हरिद्वारः गंगा की निर्मलता और अविरलता के साथ गंगा में हो रहे खनन के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली मातृ सदन संस्था के संत आत्मबोधानंद 23 फरवरी से अनशन पर हैं. वहीं, सरकार द्वारा 25 फरवरी से हरिद्वार में खनन खोले जाने के निर्णय के विरोध में उन्होंने अपना अनशन और उग्र करने की घोषणा की है. उन्होंने कहा है कि आगामी 8 मार्च से वे जल भी त्याग देंगे. फिलहाल, आत्मबोधानंद नींबू, जल और शहद के सहारे तपस्या कर रहे हैं.
मातृ सदन में मंगलवार को पत्रकार से वार्ता करते हुए आत्मबोधानंद ने कहा कि स्वामी सानंद की चार मांगों को लेकर वह 23 फरवरी से अनशन पर हैं, लेकिन उत्तराखंड सरकार और जिला प्रशासन ने माफियागिरी करते हुए बिना उनसे वार्ता कर 25 फरवरी से खनन खोल दिया है, जिसके चलते उन्होंने आगामी 8 मार्च से जल त्यागने का निर्णय लिया है. जिसके बाद वह बिना जल के तपस्या जारी रखेंगे.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गंगा रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से भी वे पीछे नहीं हटेंगे. जब उत्तराखंड सरकार और जिला प्रशासन माफियागिरी कर रही है, तो वे भी साधुगिरी करने के लिए मजबूर हैं.
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वहीं, मातृ सदन के प्रमुख स्वामी शिवानंद ने कहा कि उन्होंने पहले ही घोषणा कर रखी है कि गंगा में खनन को रोके जाने को लेकर कुंभ के नोटिफिकेशन के बाद वे अपना शरीर त्याग देंगे. यहां तक कि उन्होंने यह भी कहा है कि अपना शरीर त्यागने से पूर्व वे 100 कारणों के प्रमाण के साथ दस्तावेज छोड़कर जाएंगे, ताकि दुनिया के सामने सरकार और खनन माफियाओं की सच्चाई सामने आ सके.
इसके साथ ही उन्होंने जिलाधिकारी सी. रविशंकर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डी. सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस. और कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत के साथ-साथ डीजीपी अशोक कुमार को भी खनन में साझेदार होने का आरोप लगाया.