नई दिल्ली: गलत क्रेडिट और धोखाधड़ी की संभावना को कम करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ा कदम उठाया है और बुधवार को रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) सिस्टम के लिए बेनिफिशियरी नेम वेरिफिकेशन की सुविधा शुरू करने का फैसला किया.
यह निर्णय इसलिए लिया गया है, क्योंकि कई बार बैंक कस्टमर आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करते समय गलत अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं और फिर उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. हालांकि, अब उनकी यह समस्या सोल्व हो जाएगी.
इस को लेकर एमपीसी मीटिंग के बाद RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई ने बेनिफिशियरी अकाउंट नेम लुक-अप फैसिलिटी को शुरू करने का फैसला किया है. इसके साथ ही यूजर्स को जल्द ही NEFT और RTGS सर्विस के माध्यम से फंड ट्रांसफर करते समय बेनिफिशियरी का नाम दिखेगा. यह सुविधा आने के बाद पैसे ट्रांसफर करने वाले कस्टमर बेनिफिशियरी का अकाउंट नेम वेरिफाई कर सकेंगे.
UPI में है बेनिफिशियरी के वेरिफिकेशन की सुविधा
बता दें कि फिलहाल यह सुविधा यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) और इमीडिएट पेमेंट सर्विस (IMPS) जैसे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है. इस सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाले ग्राहक पैसे ट्रांसफर करने से पहले रिसीवर का नाम वेरिफाई करते हैं. हालांकि, यह सुविधा आरटीजीएस और एनईएफटी सिस्टम में उपलब्ध नहीं थी.
क्या है RTGS?
रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट यानी RTGS को हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन के लिए डिजाइन किया गया है. इसके जरिए यूजर्स न्यूनतम 2 लाख रुपये ट्रांसफर कर सकते हैं और इसके जरिए अधिकतम ट्रांसफर राशि की कोई सीमा नहीं है. आरटीजीएस से पैसा रियल टाइम में ट्रांसफर हो जाता है.
क्या है IMPS?
इमीडियेट मोबाइल पेमेंट सर्विसेस यानी IMP एक ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम है. इसके जरिए ग्राहक1 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये का ट्रांजैक्शन कर सर सकते हैं.
क्या है NEFT?
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) भारत के जरिए ग्राहक एक बैंक से दूसरे बैंक में ऑनलाइन फंड ट्रांसफर कर सकते हैं. इसके जरिए करंट अकाउंट से पैसे भेजने की न अधिकतम सीमा है और ना ही न्यूनतम. इसके अलावा NEFT ट्रांजैक्शन पर कोई शुल्क नहीं लगता है.