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मौनी अमावस्या 2022: श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर लगाई आस्था की डुबकी, पूरी होगी मुराद

आज माघ अमावस्या यानी मौनी अमावस्या है. माघ मास में अमावस्या का अपना खास महत्व है. इस दिन गंगा में देवताओं का वास रहता है. इसलिए गंगा स्नान करना अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक फलदायी होता है.

Uttarakhand Mauni Amavasya
मौनी अमावस्या 2022
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Published : Feb 1, 2022, 8:31 AM IST

Updated : Feb 1, 2022, 8:50 AM IST

हरिद्वार: मौनी अमावस्या के मौके पर आज हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इस मौके पर आज सुबह तड़के से ही हरकी पैड़ी पर स्नान करने के लिए बड़ी संख्या श्रद्धालु लगातार पहुंच रहे हैं और पतित पावनी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं.

हिंदू पंचांग के मुताबिक, माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन माघ का दूसरा शाही स्नान भी होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या शनि देव और पितरों से संबंधित है. कहते हैं जिस दिन सूर्य और चन्द्रमा का मिलन एक ही राशि में हो उस दिन अमावस्या पड़ती है.

श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

मौनी अमावस्या का महत्व: मौनी अमावस्या को सभी अमावस्या तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. शास्त्रों में मौनी अमावस्‍या के दिन प्रयागराज के संगम में स्‍नान का विशेष महत्‍व बताया गया है. कहा जाता है कि इस दिन यहां पर देव और पितरों का संगम होता है. कहा गया है कि माघ महीने में देवता प्रयागराज आकर संगम में स्‍नान करते हैं. साथ ही पितृलोक से पितृगण भी संगम में स्‍नान करने आते हैं. इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है.

पढ़ें- मौनी अमावस्या को करें तिल और कंबल का दान, पितर होते हैं प्रसन्न

ज्योतिष मानते हैं कि इस दिन मौन रहकर और उपवास करके पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन दान का विशेष महत्त्व है. श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन गंगा स्नान से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

हरिद्वार: मौनी अमावस्या के मौके पर आज हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इस मौके पर आज सुबह तड़के से ही हरकी पैड़ी पर स्नान करने के लिए बड़ी संख्या श्रद्धालु लगातार पहुंच रहे हैं और पतित पावनी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं.

हिंदू पंचांग के मुताबिक, माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन माघ का दूसरा शाही स्नान भी होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या शनि देव और पितरों से संबंधित है. कहते हैं जिस दिन सूर्य और चन्द्रमा का मिलन एक ही राशि में हो उस दिन अमावस्या पड़ती है.

श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

मौनी अमावस्या का महत्व: मौनी अमावस्या को सभी अमावस्या तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. शास्त्रों में मौनी अमावस्‍या के दिन प्रयागराज के संगम में स्‍नान का विशेष महत्‍व बताया गया है. कहा जाता है कि इस दिन यहां पर देव और पितरों का संगम होता है. कहा गया है कि माघ महीने में देवता प्रयागराज आकर संगम में स्‍नान करते हैं. साथ ही पितृलोक से पितृगण भी संगम में स्‍नान करने आते हैं. इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है.

पढ़ें- मौनी अमावस्या को करें तिल और कंबल का दान, पितर होते हैं प्रसन्न

ज्योतिष मानते हैं कि इस दिन मौन रहकर और उपवास करके पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन दान का विशेष महत्त्व है. श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन गंगा स्नान से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

Last Updated : Feb 1, 2022, 8:50 AM IST
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