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रियल एस्टेट कारोबारी दे रहे 'रेरा' को गच्चा, पब्लिक से ठगी तो राजस्व को भी झटका

राज्य का कोई भी व्यक्ति अगर 500 वर्ग मीटर से अधिक की जमीन प्लॉटिंग या रियल एस्टेट तरह के कार्य कर अधिक संपत्ति को भेजता है तो उसके लिए रेरा के नियमों का पालन कर उसका एफिडेविट लगाना रजिस्ट्री में अनिवार्य है.

dehradun
देहरादून में प्रॉपर्टी खरीद-फरोख्त.
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Published : Oct 26, 2021, 7:57 AM IST

Updated : Oct 26, 2021, 12:35 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में प्रॉपर्टी खरीद फरोख्त में रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट (रेरा) का धड़ल्ले से उल्लंघन हो रहा है. जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है. ऐसे में सभी नियमों को धता बताकर प्रॉपर्टी डीलर राजधानी दून में खूब चांदी काट रहे हैं.

दरअसल, राज्य में वर्ष 2016 रेरा एक्ट लागू होने के बाद किसी भी रियल स्टेट की खरीद-फरोख्त में प्रॉपर्टीज कारोबार से जुड़े लोगों को रेरा से अनुमति लेकर एफिडेविट लगाना अनिवार्य कर दिया गया था. जानकारों के मुताबिक, राजस्व विभाग की आंखों में धूल झोंक कर रियल एस्टेट कारोबारी न सिर्फ रेरा एक्ट का उल्लंघन कर सरकार को बड़े पैमाने में राजस्व घाटा पहुंचा रहे हैं, बल्कि प्रॉपर्टी खरीदने वालों को भी गुमराह कर अवैध रूप से नियम विरुद्ध जहां-तहां प्रॉपर्टी बेच धोखा दे रहे हैं.

उत्तराखंड में रेरा कानून का हो रहा उल्लंघन

वहीं, इस गोरखधंधे में सबसे बड़ी बात यह सामने आ रही है कि राज्य में 500 वर्ग मीटर से अधिक जमीन बेचने में रेरा प्राधिकरण से नियमानुसार अनुमति लेकर रजिस्ट्री कराने में एफिडेविट लगाया जाना अनिवार्य है, लेकिन हैरानी की बात हैं कि ऐसा काफी मामलों में नहीं हो रहा है.

हालांकि, इस विषय पर देहरादून रजिस्टार अधिकारियों का कहना है कि सभी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में रेरा एक्ट का एफिडेविट अनिवार्य रूप से लगवाया जा रहा है, लेकिन जिस रजिस्ट्री के सेल डीड में ग्राहक और विक्रेता द्वारा उक्त प्रॉपर्टी को रेरा नियमों की परिधि से बाहर जा रहा है, उसको रजिस्ट्री दस्तावेजों के अनुबंध पत्र पर दर्शाया जा रहा है.

पढ़ें-हनीट्रैप मामले में हरीश रावत बोले- ऐसा किया है तो जनता मुझे पत्थर मारकर करे उत्तराखंड से बाहर

बता दें कि पहाड़ों और मैदानी इलाकों से आने वाले बहुत आए ऐसे लोग हैं जो बिना रेरा एक्ट एफिडेविट के जमीन और प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं. उसका दुष्प्रभाव यह हो रहा है कि अवैध कॉलोनिया जैसे रिहायशी इलाके बस रहे हैं जहां ना तो एमडीडीए नक्शा पास हो रहा है और ना ही ग्राहकों को पर्याप्त सड़क बिजली और अन्य तरह की मूल सुविधाएं मिल रही हैं.

कौन करेगा जांच: उत्तराखंड में भू-कानून बनाने के पक्ष में बोलते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए बताते हैं कि, राज्य में पूर्ववर्ती खंडूड़ी सरकार के समय से ही एक कानून पारित किया गया था जिसमें कोई भी बाहर का व्यक्ति प्रदेश में 500 वर्ग मीटर से अधिक की जमीन नहीं ले सकता है. यही वजह है कि राज्य में 2016-17 में रेरा एक्ट को लागू किया गया.

वहीं, इस कानून के तहत राज्य का कोई भी व्यक्ति अगर 500 वर्ग मीटर से अधिक की जमीन प्लॉटिंग यार रियल एस्टेट तरह के कार्य कर अधिक संपत्ति को भेजता है तो उसके लिए रेरा के नियमों का पालन कर उसका एफिडेविट लगाना रजिस्ट्री में अनिवार्य है. क्योंकि रेरा एक्ट के तहत किसी भी तरह की भूमि या प्रॉपर्टी को हर तरह के विवाद से परे सहित एक व्यवस्थित रियल एस्टेट कैटेगरी में ही बेचने की अनुमति है. ताकि खरीदने वाले ग्राहकों को उस स्थान में पर्याप्त सुविधाएं पारदर्शी और व्यवस्थित रूप में मिल सके.

पढ़ें-रुद्रपुर सिडकुल में जहरीली गैस से तीन कर्मचारियों की मौत, एक-दूसरे को बचाने में गई जान

'खेल' बदस्तूर जारी: अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक, राज्य में भू कानून की मांग इसीलिए हो रही है क्योंकि कुछेक स्थानीय और बाहरी लोग काफी संख्या में लोग 500 वर्ग मीटर विक्रय प्रॉपर्टी एक्ट का उल्लंघन कर रहै हैं. जिससे सैकड़ों बीघा जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में विक्रय कर न सिर्फ कानून का धड़ल्ले से उल्लंघन किया जा रहा है बल्कि सरकार को करोड़ों के राजस्व का भी चूना लगाया जा रहा है.

वहीं, सबसे बड़ा खेल प्रॉपर्टी रजिस्ट्री में हो रहा है. जिसमें रेरा एक्ट का एफिडेविट को दरकिनार किया जा रहा है. अधिवक्ता तिवारी के मुताबिक, इस तरह के 'खेल' में सबसे अधिक नुकसान प्रॉपर्टी खरीदारों का भी हो रहा है, जो अवैध रूप से जहां-तहां जमीन खरीद रहे हैं.

कार्रवाई बूते से बाहर: इस मामले में देहरादून रजिस्ट्रार बीएन डोभाल का भी मानना है कि किसी भी तरह की प्रॉपर्टी खरीद-फरोख्त के लिए रेरा एक्ट नियमों का लगाना अनिवार्य है, ताकि उनको कानूनी रूप से व्यवस्थित सुविधाएं मिल सके. ऐसे में जिन प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री दस्तावेज में पहले से ही खरीदार और विक्रय करने वाला व्यक्ति रेरा नियमों से खुद को बाहर बता कर सेल डीड दे रहा है, उसकी रजिस्ट्री को कैसे रोका जा सकता है.

बहरहाल, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून सहित अन्य जिलों में रेरा एक्ट का उल्लंघन कर जमीन और प्रॉपर्टी की खरीद फ़रोख़्त में नियमों को ताक पर रखने का मामला अपने आप में गंभीर विषय है. वहीं, राज्य में 500 वर्ग मीटर से अधिक जमीन को किस तरह विक्रय किया जा रहा है, यह अपने आप में जांच का विषय है.

देहरादून: उत्तराखंड में प्रॉपर्टी खरीद फरोख्त में रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट (रेरा) का धड़ल्ले से उल्लंघन हो रहा है. जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है. ऐसे में सभी नियमों को धता बताकर प्रॉपर्टी डीलर राजधानी दून में खूब चांदी काट रहे हैं.

दरअसल, राज्य में वर्ष 2016 रेरा एक्ट लागू होने के बाद किसी भी रियल स्टेट की खरीद-फरोख्त में प्रॉपर्टीज कारोबार से जुड़े लोगों को रेरा से अनुमति लेकर एफिडेविट लगाना अनिवार्य कर दिया गया था. जानकारों के मुताबिक, राजस्व विभाग की आंखों में धूल झोंक कर रियल एस्टेट कारोबारी न सिर्फ रेरा एक्ट का उल्लंघन कर सरकार को बड़े पैमाने में राजस्व घाटा पहुंचा रहे हैं, बल्कि प्रॉपर्टी खरीदने वालों को भी गुमराह कर अवैध रूप से नियम विरुद्ध जहां-तहां प्रॉपर्टी बेच धोखा दे रहे हैं.

उत्तराखंड में रेरा कानून का हो रहा उल्लंघन

वहीं, इस गोरखधंधे में सबसे बड़ी बात यह सामने आ रही है कि राज्य में 500 वर्ग मीटर से अधिक जमीन बेचने में रेरा प्राधिकरण से नियमानुसार अनुमति लेकर रजिस्ट्री कराने में एफिडेविट लगाया जाना अनिवार्य है, लेकिन हैरानी की बात हैं कि ऐसा काफी मामलों में नहीं हो रहा है.

हालांकि, इस विषय पर देहरादून रजिस्टार अधिकारियों का कहना है कि सभी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में रेरा एक्ट का एफिडेविट अनिवार्य रूप से लगवाया जा रहा है, लेकिन जिस रजिस्ट्री के सेल डीड में ग्राहक और विक्रेता द्वारा उक्त प्रॉपर्टी को रेरा नियमों की परिधि से बाहर जा रहा है, उसको रजिस्ट्री दस्तावेजों के अनुबंध पत्र पर दर्शाया जा रहा है.

पढ़ें-हनीट्रैप मामले में हरीश रावत बोले- ऐसा किया है तो जनता मुझे पत्थर मारकर करे उत्तराखंड से बाहर

बता दें कि पहाड़ों और मैदानी इलाकों से आने वाले बहुत आए ऐसे लोग हैं जो बिना रेरा एक्ट एफिडेविट के जमीन और प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं. उसका दुष्प्रभाव यह हो रहा है कि अवैध कॉलोनिया जैसे रिहायशी इलाके बस रहे हैं जहां ना तो एमडीडीए नक्शा पास हो रहा है और ना ही ग्राहकों को पर्याप्त सड़क बिजली और अन्य तरह की मूल सुविधाएं मिल रही हैं.

कौन करेगा जांच: उत्तराखंड में भू-कानून बनाने के पक्ष में बोलते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए बताते हैं कि, राज्य में पूर्ववर्ती खंडूड़ी सरकार के समय से ही एक कानून पारित किया गया था जिसमें कोई भी बाहर का व्यक्ति प्रदेश में 500 वर्ग मीटर से अधिक की जमीन नहीं ले सकता है. यही वजह है कि राज्य में 2016-17 में रेरा एक्ट को लागू किया गया.

वहीं, इस कानून के तहत राज्य का कोई भी व्यक्ति अगर 500 वर्ग मीटर से अधिक की जमीन प्लॉटिंग यार रियल एस्टेट तरह के कार्य कर अधिक संपत्ति को भेजता है तो उसके लिए रेरा के नियमों का पालन कर उसका एफिडेविट लगाना रजिस्ट्री में अनिवार्य है. क्योंकि रेरा एक्ट के तहत किसी भी तरह की भूमि या प्रॉपर्टी को हर तरह के विवाद से परे सहित एक व्यवस्थित रियल एस्टेट कैटेगरी में ही बेचने की अनुमति है. ताकि खरीदने वाले ग्राहकों को उस स्थान में पर्याप्त सुविधाएं पारदर्शी और व्यवस्थित रूप में मिल सके.

पढ़ें-रुद्रपुर सिडकुल में जहरीली गैस से तीन कर्मचारियों की मौत, एक-दूसरे को बचाने में गई जान

'खेल' बदस्तूर जारी: अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक, राज्य में भू कानून की मांग इसीलिए हो रही है क्योंकि कुछेक स्थानीय और बाहरी लोग काफी संख्या में लोग 500 वर्ग मीटर विक्रय प्रॉपर्टी एक्ट का उल्लंघन कर रहै हैं. जिससे सैकड़ों बीघा जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में विक्रय कर न सिर्फ कानून का धड़ल्ले से उल्लंघन किया जा रहा है बल्कि सरकार को करोड़ों के राजस्व का भी चूना लगाया जा रहा है.

वहीं, सबसे बड़ा खेल प्रॉपर्टी रजिस्ट्री में हो रहा है. जिसमें रेरा एक्ट का एफिडेविट को दरकिनार किया जा रहा है. अधिवक्ता तिवारी के मुताबिक, इस तरह के 'खेल' में सबसे अधिक नुकसान प्रॉपर्टी खरीदारों का भी हो रहा है, जो अवैध रूप से जहां-तहां जमीन खरीद रहे हैं.

कार्रवाई बूते से बाहर: इस मामले में देहरादून रजिस्ट्रार बीएन डोभाल का भी मानना है कि किसी भी तरह की प्रॉपर्टी खरीद-फरोख्त के लिए रेरा एक्ट नियमों का लगाना अनिवार्य है, ताकि उनको कानूनी रूप से व्यवस्थित सुविधाएं मिल सके. ऐसे में जिन प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री दस्तावेज में पहले से ही खरीदार और विक्रय करने वाला व्यक्ति रेरा नियमों से खुद को बाहर बता कर सेल डीड दे रहा है, उसकी रजिस्ट्री को कैसे रोका जा सकता है.

बहरहाल, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून सहित अन्य जिलों में रेरा एक्ट का उल्लंघन कर जमीन और प्रॉपर्टी की खरीद फ़रोख़्त में नियमों को ताक पर रखने का मामला अपने आप में गंभीर विषय है. वहीं, राज्य में 500 वर्ग मीटर से अधिक जमीन को किस तरह विक्रय किया जा रहा है, यह अपने आप में जांच का विषय है.

Last Updated : Oct 26, 2021, 12:35 PM IST
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