हरिद्वारः शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन और हरिद्वार धर्म संसद से चर्चाओं में आए जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी जल्द ही निरंजनी अखाड़े के संत बनने जा रहे हैं. इसी कड़ी में आज जितेंद्र नारायण त्यागी और शांभवी धाम पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी से मुलाकात की. इस दौरान किस तरह जितेंद्र नारायण त्यागी को संन्यास दिलाया जा सकता है, इस पर सलाह करते हुए आगे की रणनीति बनाई गई.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी (Akhil Bharatiya Akhara Parishad President Ravindra Puri) ने कहा कि जितेंद्र नारायण त्यागी (Jitendra Narayan Singh Tyagi) ने अब हिंदू धर्म धारण कर लिया है. इसलिए वो अब संन्यास धारण कर सकते हैं. जिसके लिए सभी अखाड़ों से वार्ता की जाएगी और जल्द ही उन्हें संन्यास दिलाया जाएगा.
वहीं, जितेंद्र नारायण त्यागी बन सकते हैं या नहीं? इस सवाल पर रविंद्र पुरी ने कहा कि जब कोई हिंदू धर्म धारण कर लेता है तो वो संत भी बन सकता है. हमें ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता है, जो समाज के लिए कार्य करना चाहते हैं. जब कोई संत परंपरा में आ जाता है तो वो किसी मजहब का नहीं कहलाता. वो सभी धर्मों के लिए कार्य करता है और सभी धर्मों का भला चाहता है.
ये भी पढ़ेंः वसीम रिजवी और यति नरसिंहानंद की दोस्ती में दरार, अब संन्यासी बनेंगे जितेंद्र नारायण त्यागी!
शांभवी धाम पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप (Swami Anand Swaroop) ने कहा कि जब हम जितेंद्र नारायण त्यागी से जेल में मिलने गए थे, तब उन्होंने संन्यास लेने की इच्छा जताई थी. अब भी वो संन्यास लेना चाहते हैं, जिसके लिए हमने आज अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी से भेंट की है. जल्द ही हम जितेंद्र नारायण त्यागी को निरंजनी अखाड़े का संत बनाएंगे. उन्होंने बताया कि संन्यास की भी एक परंपरा होती है, जिसमें सभी वरिष्ठ संतो की सहमति अति आवश्यक होती है.
जितेंद्र नारायण त्यागी और यति नरसिंहानंद ने बनाई सुर्खियांः बता दें कि जितेंद्र नारायण त्यागी ऊर्फ वसीम रिजवी और स्वामी यति नरसिंहानंद ये वो दो नाम हैं, जो बीते डेढ़ सालों से लगातार चर्चाओं में बने रहे. स्वामी यति नरसिंहानंद अपने बयानों को सुर्खियां बटोरी तो जितेंद्र नारायण त्यागी मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से चर्चाओं में आए थे. उन्होंने स्वामी यति नरसिंहानंद के साथ डासना मंदिर में हिंदू धर्म अपनाया था.
हरिद्वार में हुई धर्म संसद हेट स्पीट (Haridwar Dharma Sansad Hate Speech) मामले में सबसे पहले हरिद्वार पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 13 जनवरी को जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को गिरफ्तार किया. इसके बाद 15 जनवरी को पुलिस ने यति नरसिंहानंद को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा. जिसके बाद लगभग दोनों एक महीना हरिद्वार जिला कारागार में साथ में रहे. इसके बाद यति नरसिंहानंद गिरि जमानत मिलने के बाद 17 फरवरी को जेल से रिहा हुए.
ये भी पढ़ेंः 'मेरे कारण वसीम रिजवी को हुई जेल, मुझे माफ करें', यति नरसिंहानंद का बड़ा बयान
अखिलेश यादव मांगे माफीः ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Masjid controversy) पर साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने अखिलेश यादव के बयान पर नाराजगी जताई है. अखिलेश यादव को भगवान शिव से माफी मांगने की मांग की है. महंत रविद्र पुरी ने कहा कि समाजवादी पार्टी को सिर्फ मुसलमानों के वोट ही नहीं मिलते, बल्कि हिंदुओं के वोट भी मिलते हैं. इसी कारण हमें काफी दुख है, अखिलेश यादव की ओर से इस तरह का बयान दिया गया.
स्वामी रविंद्र पुरी का कहना है कि अखिलेश यादव पहले कहा करते थे कि उनको सपने में भगवान आते हैं, लेकिन अब उन्हीं भगवान का अपमान कर रहे हैं. साधु संत ने हमेशा ही अखिलेश यादव का सम्मान किया गया है. अगर वह हमारे देवी देवताओं का अपमान करेंगे तो हम उनको सम्मान नहीं देंगे. क्योंकि, जो भगवान का विरोधी है, वह पूरी दुनिया का विरोधी है.