रुड़की: मेहंदी डोरी की रस्म के साथ साबिर पाक के 753वें सालाना उर्स का आगाज हो गया. देर रात चांद दिखाई देने पर मेहंदी डोरी की रस्म को अदा किया गया. इस दौरान अकीदतमंदों का जनसैलाब मेहंदी डोरी की रस्म में भाग लेने पहुंचा. इस दौरान वहां सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए थे.
बता दें कि, सूफीइज्म का बड़ा मरकज दरगाह हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का 753वां सालाना उर्स रविउल-अव्वल का चांद दिखाई देने पर मेहंदी डोरी की रस्म के साथ विधिवत रूप से शुरू हो चुका है. चांद दिखाई देने के बाद मेहंदी डोरी सज्जादानशीन के कदीमी घर पिरान कलियर से शुरू होकर देर रात दरबार शरीफ पहुंची. जिसके बाद आस्ताने साबिर पाक में मेहंदी डोरी को संदल पेश किया गया. रस्म अदायगी के बाद मेहंदी डोरी का प्रसाद जायरीनों को वितरित किया गया. इसके बाद दरबार शरीफ में मुल्क में अमनो-अमान की दुआओं के साथ रस्म पूरी हुई.
सज्जादानशीन शाह अली एजाज साबरी ने बताया कि साबिर पाक का उर्स मेहंदी डोरी की रस्म के साथ शुरू होता है. इस रस्म में मेहंदी, कलावा और संदल की थाल सर पे लेकर जुलूस के रूप में दरबार शरीफ में आया जाता है. जिसके बाद इस मेहंदी डोरी संदल को प्रसाद के रूप में अकीदतमंदों में तकसीम किया जाता है. उन्होंने बताया कि दरगाह साबिर पाक के तत्कालीन सज्जादानशीन शाह अब्दुल रहीम के जमाने से मेहंदी डोरी की रस्म को अदा किया जाता है. शाह अब्दुल रहीम ने ही उर्स के आगाज पर मेहंदी डोरी की रस्म को शुरू किया था जो बरसों से बदस्तूर आज भी जारी है.
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इस रस्म में साबिर पाक के चाहने वाले शामिल होने के लिए दूर-दराज से पिरान कलियर पहुंचते हैं और रस्म में शिरकत कर फैजियाब होते हैं. मेहंदी डोरी की रस्म के बाद उर्स का विधिवत शुभारंभ हो चुका है.