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दिल्ली दंगे पर बनी फिल्म को रोकने की मांग प्री-मैच्योर है, अभी सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट नहीं मिला: हाईकोर्ट - DELHI HIGH COURT ON FILM 2020 DELHI

फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों पर एक फिल्म “2020 दिल्ली” बनाई गई जिसको रोकने की मांग की गई है.

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 1, 2025, 10:45 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों पर बनी फिल्म “2020 दिल्ली” पर रोक की मांग करने वाली शरजील इमाम समेत चार याचिकाकर्ताओं का निस्तारण करते हुए कहा है कि अभी ये याचिका प्री-मैच्योर है, क्योंकि इस फिल्म को अभी सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिलना बाकी है. जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने ये आदेश दिया.

कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ताओं की इस शिकायत पर गौर करे कि फिल्म के ट्रेलर का इस्तेमाल दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है. कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि अगर जरूरत पड़े तो नियमों और दिशानिर्देशों के मुताबिक जरूरी कार्रवाई भी करें.

फिल्म की रिलीज को रोकने की मांग: सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक सेंसर द्वारा सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता है, तब तक फिल्म की रिलीज को रोकने की मांग का कोई मायने नहीं है. फिल्म निर्माता कंपनी ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वो बिना सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट के इंटरनेट पर भी फिल्म को रिलीज नहीं करेंगे. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या याचिकाकर्ता का असली किरदार है या नाटकीयता की गई है. तब फिल्म निर्माता कंपनी ने कहा था कि यह सेंसर बोर्ड को तय करना है. फिल्म निर्माता कंपनी ने कहा कि ये याचिका प्री-मैच्योर है.

फिल्म के ट्रेलर पर भी रोक लगाने की मांग: सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील महमूद प्राचा ने कहा था कि जब तक केस यहां लंबित है, तब तक फिल्म के ट्रेलर पर भी रोक लगाई जाए. फिल्म के ट्रेलर को रिलीज करने के लिए भी सर्टिफिकेट की ज़रूरत होती है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा था कि कोई सर्टिफिकेट अभी नहीं मिला है, इसलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. सुनवाई के दौरान फिल्म निर्माता कंपनी की ओर से कहा गया कि हमने सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया है, लेकिन अभी तक नहीं मिला है.

'फिल्म से निष्पक्ष सुनवाई के मौलिक अधिकार का उल्लंघन': शरजील इमाम के वकील ने कहा था कि ट्रेलर में शरजील इमाम को दिखाया गया था. य़ह ट्रेलर हमारे मामले पर अत्यधिक पूर्वाग्रह डालेगा. क्योंकि ट्रेलर की शुरूआत में शरजील इमाम के भाषण का हुबहू इस्तेमाल किया गया है, जिनके बारे में चार्जशीट में जिक्र किया गया है. इसकी वजह से निष्पक्ष सुनवाई के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है, फिल्म में चार्जशीट से कुछ बातें ली गई हैं, जिनके लिए शरजील को जिम्मेदार ठहराया गया था. हाईकोर्ट ने 30 जनवरी को केंद्र और सेंसर बोर्ड को नोटिस जारी किया था.

बता दें कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए. इस दौरान निजी और सरकारी संपत्तियों का भी काफी नुकसान हुआ. शरजील इमाम को दंगों की साजिश रचने के मामले में आरोपी बनाया गया है.

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कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ताओं की इस शिकायत पर गौर करे कि फिल्म के ट्रेलर का इस्तेमाल दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है. कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि अगर जरूरत पड़े तो नियमों और दिशानिर्देशों के मुताबिक जरूरी कार्रवाई भी करें.

फिल्म की रिलीज को रोकने की मांग: सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक सेंसर द्वारा सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता है, तब तक फिल्म की रिलीज को रोकने की मांग का कोई मायने नहीं है. फिल्म निर्माता कंपनी ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वो बिना सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट के इंटरनेट पर भी फिल्म को रिलीज नहीं करेंगे. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या याचिकाकर्ता का असली किरदार है या नाटकीयता की गई है. तब फिल्म निर्माता कंपनी ने कहा था कि यह सेंसर बोर्ड को तय करना है. फिल्म निर्माता कंपनी ने कहा कि ये याचिका प्री-मैच्योर है.

फिल्म के ट्रेलर पर भी रोक लगाने की मांग: सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील महमूद प्राचा ने कहा था कि जब तक केस यहां लंबित है, तब तक फिल्म के ट्रेलर पर भी रोक लगाई जाए. फिल्म के ट्रेलर को रिलीज करने के लिए भी सर्टिफिकेट की ज़रूरत होती है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा था कि कोई सर्टिफिकेट अभी नहीं मिला है, इसलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. सुनवाई के दौरान फिल्म निर्माता कंपनी की ओर से कहा गया कि हमने सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया है, लेकिन अभी तक नहीं मिला है.

'फिल्म से निष्पक्ष सुनवाई के मौलिक अधिकार का उल्लंघन': शरजील इमाम के वकील ने कहा था कि ट्रेलर में शरजील इमाम को दिखाया गया था. य़ह ट्रेलर हमारे मामले पर अत्यधिक पूर्वाग्रह डालेगा. क्योंकि ट्रेलर की शुरूआत में शरजील इमाम के भाषण का हुबहू इस्तेमाल किया गया है, जिनके बारे में चार्जशीट में जिक्र किया गया है. इसकी वजह से निष्पक्ष सुनवाई के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है, फिल्म में चार्जशीट से कुछ बातें ली गई हैं, जिनके लिए शरजील को जिम्मेदार ठहराया गया था. हाईकोर्ट ने 30 जनवरी को केंद्र और सेंसर बोर्ड को नोटिस जारी किया था.

बता दें कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए. इस दौरान निजी और सरकारी संपत्तियों का भी काफी नुकसान हुआ. शरजील इमाम को दंगों की साजिश रचने के मामले में आरोपी बनाया गया है.

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