देहरादून: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अभी भी उत्तराखंड के कई लोग विभिन्न शहरों में फंसे हुए हैं. वहीं, यूक्रेन के खारकीव में फंसे छात्रों की मुसीबतें अभी भी कम नहीं हुई है. यहां फंसे छात्रों को बंकर में दिन-रात गुजारने पड़ रहे हैं. यहां फंसे छात्रों का कहना है कि उन्हें फोन चलाने और लाइट जलाने के लिए भी मना किया गया है. सीनियर्स ने बताया कि किसी भी प्रकार से लाइट ऑन न करें, क्योंकि इससे रसियन आर्मी हमला कर सकती है.
छात्रों का कहना है कि भारतीय दूतावास वाट्सअप पर जानकारी के फॉर्म तो जमा करवा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं पहुंची. यूक्रेन के खारकीव में फंसे उत्तराखंड के विनायक थपलियाल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा उनके हॉस्टल में उत्तराखंड के पांच सहित भारतीय करीब 400 छात्र फंसे हुए हैं. हालात इतने बुरे हैं कि बेसमेंट में उन्हें दिन गुजारने पड़ रहे हैं. उन्हें फोन की लाइट तक जलाने के लिए भी मना किया गया है.
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कहा जा रहा है कि जैसे ही लाइट जलाएंगे, वैसे ही रसियन आर्मी लोकेशन ट्रेस कर उन पर हमला कर देगी. साथ ही फोन को अधिकतर बंद करने को भी कहा गया है. थपलियाल ने बताया कि अभी हॉस्टल वाले दो टाइम का खाना दे रहे हैं, लेकिन स्थिति देखकर यही लगता है कि अब कुछ दिन में दिन रात काटना मुश्किल हो जाएगा..
वहीं, यूक्रेन में फंसे छात्रों की संख्या पर उत्तराखंड सरकार में सहायक नोडल अधिकारी प्रमोद कुमार का कहना है कि सोमवार तक यूक्रेन में फंसे नागरिकों की संख्या 260 पहुंच चुकी है. साथ ही 19 उत्तराखंड के छात्र अभी स्वदेश लौट चुके हैं, बाकियों के संबंध में विदेश मंत्रालय और भारत सरकार जानकारियां जुटा रहा है.
उप नेता प्रतिपक्ष करण महारा ने साधा निशाना: वहीं, यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को लेकर उप नेता प्रतिपक्ष करण महारा ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है. करण माहरा ने कहा सरकार के पास विदेश गए उत्तराखंडी स्टूडेंट का डाटा ही मौजूद नहीं है. करण महारा का कहना है कि जब भी कोई रोजगार के लिए टूरिस्ट विजा या स्टूडेंट के रूप में विदेश जाता है तो उसके समस्त आंकड़े एंबेसी और भारतीय विदेश सेवा के पास उपलब्ध रहते हैं, लेकिन इतनी बड़ी कमी कैसे रह गई? उन्होंने खाड़ी युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि उस दौरान करीब 20,000 नागरिकों को वापस भारत लाया गया था, उस समय की सरकार ने उनकी व्यवस्था नहीं की, मगर आज यूक्रेन में हमारे नागरिक बुरे हालातों में वहां फंसे हुए हैं.