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मजदूर दिवस: जान की बाजी लगाकर काम करने को मजबूर मजदूर

देश दुनिया में कोरोना महामारी के बीच उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में दिहाड़ी मजदूर जान की बाजी लगाकर काम करने को मजबूर हैं. लॉकडाउन के कारण इनके सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हो गया है.

dehradun
मजदूर की मजबूरी
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Published : May 1, 2020, 9:34 PM IST

देहरादून: हर साल 1 मई के दिन विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है. यह दिन उन मजदूरों के अधिकारों के लिए समर्पित है, जो दिन-रात कड़ी मेहनत कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर हैं. ईटीवी भारत मजदूर दिवस के मौके पर आपका ध्यान उन मजदूरों की ओर ले जाना चाहता है, जो लॉकडाउन के बीच भी सड़कों पर मजदूरी करने में जुटे हुए हैं. इसका कारण सिर्फ यह है कि यह मजदूर हैं और रोजी-रोटी के खातिर मजबूर हैं.

मजदूर की मजबूरी

गौरतलब है कि देश में कोरोना महामारी के बीच जारी लॉकडाउन के चलते एक तरफ हम और आप अपने घरों में कैद हैं तो वहीं, दूसरी तरफ मजदूर वर्ग लॉकडाउन के बीच भी सड़कों पर रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है. प्रदेश की राजधानी देहरादून की सड़कों पर लॉकडाउन के दौरान मजदूरी कर रहे कुछ ऐसे ही मजदूरों का आज हमने हाल जाना. इस दौरान हमने पाया की इनमें से अधिकतर मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से रोजी-रोटी के लिए यहां पहुंचे हैं.

ईटीवी भारत के सामने अपनी मजबूरी बयां करते हुए इन गरीब मजदूरों का कहना है कि बेहद गरीब परिवारों से होने के चलते वह बीते कई सालों से इसी तरह मजदूरी कर रहे हैं. यही उनका एकमात्र कमाई का जरिया है. इसी माध्यम से वह अपने परिवार का किसी तरह भरण पोषण कर रहे हैं. बता दे कि लॉकडाउन के चलते इन मजदूरों के सामने इन दिनों कई बार राशन और पानी का संकट भी आ जाता है, लेकिन इस बीच कई निजी संस्थाएं आगे आकर इन मजदूरों को हर दिन भोजन करा रही हैं.

ये भी पढ़े: कोरोना महामारी से जंग में मजदूरों का क्या है महत्व, जानें

ईटीवी भारत अपनी इस रिपोर्ट के माध्यम से आपसे सिर्फ यही गुजारिश करता है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन की इस घड़ी में आप और हम इन मजदूरों की मदद के लिए आगे आएं. क्योंकि यह हमारे बीच का एक ऐसा वर्ग है, जो अपनी जान की परवाह किए बगैर रोजी-रोटी की खातिर मजबूरी में सड़कों पर हमारे लिए कठिन परिश्रम करते हैं.

देहरादून: हर साल 1 मई के दिन विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है. यह दिन उन मजदूरों के अधिकारों के लिए समर्पित है, जो दिन-रात कड़ी मेहनत कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर हैं. ईटीवी भारत मजदूर दिवस के मौके पर आपका ध्यान उन मजदूरों की ओर ले जाना चाहता है, जो लॉकडाउन के बीच भी सड़कों पर मजदूरी करने में जुटे हुए हैं. इसका कारण सिर्फ यह है कि यह मजदूर हैं और रोजी-रोटी के खातिर मजबूर हैं.

मजदूर की मजबूरी

गौरतलब है कि देश में कोरोना महामारी के बीच जारी लॉकडाउन के चलते एक तरफ हम और आप अपने घरों में कैद हैं तो वहीं, दूसरी तरफ मजदूर वर्ग लॉकडाउन के बीच भी सड़कों पर रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है. प्रदेश की राजधानी देहरादून की सड़कों पर लॉकडाउन के दौरान मजदूरी कर रहे कुछ ऐसे ही मजदूरों का आज हमने हाल जाना. इस दौरान हमने पाया की इनमें से अधिकतर मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से रोजी-रोटी के लिए यहां पहुंचे हैं.

ईटीवी भारत के सामने अपनी मजबूरी बयां करते हुए इन गरीब मजदूरों का कहना है कि बेहद गरीब परिवारों से होने के चलते वह बीते कई सालों से इसी तरह मजदूरी कर रहे हैं. यही उनका एकमात्र कमाई का जरिया है. इसी माध्यम से वह अपने परिवार का किसी तरह भरण पोषण कर रहे हैं. बता दे कि लॉकडाउन के चलते इन मजदूरों के सामने इन दिनों कई बार राशन और पानी का संकट भी आ जाता है, लेकिन इस बीच कई निजी संस्थाएं आगे आकर इन मजदूरों को हर दिन भोजन करा रही हैं.

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ईटीवी भारत अपनी इस रिपोर्ट के माध्यम से आपसे सिर्फ यही गुजारिश करता है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन की इस घड़ी में आप और हम इन मजदूरों की मदद के लिए आगे आएं. क्योंकि यह हमारे बीच का एक ऐसा वर्ग है, जो अपनी जान की परवाह किए बगैर रोजी-रोटी की खातिर मजबूरी में सड़कों पर हमारे लिए कठिन परिश्रम करते हैं.

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