रुड़की: जहां एक तरफ केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक और सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019) जैसे मामलों को लेकर एक विशेष समुदाय के सवालों के घेरे में खड़ी नजर आ रही है तो वहीं, अब उत्तराखंड में भी सरकार की मंशा पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. हज यात्रा को लेकर विपक्ष ने सरकार की कटघरे में खड़ा किया है. हज कमेटी के चेयरमैन ने हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों के चयन का कार्यक्रम हज हाउस पिरान कलियर में न रखकर राजधानी देहरादून में रखा गया, जिसके बाद विपक्ष और स्थानीय लोगों ने धार्मिक कार्यक्रमों को राजनीतिक कार्यक्रम बनाने का आरोप लगाया है.
हज की कुर्राअंदाजी (लॉटरी प्रक्रिया) हज हाउस के बजाय देहरादून में करने को लेकर हज कमेटी चेयरमैन की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे हैं. पूर्व हज कमेटी चेयरमैन और कलियर विधायक फुरकान अहमद ने सरकार पर इस धार्मिक कार्यक्रम को राजनीतिक चश्मे से देखने के आरोप लगाया है. विधायक फुरकान का कहना है कि हज कमेटी के चेयरमेन मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे हैं. सरकार के इस फैसले से हज यात्रियों को परेशानी होगी.
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विधायक फुरकान ने बताया कि नारायण दत्त तिवारी की सरकार में हज हाउस पिरान कलियर में बनाया गया था. जिसके बाद 2012 में बीजेपी की सरकार उत्तराखंड में बनी तो हज हाउस का कार्य बीच में ही रोक दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने हज हाउस के लिए भागदौड़ की और सरकार से करोड़ों का बजट पास कराकर हज हाउस पिरान कलियर से ही संचालित कराया था. तब से हज यात्रा की तमाम गतिविधियां यही से संचालित हो रही हैं. लेकिन इस बार हज कमेटी के चैयरमेन अपने राजनीतिक लाभ के लिए हज यात्रा के कार्यक्रम देहरादून में संचालित करा रहे हैं. जिससे हज यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि वे इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे. साथ ही संबंधित मंत्री यशपाल आर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी मुलाकात करेंगे.
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पूर्व हज कमेटी चेयरमैन राव शेर मोहम्मद का कहना है कि उत्तराखंड से हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों की संख्या हरिद्वार जनपद में सबसे अधिक है, जिनमें महिला और बूढ़े लोग शामिल हैं. ऐसे में देहरादून कार्यक्रम करने का कोई औचित्य नहीं बनता. जब सरकार के पास आलीशान हज हाउस मौजूद है, तो कार्यक्रम देहरादून में क्यों रखा गया? ऐसे में इसके पीछे सरकार की राजनीतिक मंशा साफ झलकती है.