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हज यात्रा के लॉटरी कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

हज कमेटी के चैयरमेन ने इस बार हज की कुर्राअंदाजी (लॉटरी प्रक्रिया) का कार्यक्रम हज हाउस पिरान कलियर में रखकर देहरादून में करने का फैसला लिया है. जिसके लेकर विपक्ष ने सरकार ने मंशा पर सवाल उठाए हैं.

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हज हाउस
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Published : Jan 15, 2020, 6:26 PM IST

Updated : Jan 15, 2020, 6:37 PM IST

रुड़की: जहां एक तरफ केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक और सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019) जैसे मामलों को लेकर एक विशेष समुदाय के सवालों के घेरे में खड़ी नजर आ रही है तो वहीं, अब उत्तराखंड में भी सरकार की मंशा पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. हज यात्रा को लेकर विपक्ष ने सरकार की कटघरे में खड़ा किया है. हज कमेटी के चेयरमैन ने हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों के चयन का कार्यक्रम हज हाउस पिरान कलियर में न रखकर राजधानी देहरादून में रखा गया, जिसके बाद विपक्ष और स्थानीय लोगों ने धार्मिक कार्यक्रमों को राजनीतिक कार्यक्रम बनाने का आरोप लगाया है.

हज की कुर्राअंदाजी (लॉटरी प्रक्रिया) हज हाउस के बजाय देहरादून में करने को लेकर हज कमेटी चेयरमैन की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे हैं. पूर्व हज कमेटी चेयरमैन और कलियर विधायक फुरकान अहमद ने सरकार पर इस धार्मिक कार्यक्रम को राजनीतिक चश्मे से देखने के आरोप लगाया है. विधायक फुरकान का कहना है कि हज कमेटी के चेयरमेन मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे हैं. सरकार के इस फैसले से हज यात्रियों को परेशानी होगी.

हज की कुर्राअंदाजी पर राजनीति

पढ़ें- ससुराल वालों ने महिला को प्रताड़ित कर घर से निकाला बाहर, पुलिस को दी तहरीर

विधायक फुरकान ने बताया कि नारायण दत्त तिवारी की सरकार में हज हाउस पिरान कलियर में बनाया गया था. जिसके बाद 2012 में बीजेपी की सरकार उत्तराखंड में बनी तो हज हाउस का कार्य बीच में ही रोक दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने हज हाउस के लिए भागदौड़ की और सरकार से करोड़ों का बजट पास कराकर हज हाउस पिरान कलियर से ही संचालित कराया था. तब से हज यात्रा की तमाम गतिविधियां यही से संचालित हो रही हैं. लेकिन इस बार हज कमेटी के चैयरमेन अपने राजनीतिक लाभ के लिए हज यात्रा के कार्यक्रम देहरादून में संचालित करा रहे हैं. जिससे हज यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि वे इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे. साथ ही संबंधित मंत्री यशपाल आर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी मुलाकात करेंगे.

पढ़ें- ब्रह्म मुहूर्त में खुले आदिबदरी के कपाट, 11 महीने तक श्रद्धालु कर सकेंगे दर्शन

पूर्व हज कमेटी चेयरमैन राव शेर मोहम्मद का कहना है कि उत्तराखंड से हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों की संख्या हरिद्वार जनपद में सबसे अधिक है, जिनमें महिला और बूढ़े लोग शामिल हैं. ऐसे में देहरादून कार्यक्रम करने का कोई औचित्य नहीं बनता. जब सरकार के पास आलीशान हज हाउस मौजूद है, तो कार्यक्रम देहरादून में क्यों रखा गया? ऐसे में इसके पीछे सरकार की राजनीतिक मंशा साफ झलकती है.

रुड़की: जहां एक तरफ केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक और सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019) जैसे मामलों को लेकर एक विशेष समुदाय के सवालों के घेरे में खड़ी नजर आ रही है तो वहीं, अब उत्तराखंड में भी सरकार की मंशा पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. हज यात्रा को लेकर विपक्ष ने सरकार की कटघरे में खड़ा किया है. हज कमेटी के चेयरमैन ने हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों के चयन का कार्यक्रम हज हाउस पिरान कलियर में न रखकर राजधानी देहरादून में रखा गया, जिसके बाद विपक्ष और स्थानीय लोगों ने धार्मिक कार्यक्रमों को राजनीतिक कार्यक्रम बनाने का आरोप लगाया है.

हज की कुर्राअंदाजी (लॉटरी प्रक्रिया) हज हाउस के बजाय देहरादून में करने को लेकर हज कमेटी चेयरमैन की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे हैं. पूर्व हज कमेटी चेयरमैन और कलियर विधायक फुरकान अहमद ने सरकार पर इस धार्मिक कार्यक्रम को राजनीतिक चश्मे से देखने के आरोप लगाया है. विधायक फुरकान का कहना है कि हज कमेटी के चेयरमेन मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे हैं. सरकार के इस फैसले से हज यात्रियों को परेशानी होगी.

हज की कुर्राअंदाजी पर राजनीति

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विधायक फुरकान ने बताया कि नारायण दत्त तिवारी की सरकार में हज हाउस पिरान कलियर में बनाया गया था. जिसके बाद 2012 में बीजेपी की सरकार उत्तराखंड में बनी तो हज हाउस का कार्य बीच में ही रोक दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने हज हाउस के लिए भागदौड़ की और सरकार से करोड़ों का बजट पास कराकर हज हाउस पिरान कलियर से ही संचालित कराया था. तब से हज यात्रा की तमाम गतिविधियां यही से संचालित हो रही हैं. लेकिन इस बार हज कमेटी के चैयरमेन अपने राजनीतिक लाभ के लिए हज यात्रा के कार्यक्रम देहरादून में संचालित करा रहे हैं. जिससे हज यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि वे इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे. साथ ही संबंधित मंत्री यशपाल आर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी मुलाकात करेंगे.

पढ़ें- ब्रह्म मुहूर्त में खुले आदिबदरी के कपाट, 11 महीने तक श्रद्धालु कर सकेंगे दर्शन

पूर्व हज कमेटी चेयरमैन राव शेर मोहम्मद का कहना है कि उत्तराखंड से हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों की संख्या हरिद्वार जनपद में सबसे अधिक है, जिनमें महिला और बूढ़े लोग शामिल हैं. ऐसे में देहरादून कार्यक्रम करने का कोई औचित्य नहीं बनता. जब सरकार के पास आलीशान हज हाउस मौजूद है, तो कार्यक्रम देहरादून में क्यों रखा गया? ऐसे में इसके पीछे सरकार की राजनीतिक मंशा साफ झलकती है.

Intro:रुड़की

रुड़की: जहाँ एक तरफ केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक, सीएए जैसे मामलों को लेकर एक विशेष समुदाय के सवालों के घेरे में खड़ी नजर आरही है तो वही उत्तराखंड में भी सरकार की मंशा पर सवाल उठने शुरू हो गए है। धर्म को राजनीति के साथ मिश्रित करने के परिणाम बेहद चौकाने वाले होते है। अब उत्तराखंड में हज यात्रा को लेकर विपक्ष सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है। हज कमेटी चैयरमैन द्वारा हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों के चयन का कार्यक्रम हज हाऊस पिरान कलियर में ना रखकर राजधानी देहरादून में रखा गया, जिसके बाद विपक्ष और स्थानीय लोगो ने धार्मिक कार्यक्रमों को राजनीतिक कार्यक्रम बनाने का आरोप लगाया है।

वीओ-1- हज की कुर्राअंदाजी ( लॉटरी प्रक्रिया हज हाउस के बजाय देहरादून में करने को लेकर हज कमेटी चेयरमैन की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे हैं। कलियर विधायक और पूर्व हज कमेटी चैयरमैन इस धार्मिक कार्यक्रम को राजनैतिक चश्मे से देखने के आरोप मढ़ रहे हैं । हज कमेटी चेयरमैन के इस कदम को मुख्यमंत्री को खुश करने का कदम बताया रहा है। उनका कहना है कि इससे हज यात्रियो को परेशानी होगी। वहीं राज्य हज कमेटी का मुख्य कार्यालय पिरान कलियर में स्थित है। हज यात्रा की तमाम प्रक्रिया यहीं पिरान कलियर मे पूरी की जाती है। हज कमेटी के दफ्तर में प्रक्रिया पूरा करने के लिए कमेटी का पूरा अमला यहीं मौजूद है। लेकिन इस बार हज यात्रियों के चयन को लेकर जो कुर्राअन्दाजी का कार्यक्रम रखा गया है वो हज हाऊस पिरान कलियर में ना रखकर राजधानी देहरादून में रखा गया है। जैसे ही ये सूचना स्थानीय लोगो और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को लगी तो उन्होंने वर्तमान हज़ कमेटी चैयरमैन की मंशा पर सवाल उठाते हुए धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।

Body:वीओ-2- आपको ये भी बता दे कि पूरे उत्तराखंड में सबसे अधिक जनपद हरिद्वार से हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों की सँख्या है, जबकि उत्तराखंड पहाड़ के नौ जिलों को कुर्राअन्दाजी से बाहर रखा गया है। ऐसे में देहरादून में कुर्राअन्दाजी का कार्यक्रम रखना और हज हाऊस होने के बाद भी प्राइवेट स्थान पर कार्यक्रम करना कही ना कही सवाल खड़े कर रहा है। जबकि पिछले कई सालों से हज यात्रा की तमाम गतिविधियां हज हाऊस पिरान कलियर से ही संचालित होती आरही है। जैसे कुर्राअन्दाजी, टीकाकरण आदि कार्य हज हाउस में ही सम्पन्न होते है,

वीओ-3- पिरान कलियर विधायक हाजी फुरकान अहमद बताते है कि नारायण दत्त तिवारी की सरकार में हज हाऊस पिरान कलियर में बनाया गया था, जिसके बाद 2012 में भाजपा की सरकार उत्तराखंड में बनी तो हज हाउस का कार्य बीच में ही रोक दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने हज हाऊस के लिए भागदौड़ की और सरकार से करोड़ो का बजट पास कराकर हज हाऊस पिरान कलियर में ही संचालित कराया था, तब से हज यात्रा की तमाम गतिविधियां यही से संचालित हो रही है। लेकिन इस बार हज कमेटी चैयरमैन अपने राजनीतिक लाभ के लिए हज यात्रा के कार्यक्रम देहरादून में संचालित करा रहे है जिससे हज यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा वह इस मामले को लेकर विधानसभा में सवाल उठाएंगे साथ ही सम्बंधित मंत्री यशपाल आर्य और सूबे के मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे।


Conclusion:वीओ-4- पूर्व हज कमेटी चैयरमैन राव शेर मौहम्मद का कहना है कि उत्तराखंड से हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों की संख्या हरिद्वार जनपद में सबसे अधिक है जिनमें औरतें और बूढ़े लोग शामिल है। ऐसे में देहरादून कार्यक्रम करने का कोई औचित्य नही बनता। जब सरकार के पास आलीशान हज हाऊस मौजूद है, तो कार्यक्रम देहरादून में क्यों रखा गया ये मात्र राजनीति है। उन्होंने बताया सरकार हाजियों को बेहतर सुख सुविधा देने के लिए काम करती है लेकिन इस बार हज कमेटी चैयरमैन के इस कार्य ने वर्तमान सरकार की पोल खोलने का काम किया है।

वीओ-5- स्थानीय लोगो की माने तो धर्म के नाम पर राजनीति की जा रही है। लोगो का जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। पवित्र हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों को सुविधा देने के बजाय उन्हें परेशान किया जा रहा है। लोगो ने एक सुर में कहा की ऐसे पद पर ऐसे व्यक्ति का रहना गलत है जो सुविधा देने के बजाय उनके सामने मुश्किलें खड़ी कर रहा हो। लोगो ने साफ कहा है की यदि वर्तमान हज कमेटी चैयरमैन अपनी मंशा ठीक नही केते है तो उनके खिलाफ सड़को पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।


बाइट-- हाजी फुरकान अहमद (कलियर विधायक)
बाइट-- राव शेर मौहम्मद (पूर्व हज कमेटी चैयरमैन) पहचान ,, सिर पर काली टोपी
बाइट-- नाजिम त्यागी (सभसाद पिरान कलियर) पहचान ,, रेड कलर की जरकीन
बाइट--मौ. इस्तेखार (स्थानीय निवासी)ब्लेक कलर की जरकीन
बाइट-- सूफी राशिद ,, पहचान व्हाइट कलर की टोपी
Last Updated : Jan 15, 2020, 6:37 PM IST
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