ETV Bharat / state

हरिद्वार में 16 साल बाद खिला ब्रह्मकमल, लोगों में खुशी की लहर

धर्मनगरी हरिद्वार स्थित एक घर में ब्रह्मकमल खिला है. इस परिवार की मानें तो 16 साल सींचने के बाद उनके घर में ये फूल खिला है.

ब्रह्मकमल पुष्प
author img

By

Published : Sep 10, 2019, 9:43 AM IST

Updated : Sep 10, 2019, 12:37 PM IST

हरिद्वार: उच्च हिमालयी क्षेत्र में उगने वाले ब्रह्मकमल के धर्मनगरी में खिलने से खुशी की लहर है. मान्यता है कि इस फूल में भगवान विष्णु और लक्ष्मी वास करते हैं. वहीं, ये फूल कम समय के लिए ही खिलता है, और कुछ समय बाद ही मुरझा जाता है. ऐसे में इस फूल का तराई क्षेत्र में खिलना लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है.

पढे़ेें: मोहर्रमः 72 वफादार निहत्थे साथियों के साथ कर्बला में उतरे थे हुसैन, जानिए क्या है परंपरा

ब्रह्मकमल भगवान विष्णु का प्रिय पुष्प माना जाता है. साथ ही ये पुष्प देवी लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है. उच्च हिमालयी क्षेत्र में खिलने वाले इस दुर्लभ फूल का तराई क्षेत्र में खिलना लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है. राम अवतार शर्मा बेंगलुरू की एक नर्सरी से ब्रह्मकमल का पौधा अपने यहां लेकर आए थे. जिसके बाद उन्होंने इसे अपने निरंजनी अखाड़ा मायापुर आवास में लगाया था. वहीं, 16 साल तक सींचने के बाद पहली बार इस पौधे में फूल खिला है.

हरिद्वार में 16 साल बाद खिला ब्रह्मकमल.

गौरतलब है कि इस ब्रहमकमल उत्तराखंड का राजकीय पुष्प है. शास्त्रों की मानें तो इसको भगवान विष्णु और लक्ष्मी का साक्षात स्वरूप भी माना गया है. वहीं, ये फूल चंद घंटों के लिए ही खिला रहता है. वहीं, राम अवतार का कहना है कि 16 साल सींचने के बाद उनके यहां ये ब्रहमकमल खिला है. वहीं, ब्रह्मकमल औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण होता है. इसे सूखाकर कैंसर की दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही इस फूल से स्वास संबंधी बीमीरियां भी दूर हो जाती है.

पढे़ेें: Etv भारत की खबर का बड़ा असर, स्कूली बसों के खिलाफ चला अभियान

रामअवतार शर्मा का कहना है कि यह उच्च हिमालयी क्षेत्र में मॉनसून में ही खिलता है. उन्होंने बताया कि 16 साल पहले वह इस पौधे को बेंगलुरू से लेकर आए थे. यह संयोग ही है कि ये पौधा उनके घर में खिला है, ऐसे में उनके परिवार में खुशी की लहर है.

हरिद्वार: उच्च हिमालयी क्षेत्र में उगने वाले ब्रह्मकमल के धर्मनगरी में खिलने से खुशी की लहर है. मान्यता है कि इस फूल में भगवान विष्णु और लक्ष्मी वास करते हैं. वहीं, ये फूल कम समय के लिए ही खिलता है, और कुछ समय बाद ही मुरझा जाता है. ऐसे में इस फूल का तराई क्षेत्र में खिलना लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है.

पढे़ेें: मोहर्रमः 72 वफादार निहत्थे साथियों के साथ कर्बला में उतरे थे हुसैन, जानिए क्या है परंपरा

ब्रह्मकमल भगवान विष्णु का प्रिय पुष्प माना जाता है. साथ ही ये पुष्प देवी लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है. उच्च हिमालयी क्षेत्र में खिलने वाले इस दुर्लभ फूल का तराई क्षेत्र में खिलना लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है. राम अवतार शर्मा बेंगलुरू की एक नर्सरी से ब्रह्मकमल का पौधा अपने यहां लेकर आए थे. जिसके बाद उन्होंने इसे अपने निरंजनी अखाड़ा मायापुर आवास में लगाया था. वहीं, 16 साल तक सींचने के बाद पहली बार इस पौधे में फूल खिला है.

हरिद्वार में 16 साल बाद खिला ब्रह्मकमल.

गौरतलब है कि इस ब्रहमकमल उत्तराखंड का राजकीय पुष्प है. शास्त्रों की मानें तो इसको भगवान विष्णु और लक्ष्मी का साक्षात स्वरूप भी माना गया है. वहीं, ये फूल चंद घंटों के लिए ही खिला रहता है. वहीं, राम अवतार का कहना है कि 16 साल सींचने के बाद उनके यहां ये ब्रहमकमल खिला है. वहीं, ब्रह्मकमल औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण होता है. इसे सूखाकर कैंसर की दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही इस फूल से स्वास संबंधी बीमीरियां भी दूर हो जाती है.

पढे़ेें: Etv भारत की खबर का बड़ा असर, स्कूली बसों के खिलाफ चला अभियान

रामअवतार शर्मा का कहना है कि यह उच्च हिमालयी क्षेत्र में मॉनसून में ही खिलता है. उन्होंने बताया कि 16 साल पहले वह इस पौधे को बेंगलुरू से लेकर आए थे. यह संयोग ही है कि ये पौधा उनके घर में खिला है, ऐसे में उनके परिवार में खुशी की लहर है.

Intro:उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल जो कि हिमालय के पहाड़ों में बर्फ के बीच में खिलता है और बहुत ही दुर्बल प्रकार की पुष्प जाति में आता है ब्रह्मकमल पुष्प बहुत कम समय के लिए खिलता है फिर बाद में अपने आप ही बंद हो जाता है इस की महक इतनी होती है कि अगर यह जहां पर लगा होता है वहां आसपास अति सुंदर महक वाली खुशबू फैल जाती है मान्यता है कि इस पुष्प में विष्णु और लक्ष्मी वास करते हैं हरि की नगरी हरिद्वार में भी ब्रह्म कमल खिला है यह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात हैBody:ब्रह्मकमल पुष्प को भगवान विष्णु का प्रिय पुष्प माना जाता है और देवी लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है यह दुर्लभ पुष्प आज हरिद्वार में एक परिवार के घर में खिला है सोलह साल पहले बेंगलुरू की नर्सरी से ब्रह्मकमल का छोटा पौधा रामवतार शर्मा निवासी निरंजनी अखाड़ा मायापुर लेकर आये थे ब्रह्मकमल खिलने की आस में उन्होंने पौधे को सींचा और रखरखाव किया आज उनके द्वारा 16 साल तक पौधे को सीचने के बाद दो फूल खिले है यह फूल चंद घंटे ही खिलते है

16 साल तक इस पेड़ को सीखने वाले रामअवतार शर्मा का कहना है कि यह पोस्ट बरसात और ठंड के वक्त में खिलता है और यह सिर्फ हिमालय की पहाड़ियों पर ही खिलता है हमारे पिताजी इस पेड़ को बेंगलुरु से लेकर आए थे और 16 साल से हम इस पेड़ को सिच रहे थे इस पुष्प को उत्तराखंड का राष्ट्रीय पुष्प भी कहते हैं और शास्त्रों की माने तो इसको भगवान विष्णु और लक्ष्मी का साक्षात स्वरूप भी माना गया है आज यह हमारे यहां खिला है यह पुष्प सिर्फ 4 घंटे के लिए ही खिलता है आज 16 साल बाद यह पुष्प खिला है

बाइट--राम अवतार शर्माConclusion:ब्रह्मकमल भगवान विष्णु को प्रिय माना जाता है यह पुष्प देवी लक्ष्मी को भी अर्पित किया जाता है मगर हिमालय की बर्फीली वादियों में खिलने वाला यह ब्रह्मकमल पुष्प हरिद्वार में खिला है और एक अद्भुत घटना है क्योंकि ब्रह्म कमल का पुष्प हमेशा बर्फीली वादियों में ही खिलता है और कुछ घंटे खिलने के बाद अपने आप ही मुरझा जाता है इस पुष्प के खिलने से 16 साल तक इसकी देखभाल करने वाले परिवार में भी खुशी की लहर है
Last Updated : Sep 10, 2019, 12:37 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.