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रुड़की में देशभर के ईंट भट्ठा स्वामियों की बैठक, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का किया ऐलान - अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का किया ऐलान

देशभर के ईंट भट्ठा स्वामियों ने आज रुड़की में बैठक की. इस बैठक में ईंट भट्ठा स्वामियों ने अनिश्चित कालीन हड़ताल का ऐलान किया. ईंट भट्ठा स्वामियों का कहना है कि भट्टा उद्योग के जीएसटी स्लैब में बदलाव किया गया है. जिसके कारण भट्टा संचालकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. कोयले ने भी उनकी परेशानियां बढ़ा दी हैं.

Brick kiln owners held a meeting
रुड़की में देशभर के ईंट भट्ठा स्वामियों की बैठक
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Published : Aug 21, 2022, 8:28 PM IST

रुड़की: एक निजी होटल में संपूर्ण देश के ईंट भट्टा स्वामियों ने एक बैठक (Brick kiln owners meeting in Roorkee) का आयोजन किया. इस दौरान देश के ईंट-भट्टा स्वामियों ने पूरे देश में हड़ताल पर जाने का ऐलान (Brick kiln owners declare indefinite strike) किया. उनका कहना है कि सरकार की नीतियों के कारण भट्टा स्वामियों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो रहा है. जिससे वह इस उद्योग को बंद कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं.

अखिल भारतीय ईंट निर्माता संघ के संरक्षक चौधरी बख्तावर सिंह ने बताया कि ईंट भट्टा उद्योग वर्तमान युग की मांग है कि ईंट भट्टा साल में छह माह चलने वाला उद्योग है. ये दो से तीन करोड़ लोगों को रोजगार देता है. मगर अब ईंट उद्योगों के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है. उन्होंने कहा भट्टा उद्योग के जीएसटी स्लैब में बदलाव किया गया है. जिसमें एक प्रतिशत वाले स्लैब को 5 प्रतिशत और पांच प्रतिशत वाले स्लैब को 12 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके कारण भट्टा स्वामियों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही लगातार महंगा हो रहा कोयला भी इस उद्योग के लिए परेशानी बना हुआ है.

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उन्होंने बताया कि एनजीटी के आदेशानुसार पूरे देश में अब जिगजैग ईंट भट्टों को ही चलाया जाना है, ताकि प्रदूषण कम हो. उन्होंने कहा इसे पूरा करने के लिए भी जिगजैग टेक्नॉलॉजी पर काम हो रहा है. उन्होंने कहा एसोसिएशन हमेशा सरकार के सहयोग में रही है लेकिन सरकार ईंट भट्टों पर लगातार बोझ डाल रही है. जिसके कारण ईंट भट्टे बंद होने की कगार पर हैं. उन्होंने कहा अब पूरे देश के भट्टा स्वामी अपनी मांगों को लेकर संपूर्ण भारत में अनिश्चित हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं.

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ईंट निर्माता कल्याण समिति उपाध्यक्ष प्रदीप सचदेव ने कहा कि रोटी, कपड़ा और मकान इंसान की जरूरत है. इस कड़ी में ईंट भट्टा बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो कि बेरोजगारों को रोजगार देने के साथ उनकी जरूरत पूरी करता है. साथ ही ईंट के बिना मकान का निर्माण भी संभव नहीं है. उन्होंने कहा कोयले की महंगाई के कारण आज भट्टे बंद होने की कगार पर हैं.

रुड़की: एक निजी होटल में संपूर्ण देश के ईंट भट्टा स्वामियों ने एक बैठक (Brick kiln owners meeting in Roorkee) का आयोजन किया. इस दौरान देश के ईंट-भट्टा स्वामियों ने पूरे देश में हड़ताल पर जाने का ऐलान (Brick kiln owners declare indefinite strike) किया. उनका कहना है कि सरकार की नीतियों के कारण भट्टा स्वामियों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो रहा है. जिससे वह इस उद्योग को बंद कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं.

अखिल भारतीय ईंट निर्माता संघ के संरक्षक चौधरी बख्तावर सिंह ने बताया कि ईंट भट्टा उद्योग वर्तमान युग की मांग है कि ईंट भट्टा साल में छह माह चलने वाला उद्योग है. ये दो से तीन करोड़ लोगों को रोजगार देता है. मगर अब ईंट उद्योगों के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है. उन्होंने कहा भट्टा उद्योग के जीएसटी स्लैब में बदलाव किया गया है. जिसमें एक प्रतिशत वाले स्लैब को 5 प्रतिशत और पांच प्रतिशत वाले स्लैब को 12 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके कारण भट्टा स्वामियों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही लगातार महंगा हो रहा कोयला भी इस उद्योग के लिए परेशानी बना हुआ है.

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उन्होंने बताया कि एनजीटी के आदेशानुसार पूरे देश में अब जिगजैग ईंट भट्टों को ही चलाया जाना है, ताकि प्रदूषण कम हो. उन्होंने कहा इसे पूरा करने के लिए भी जिगजैग टेक्नॉलॉजी पर काम हो रहा है. उन्होंने कहा एसोसिएशन हमेशा सरकार के सहयोग में रही है लेकिन सरकार ईंट भट्टों पर लगातार बोझ डाल रही है. जिसके कारण ईंट भट्टे बंद होने की कगार पर हैं. उन्होंने कहा अब पूरे देश के भट्टा स्वामी अपनी मांगों को लेकर संपूर्ण भारत में अनिश्चित हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं.

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ईंट निर्माता कल्याण समिति उपाध्यक्ष प्रदीप सचदेव ने कहा कि रोटी, कपड़ा और मकान इंसान की जरूरत है. इस कड़ी में ईंट भट्टा बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो कि बेरोजगारों को रोजगार देने के साथ उनकी जरूरत पूरी करता है. साथ ही ईंट के बिना मकान का निर्माण भी संभव नहीं है. उन्होंने कहा कोयले की महंगाई के कारण आज भट्टे बंद होने की कगार पर हैं.

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