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सेफ होली खेलनी है तो ऑर्गेनिक रंग ही खरीदें, डोईवाला की महिलाएं कर रही तैयार

डोईवाला में आशा स्वयं सहायता समहू से जुड़ी सैकड़ों महिलाएं ऑर्गेनिक रंग बना रही हैं. ये रंग पालक, चुकंदर और फूलों से तैयार किए जा रहे हैं.

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Published : Feb 15, 2021, 8:30 AM IST

organic colors
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डोईवालाः होली के पर्व पर बाजार में जहां कैमिकल वाले रंगों की भरमार हो जाती है. इस बीच डोईवाला में आशा स्वयं सहायता समहू से जुड़ी सैकड़ों महिलाएं ऑर्गेनिक रंग बना रही हैं. ये रंग पालक, चुकंदर और फूलों से तैयार किया जा रहा है. सबसे अच्छी बात ये है कि ये रंग बाजार में अन्य के मुकाबले सस्ते हैं.

ऑर्गेनिक गुलाल तैयार कर रही महिलाएं

रंगों के त्योहार होली के लिए अब ज्यादा दिन नहीं रह गए. ऐसे में बहुत जल्द बाजारों में तरह-तरह के गुलाल नजर आने लगेंगे. बाजार में अक्सर ये पहचानना मुश्किल हो जाता है कि इसमें कैमिकल वाला रंग कौन सा है और ऑर्गेनिक रंग कौन सा. लेकिन अच्छी खबर ये है कि राजधानी से महज 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डोईवाला में आशा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं ऑर्गेनिक रंग तैयार कर रही हैं. ये रंग पूरी तरह नेचुरल हैं. इन रंगों को पालक, चुकंदर और फूलों से तैयार किया जा रहा है.

पढ़ेंः बाल विवाह की कुप्रथा से उत्तराखंड भी अछूता नहीं, जानिए वर्तमान स्थिति

समूह की ट्रेनर श्यामा चौहान ने बताया कि होली के त्योहार के समय बाजार में कैमिकल वाले रंगों की भरमार हो जाती है और यह हमारे शरीर के लिए बेहद हानिकारक होते हैं. लेकिन वो समूह की महिलाओं को ऐसे रंग बनाना सिखा रही हैं, जो शरीर और त्वचा के लिए बिल्कुल भी हानिकारक नहीं है. ये रंग एकदम ऑर्गेनिक हैं और इन्हें फूलों, अरारोट, पालक और चुकंदर जैसे खाद्य पदार्थों से तैयार किया जा रहा है. इन रंगों को तैयार करके एक तरफ महिलाओं को रोजगार मिल रहा है और दूसरी तरफ बाजार में हम लोगों के लिए ऑर्गेनिक रंग तैयार कर रहे हैं.

आशा स्वयं सहायता समूह को चलाने वाली आशा सेमवाल ने बताया कि इस बार सैकड़ों महिलाएं ऑर्गेनिक रंग बनाना सीख रही हैं. इन रंगों के बनाने में जहां महिलाओं को घर बैठे ही रोजगार मिल रहा है. वहीं यह रंग हमारे शरीर पर लगाने से कोई भी खतरा नहीं है. यह एकदम ऑर्गेनिक पद्धति से तैयार किए जा रहे हैं. रंगों के अलावा इस बार महिलाएं बिना कैमिकल के घर में तैयार गुजिया, चिप्स और अन्य खाद्य पदार्थ भी तैयार कर रही हैं, जो बाजार से बेहद कम कीमत पर उपलब्ध होंगे.

डोईवालाः होली के पर्व पर बाजार में जहां कैमिकल वाले रंगों की भरमार हो जाती है. इस बीच डोईवाला में आशा स्वयं सहायता समहू से जुड़ी सैकड़ों महिलाएं ऑर्गेनिक रंग बना रही हैं. ये रंग पालक, चुकंदर और फूलों से तैयार किया जा रहा है. सबसे अच्छी बात ये है कि ये रंग बाजार में अन्य के मुकाबले सस्ते हैं.

ऑर्गेनिक गुलाल तैयार कर रही महिलाएं

रंगों के त्योहार होली के लिए अब ज्यादा दिन नहीं रह गए. ऐसे में बहुत जल्द बाजारों में तरह-तरह के गुलाल नजर आने लगेंगे. बाजार में अक्सर ये पहचानना मुश्किल हो जाता है कि इसमें कैमिकल वाला रंग कौन सा है और ऑर्गेनिक रंग कौन सा. लेकिन अच्छी खबर ये है कि राजधानी से महज 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डोईवाला में आशा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं ऑर्गेनिक रंग तैयार कर रही हैं. ये रंग पूरी तरह नेचुरल हैं. इन रंगों को पालक, चुकंदर और फूलों से तैयार किया जा रहा है.

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समूह की ट्रेनर श्यामा चौहान ने बताया कि होली के त्योहार के समय बाजार में कैमिकल वाले रंगों की भरमार हो जाती है और यह हमारे शरीर के लिए बेहद हानिकारक होते हैं. लेकिन वो समूह की महिलाओं को ऐसे रंग बनाना सिखा रही हैं, जो शरीर और त्वचा के लिए बिल्कुल भी हानिकारक नहीं है. ये रंग एकदम ऑर्गेनिक हैं और इन्हें फूलों, अरारोट, पालक और चुकंदर जैसे खाद्य पदार्थों से तैयार किया जा रहा है. इन रंगों को तैयार करके एक तरफ महिलाओं को रोजगार मिल रहा है और दूसरी तरफ बाजार में हम लोगों के लिए ऑर्गेनिक रंग तैयार कर रहे हैं.

आशा स्वयं सहायता समूह को चलाने वाली आशा सेमवाल ने बताया कि इस बार सैकड़ों महिलाएं ऑर्गेनिक रंग बनाना सीख रही हैं. इन रंगों के बनाने में जहां महिलाओं को घर बैठे ही रोजगार मिल रहा है. वहीं यह रंग हमारे शरीर पर लगाने से कोई भी खतरा नहीं है. यह एकदम ऑर्गेनिक पद्धति से तैयार किए जा रहे हैं. रंगों के अलावा इस बार महिलाएं बिना कैमिकल के घर में तैयार गुजिया, चिप्स और अन्य खाद्य पदार्थ भी तैयार कर रही हैं, जो बाजार से बेहद कम कीमत पर उपलब्ध होंगे.

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