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निर्वाचन आयोग द्वारा लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी नहीं बढ़ पाया मतदान प्रतिशत - अखिलेश यादव

इस बार उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीटों पर 61.50 फीसदी मतदान हुए हैं. अगर इस बार निर्वाचन आयोग की तैयारियों को देखें तो मतदाताओ को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए. इसके बावजूद भी निर्वाचन आयोग मतदान फ़ीसदी नहीं बढ़ा पाया.

निर्वाचन आयोग
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Published : Apr 16, 2019, 7:37 PM IST

Updated : Apr 16, 2019, 7:57 PM IST

देहरादून: लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को सम्पन्न हो चुका है. ऐसे में इस बार उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीटों पर 61.50 फीसदी मतदान हुए हैं. अगर इस बार निर्वाचन आयोग की तैयारियों को देखें तो मतदाताओ को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए. इसके बावजूद भी निर्वाचन आयोग मतदान फ़ीसदी नहीं बढ़ा पाया.

चुनाव को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने सितंबर 2018 से ही तैयारी तेज कर दी थी. जिसको लेकर प्रदेश में जगह-जगह जागरूकता अभियान भी चलाए गए. ताकि ज्यादा से ज्यादा इस बार मतदान हो सके. हालांकि वहीं, इस बार निर्वाचन आयोग को उम्मीद थी कि उत्तराखंड की पांचों सीटों पर लगभग 68 से 70 फ़ीसदी मतदान होंगे. लेकिन इस बार पिछली बार की तुलना में भी कम मतदान हुआ.

निर्वाचन आयोग ने प्रदेशभर में लोगों को जागरूक करने के लिए एलईडी वैन व जागरूकता रथ के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया. हालांकि इस अभियान में सैकड़ों वाहन की व्यवस्था की गई और हर एक वैन में हजारों रुपए खर्च कर उसमें एलईडी टीवी साथ ही तमाम जानकारियां चस्पा किए गए और सभी गाड़ियां उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में घूम घूम कर लोगों को जागरूक कर रही थी. उन्हीं गाड़ियों में नुक्कड़ नाटक के कलाकार भी मौजूद थे जो नुक्कड़ नाटक कर लोगों को मतदान के प्रति जागरूक कर रहे थे.

पढ़ें- उत्तराखंडियों के सिर का ताज है ये गांधी टोपी, पहचान न मिलने से घट रहा क्रेज

प्रदेश की पांचों सीटों पर पहली बार सौ फीसदी ईवीएम-वीवीपैट से चुनाव कराया गया. हालांकि लोगों को ईवीएम और वीवीपैट की खास जानकारी ना होने के चलते निर्वाचन आयोग ने उत्तराखंड के तमाम क्षेत्रों में ईवीएम-वीवीपैट का मॉक पोल कराने के लिए गाड़ियों की व्यवस्था की. इसके साथ ही उसमें अधिकारी भी नियुक्त किए गए जो दुरस्त व पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर लोगों को ईवीएम-वीवीपैट के तहत जागरूक कर रहे थे.

पढ़ें- एयरोप्लेन रेस्टोरेंट में बैठकर मिलेगा खाने-पीने का आनंद, 'सुखोई' के साथ ले सकेंगे सेल्फी

निर्वाचन आयोग ने इस बार चुनाव में दिव्यांग और बुजुर्ग मतदाताओं के लिए विशेष व्यवस्था की थी. जिसको लेकर दिव्यांगों के लिए निर्वाचन आयोग ने 9928 वालेंटियर, 2746 व्हील चेयर और 232 गाड़ियों की व्यवस्था की थी. जिसमें निर्वाचन आयोग का लाखो रुपये खर्च हुआ, और यही नहीं आयोग ने मतदान फीसदी बढ़ाने के लिए चॉपर की भी व्यवस्था की थी. जो पहाड़ी क्षेत्रों के लिए चॉपर की व्यवस्था की गई थी ताकि मौसम खराब होने पर मतदाता सहीं सलामत बूथ तक लाया जा सके. वहीं, अगर चॉपर के खर्चे की बात करें तो सिंगल इंजन चॉपर का किराया 1 घंटे के लिए करीब 1 से 2 लाख रुपये है.

देहरादून: लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को सम्पन्न हो चुका है. ऐसे में इस बार उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीटों पर 61.50 फीसदी मतदान हुए हैं. अगर इस बार निर्वाचन आयोग की तैयारियों को देखें तो मतदाताओ को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए. इसके बावजूद भी निर्वाचन आयोग मतदान फ़ीसदी नहीं बढ़ा पाया.

चुनाव को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने सितंबर 2018 से ही तैयारी तेज कर दी थी. जिसको लेकर प्रदेश में जगह-जगह जागरूकता अभियान भी चलाए गए. ताकि ज्यादा से ज्यादा इस बार मतदान हो सके. हालांकि वहीं, इस बार निर्वाचन आयोग को उम्मीद थी कि उत्तराखंड की पांचों सीटों पर लगभग 68 से 70 फ़ीसदी मतदान होंगे. लेकिन इस बार पिछली बार की तुलना में भी कम मतदान हुआ.

निर्वाचन आयोग ने प्रदेशभर में लोगों को जागरूक करने के लिए एलईडी वैन व जागरूकता रथ के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया. हालांकि इस अभियान में सैकड़ों वाहन की व्यवस्था की गई और हर एक वैन में हजारों रुपए खर्च कर उसमें एलईडी टीवी साथ ही तमाम जानकारियां चस्पा किए गए और सभी गाड़ियां उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में घूम घूम कर लोगों को जागरूक कर रही थी. उन्हीं गाड़ियों में नुक्कड़ नाटक के कलाकार भी मौजूद थे जो नुक्कड़ नाटक कर लोगों को मतदान के प्रति जागरूक कर रहे थे.

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प्रदेश की पांचों सीटों पर पहली बार सौ फीसदी ईवीएम-वीवीपैट से चुनाव कराया गया. हालांकि लोगों को ईवीएम और वीवीपैट की खास जानकारी ना होने के चलते निर्वाचन आयोग ने उत्तराखंड के तमाम क्षेत्रों में ईवीएम-वीवीपैट का मॉक पोल कराने के लिए गाड़ियों की व्यवस्था की. इसके साथ ही उसमें अधिकारी भी नियुक्त किए गए जो दुरस्त व पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर लोगों को ईवीएम-वीवीपैट के तहत जागरूक कर रहे थे.

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निर्वाचन आयोग ने इस बार चुनाव में दिव्यांग और बुजुर्ग मतदाताओं के लिए विशेष व्यवस्था की थी. जिसको लेकर दिव्यांगों के लिए निर्वाचन आयोग ने 9928 वालेंटियर, 2746 व्हील चेयर और 232 गाड़ियों की व्यवस्था की थी. जिसमें निर्वाचन आयोग का लाखो रुपये खर्च हुआ, और यही नहीं आयोग ने मतदान फीसदी बढ़ाने के लिए चॉपर की भी व्यवस्था की थी. जो पहाड़ी क्षेत्रों के लिए चॉपर की व्यवस्था की गई थी ताकि मौसम खराब होने पर मतदाता सहीं सलामत बूथ तक लाया जा सके. वहीं, अगर चॉपर के खर्चे की बात करें तो सिंगल इंजन चॉपर का किराया 1 घंटे के लिए करीब 1 से 2 लाख रुपये है.

Intro:लोकतंत्र के महापर्व लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण का मतदान संपन्न हो गया तो वहीं अगर उत्तराखंड की बात करें तो प्रखंड में 11 अप्रैल को मतदान संपन्न हो गया था। और इस बार उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीटों पर 61.50 फीसदी मतदान हुए है। और अगर इस बार निर्वाचन आयोग की तैयारियों को देखें तो इस बार निर्वाचन आयोग ने मतदाताओ को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए लाखों रुपए खर्च किये, बावजूद इसके निर्वाचन आयोग मतदान फ़ीसदी नहीं बढ़ा पायी। वजह जो कोई भी हो लेकिन ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है कि उत्तराखंड के पांचो लोकसभा सीटों पर चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने किस तरह लाखों रुपए खर्च किए हैं।


Body:चुनाव को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने सितंबर 2018 से ही तैयारियों में जुड़ गया था इसके साथ ही तमाम तरह के अभियान भी चलाया जिससे ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को जागरूक किया जा सके। ताकि ज्यादा से ज्यादा मतदाता इस बार मतदान करें, इसके साथ ही निर्वाचन आयोग अपनी तैयारियों को देखते हुए इस उम्मीद था की इस बार लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तराखंड की पांचों सीटों पर लगभग 68 से 70 फ़ीसदी मतदान होंगे लेकिन कहीं ना कहीं निर्वाचन आयोग अपनी उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाई।


एलईडी वैन व जागरूकता रथ......

निर्वाचन आयोग ने प्रदेशभर में लोगों को जागरूक करने के लिए एलईडी वैन व जागरूकता रथ के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया। हालांकि इस अभियान में सैकड़ों वाहन की व्यवस्था की गई और हर एक वैन में हजारों रुपए खर्च कर उसमें एलईडी टीवी साथ ही तमाम जानकारियां चस्पा किए गए और सभी गाड़ियां उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में घूम घूम कर लोगों को जागरूक कर रही थी और उन्हीं गाड़ियों में नुक्कड़ नाटक के कलाकार भी मौजूद थे जो नुक्कड़ नाटक कर लोगों को मतदान के प्रति जागरूक कर रहे थे।


मॉक पोल कर लोगो को किया जागरूक .......

उत्तराखंड के पांचों लोकसभा सीटों पर पहली बार सौ फीसदी ईवीएम- वीवीपैट से चुनाव कराया गया। हालांकि लोगों को ईवीएम और वीवीपैट की खास जानकारी ना होने के चलते निर्वाचन आयोग ने उत्तराखंड के तमाम क्षेत्रों में ईवीएम-वीवीपैट का मॉक पोल कराने के लिए गाड़ियों की व्यवस्था की। इसके साथ ही उसमें अधिकारी भी नियुक्त किए गए जो दुरस्त व पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर लोगों को ईवीएम-वीवीपैट के तहत जागरूक कर रहे थे। इसके साथ ही लोगों को ईवीएम-वीवीपैट से जुड़े तमाम जानकारी दे रहे थे कि ईवीएम-वीवीपैट पूरी तरह सुरक्षित है। और मॉक पोल कर लोगो को जागरूक करने में निर्वाचन आयोग ने लाखों रुपये खर्चा किया।


दिव्यांगों और बुजुर्ग मतदाताओ के लिए व्यवस्था.....

मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए और ज्यादा से ज्यादा दिव्यांग और बुजुर्ग मतदाता मतदान करें। इसके लिए निर्वाचन आयोग ने इस बार दिव्यांग मतदाताओं के लिए विशेष व्यवस्था किया था। और दिव्यांगों के लिए निर्वाचन आयोग ने 9928 वालेंटियर, 2746 व्हील चेयर और 232 गाड़ियों की व्यवस्था की थी। जिसमें निर्वाचन आयोग का लाखो रुपये खर्च आया।


चॉपर की व्यवस्था में खर्च किये लाखो रुपये.....

निर्वाचन आयोग ने मतदान फीसदी बढ़ाने के लिए चॉपर की भी व्यवस्था की थी। और इस चॉपर को पहाड़ी क्षेत्रों के लिए रखा गया था कि अगर मौसम खराब होने के चलते मतदाता वोट तक नहीं आ पाएंगे तो उन मतदाताओं को निर्वाचन आयोग सही सलामत बूथ तक लाएगा और मतदान कराने के बाद वापस सुरक्षित उन्हें उनके घर छोड़ देगा। हालांकि अगर चॉपर के खर्चे की बात करें तो सिंगल इंजन चॉपर का किराया 1 घंटे के लिए करीब एक से दो लाख रुपये है।


हालांकि अगर ओवर ऑल निर्वाचन विभाग द्वारा मतदान फीसदी को बढ़ाने के लिए की गई व्यवस्थाओं को देखें तो इस बार उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर मतदाताओं को जागरूक करने और उनकी व्यवस्थाओं के लिए निर्वाचन आयोग ने लाखों रुपए खर्च कर दिए बावजूद इसके निर्वाचन आयोग अपनी उम्मीद पर खरी नहीं उतर पायी।


Conclusion:
Last Updated : Apr 16, 2019, 7:57 PM IST
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