हरिद्वार: कुंभ कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़े में हरिद्वार के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) सौरभ गंगवार की अध्यक्षता में गठित की गई तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट हरिद्वार जिलाधिकारी को सौंप दी है. रिपोर्ट करीब 2,400 पन्नों की है. हालांकि अभी इस मामले पर हरिद्वार जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.
क्या है मामला: हरिद्वार कुंभ में श्रद्धालुओं और साधु-संतों की कोरोना जांच के लिए सरकार ने 10 निजी लैबों को अधिकृत किया था. इन लैबों ने एक अप्रैल 2020 से लेकर 30 अप्रैल तक करीब चार लाख कोरोना टेस्ट किए थे. इनमें से करीब एक लाख कोरोना टेस्ट संदेह के घेरे में हैं.
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तत्कालीन जिलाधिकारी ने की थी जांच कमेटी गठित: मामला सामने आने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी सी रवि शंकर ने सीडीओ गंगवार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की थी. तत्कालीन जिलाधिकारी सी रवि शंकर ने सीडीओ को 15 दिन के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा था. लेकिन मामला बड़ा होने के कारण जांच में समय लगा और करीब दो महीन से भी ज्यादा समय में टीम ने अपनी जांच पूरी की. जांच टीम ने करीब 2,400 पन्नों की रिपोर्ट बनाई है.
इस मामले पर जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे सोमवार को इस विषय पर प्रेस वार्ता भी कर सकते हैं.
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SIT भी कर रही है जांच: तत्कालीन जिलाधिकारी सी रवि शंकर के आदेश पर हरिद्वार सीएमओ शभूनाथ झा ने हरिद्वार की शहर कोतवाली में तीन कंपनियों के लिए खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया था. मुकदमा दर्ज होने के बाद हरिद्वार एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस ने एक एसआईटी का गठन किया था. एसआईटी अलग से इस मामले की जांच कर रही है.
ऐसे आया था सच सामने: दरअसल, पंजाब के निवासी को फोन गया था कि उन्होंने हरिद्वार में जो कोरोना टेस्ट कराया था, उसकी रिपोर्ट नेगेट्वि आई थी. लेकिन हैरानी की बात ये थी कि वो व्यक्ति कुंभ के दौरान न तो हरिद्वार आया था न ही उसने कोई टेस्ट कराया था. ऐसे में उसने मामले की शिकायत पंजाब के स्थानीय प्रशासन को की, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया.
इसके बाद उस व्यक्ति ने आईसीएमआर को मामले की शिकायत की. आईसीएमआर ने मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव से जवाब मांगा. उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव ने मामले हरिद्वार जिलाधिकारी को मामले की जांच के आदेश दिए. प्राथमिक जांच में करीब एक लाख कोरोना टेस्ट संदेह के घेरे में आए.
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जांच में सामने आया कि एक ही फोन नंबर पर कोरोना की सैकड़ों जांच की गई हैं. वहीं कई टेस्टों में एक ही आधार नंबर का इस्तेमाल किया है. होम सैंपल में भी फर्जीवाड़ा किया है. एक ही घर में 100 से 200 कोरोना टेस्ट दिखाए गए हैं, जिस पर यकीन करना मुश्किल है.
इस मामले में दिल्ली मैक्स कॉरपोरेट सर्विस और दो अधिकृत लैब दिल्ली की लाल चंदानी व हिसार की नलवा लैब पर मुकदमा दर्ज है. क्योंकि अधिकाश फर्जी टेस्ट इन्हीं लैब के बताए जा रहे हैं. हालांकि अब सच तो जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सामने आएगा.