही रहेगी

बाइट--प्रेम गिरी--अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष जूना अखाड़ा

बागेश्वर से हरिद्वार पहुंची छड़ी यात्रा में शामिल हुए स्थानीय लोग भी इस यात्रा के शुरू होने से काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं उनका कहना है कि आज बागेश्वर से यह छड़ी यात्रा शुरू होकर हरिद्वार पहुंची है और हरिद्वार माया देवी मंदिर में पूरी विधि विधान से पूजा अर्चना कर इस छड़ी को माया देवी मंदिर में रखा गया है नवरात्रों में इस यात्रा को चारों धामों के लिए जूना अखाड़े की तरफ से रवाना किया जाएगा इस यात्रा के माध्यम से जितने भी पहाड़ों पर मठ मंदिर है और खाली होते गांव है उस तरफ सरकार की भी नजर जाएगी और और उन खाली पड़े मठ मंदिर और गांव का विकास हो सकेगा यह बहुत ही सकारात्मक पहल है कि इतने सालों से बंद हुई छड़ी यात्रा फिर दोबारा शुरू हो रही है

बाइट--संजय चोपड़ा--स्थानीय निवासी Conclusion:सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए धार्मिक यात्रा हमेशा ही एक सार्थक पहल है इन यात्राओं के माध्यम से सनातन धर्म को मानने वाले लोग अपनी परंपरा से रूबरू भी होते हैं अब कई सालों से बंद हुई यह छड़ी यात्रा फिर दोबारा से शुरू हो रही है नवरात्रों में यह छड़ी यात्रा चारों धामों का भ्रमण कर हरिद्वार आकर समाप्त होगी मगर इस यात्रा के माध्यम से उत्तराखंड के पहाड़ों में लगातार हो रहे पलायन और खाली होते मठ मंदिरों की तरफ सरकार का ध्यान जाए इसके उद्देश्य से साधु संत इस यात्रा को एक पहल भी मान रहे हैं अब देखना होगा इस यात्रा के माध्यम से सरकार पलायन पर कितना ध्यान देती है और वहां के विकास के लिए कोई कार्य करती है यह देखने वाली बात होगी
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