देहरादून: उत्तराखंड में पिछले दो दशक विकासकार्यों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहे हैं. राज्य स्थापना के बाद से अब तक प्रत्येक सेक्टर में काफी ज्यादा बदलाव आया है. सड़क, बिजली और पानी से लेकर राज्य के बजट और लोगों की प्रति व्यक्ति आय तक में राज्य कई गुना आगे बढ़ा है. त्रिवेंद्र सरकार में पिछले 3 साल जीरो टॉलरेंस, बेहतर स्वास्थ्य, दुर्गम तक कनेक्टिविटी और स्वरोजगार पर ज्यादा फोकस रहा है.
उत्तराखंड स्थापना से आज तक अवस्थापना विकास और जनता तक सरकार की पहुंच समेत राज्य का बजट और प्रति व्यक्ति आय काफी तेजी से विकसित हुई है. उत्तर प्रदेश के समय में उत्तराखंड के लिए अलग से बजट जारी होता था जो करीब 15 हजार करोड़ था, आज 20 सालों में यह बजट बढ़कर 53 हजार करोड़ तक हो गया है. आम आदमी की आए जब ₹15 हजार थी जो आज बढ़कर दो लाख से ज्यादा हो गई है. इसी तरह आज सड़कें करीब-करीब हर गांव तक पहुंच गई हैं, बिजली और पानी भी सुदूरवर्ती गांव तक पहुंचा दिया है.
हालांकि, इस सबके बावजूद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन या जीरो टॉलरेंस को मानते हैं. मुख्यमंत्री का कहना है कि उन्होंने आज सचिवालय और मुख्यमंत्री आवास से भ्रष्टाचारियों को बाहर खदेड़ दिया है. इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाओं के विकास में भी बढ़ोतरी की गई है. तीन साल पहले तक राज्य में एक हजार डॉक्टर थे जो आज बढ़कर ढाई हजार हो चुके हैं. अस्पतालों में इक्का-दुक्का आईसीयू बेड थे, अब राज्य के हर जिले में आईसीयू बेड स्थापित कर दिए गए हैं. प्रदेश में हर व्यक्ति को अटल आयुष्मान योजना से भी जोड़ा गया है. विकास के लिहाज से कनेक्टिविटी के क्षेत्र में रेल सड़क और वायु मार्ग के लिहाज से भी कनेक्टिविटी बड़ी है. उड़ान योजना शुरू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है.
कृषकों को जहां पहले वर्ष एक लाख रुपये का लोन 2 फीसदी ब्याज पर मिल रहा था, वहीं दूसरे और तीसरे साल में तीन लाख का लोन ब्याज मुक्त कर दिया गया है. प्रदेश में आज 107 से ज्यादा ग्रोथ सेंटर स्वीकृत हो चुके हैं, जिसमें से करीब 45 उत्पादन भी करने लगे हैं और इसमें महिलाएं खुद का रोजगार खड़ा कर रही हैं.
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राज्य में टोटल फॉरेस्ट का 27 फीसदी चीड़ के वन है. इसीलिए अब से बिजली बनाने की तरफ भी कदम बढ़ाया गया है. इसके अलावा स्व रोजगार में 10 हजार लोगों को रोजगार देने की कोशिशें की जा रही हैं. कोविड-19 के चलते दुनिया के देशों में 75 फीसदी तक रोजगार कम हुआ है. उत्तराखंड और देश पर भी इसका असर पड़ा है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी राज्य आगे बढ़ रहा है.