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किसानों ने गेहूं की खड़ी फसल पर चलाया ट्रैक्टर, किसानी छोड़ने का किया ऐलान

रुड़की में किसानों ने गेहूं की कई बीघा खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाया. सरकार पर नए कृषि कानून को किसानों पर थोपने का आरोप लगाया.

roorkee
खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाया
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Published : Mar 3, 2021, 12:08 PM IST

Updated : Mar 3, 2021, 5:30 PM IST

रुड़की: हरिद्वार के सोहलपुर गाड़ा गांव में किसानों ने फसल का वाजिब दाम न मिलने से नाराज होकर कई बीघा खड़ी गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया. किसानों ने ऐलान किया है कि फसल की बुआई छोड़कर कुछ और काम करेंगे. उनका कहना है कि जितना खर्च फसल बुआई में आ रहा है उतने दाम भी नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो रहा है.

ये भी पढ़ें: कोरोना के कारण दूसरे साल भी बाधित हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा, KMVN ने तैयार किया प्लान-बी

रुड़की के सोहलपुर गाड़ा गांव में कुछ किसानों ने कई बीघा गेहूं की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया. किसानों का कहना है कि खाद पानी से लेकर फसल बुआई में आने वाला खर्च भी नहीं निकल पा रहा है. फसल तैयार करने में जितना खर्च आ रहा है, उसका आधा हिस्सा भी फसल से नहीं मिल रहा है.

इसलिए फसल को नष्ट करने का निर्णय लिया गया. किसानों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार किसान हित की बात करती है. लेकिन किसान भूखे मरने की कगार पर पहुंच चुका है. किसानों की फसलों का दाम नहीं बढ़ाया गया और न ही पिछला गन्ना भुगतान तक किया गया. आलम ये है कि अब किसानों को घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है. बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. किसानों ने नए कृषि कानून को किसान हित में मानने से भी इनकार कर दिया है, लेकिन सरकार जबरन कानूनों को किसानों पर थोपना चाहती है.

रुड़की: हरिद्वार के सोहलपुर गाड़ा गांव में किसानों ने फसल का वाजिब दाम न मिलने से नाराज होकर कई बीघा खड़ी गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया. किसानों ने ऐलान किया है कि फसल की बुआई छोड़कर कुछ और काम करेंगे. उनका कहना है कि जितना खर्च फसल बुआई में आ रहा है उतने दाम भी नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो रहा है.

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रुड़की के सोहलपुर गाड़ा गांव में कुछ किसानों ने कई बीघा गेहूं की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया. किसानों का कहना है कि खाद पानी से लेकर फसल बुआई में आने वाला खर्च भी नहीं निकल पा रहा है. फसल तैयार करने में जितना खर्च आ रहा है, उसका आधा हिस्सा भी फसल से नहीं मिल रहा है.

इसलिए फसल को नष्ट करने का निर्णय लिया गया. किसानों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार किसान हित की बात करती है. लेकिन किसान भूखे मरने की कगार पर पहुंच चुका है. किसानों की फसलों का दाम नहीं बढ़ाया गया और न ही पिछला गन्ना भुगतान तक किया गया. आलम ये है कि अब किसानों को घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है. बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. किसानों ने नए कृषि कानून को किसान हित में मानने से भी इनकार कर दिया है, लेकिन सरकार जबरन कानूनों को किसानों पर थोपना चाहती है.

Last Updated : Mar 3, 2021, 5:30 PM IST
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