हरिद्वार: सनातन परंपरा से लोगों को जोड़ने के लिए जूना अखाड़े द्वारा बागेश्वर से निकाली गई छड़ी यात्रा शनिवार को हरिद्वार के माया देवी मंदिर पहुंची. नवरात्रों में बड़े आयोजन के बाद छड़ी यात्रा को चारों धामों के लिए रवाना किया जाएगा.
बता दें कि धार्मिक यात्रा शुरू होने से पहले छड़ी यात्रा निकालने की परंपरा सदियों पुरानी है. अमरनाथ यात्रा हो या मणिमहेश यात्रा इस यात्रा के शुरू होने से पहले भगवान की छड़ी ले जाकर मंदिर में स्थापित की जाती है. ऐसी ही एक छड़ी यात्रा 1100 सालों से जूना अखाड़ा के साधु-संतों द्वारा उत्तराखंड के बागेश्वर से चारों धामों के लिए निकाली जा रही थी. लेकिन बीते कुछ सालों से यह यात्रा बंद कर दी गई थी. लेकिन शनिवार को एक बार फिर जूना अखाड़े के प्रयासों के बाद यह छड़ी यात्रा फिर से शुरू हो रही है. बागेश्वर से छड़ी यात्रा शनिवार को बड़े ही धूमधाम से हरिद्वार पहुंची और अब नवरात्रों में बड़ी संख्या में साधु संत इस यात्रा में इकट्ठा होकर इसे चारों धामों के लिए रवाना करेंगे.
जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरी महाराज ने बताया कि 1100 साल पहले से उत्तराखंड के बागेश्वर से चारों धामों के लिए छड़ी यात्रा निकाली जाती थी. इस छड़ी यात्रा को खुद शंकराचार्य जी भी जूना अखाड़ा ले गए थे. लेकिन कुछ कारण वश इस छड़ी यात्रा को बंद कर दिया गया था. अपनी परंपरा को बचाए रखने के लिए जूना अखाड़े ने बागेश्वर जाकर पूरे विधि विधान के साथ दोबारा इस छड़ी यात्रा को शुरू किया है. यह छड़ी यात्रा नवरात्रों में हरिद्वार माया देवी मंदिर से मुख्यमंत्री और साधु संतों की उपस्थिति में चारों धामों के लिए रवाना की जाएगी. चारों धाम की यात्रा के बाद यह दोबारा माया देवी मंदिर में आकर समाप्त होगी.
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स्थानीय निवासी संजय चोपड़ा ने बताया कि सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए धार्मिक यात्रा हमेशा ही एक सार्थक पहल है. इन यात्राओं के माध्यम से सनातन धर्म को मानने वाले लोग अपनी परंपरा से रूबरू भी होते हैं. इस यात्रा के माध्यम से उत्तराखंड के पहाड़ों में लगातार हो रहे पलायन और खाली होते मठ मंदिरों की तरफ सरकार का ध्यान जाएगा.